हिन्दी का एक और वेहद महत्वपूर्ण ब्लॉग है
“ रचनाकार “। यह वरिष्ठ चिट्ठाकार और सृजन शिल्पी श्री रवि रतलामी जी का ब्लॉग है , यह केवल ब्लॉग नही साहित्य का चलता- फिरता इन्सायिक्लोपिदिया है ,जिसके अंतर्गत ये कोशिश होती है की आज के प्रतिष्ठित कवियों , गज़लकारों के साथ-साथ नवोदित कवियों,गज़लकारों की कविताओं और ग़ज़लों को नया आयाम देते हुए उन्हें इस ब्लॉग के माध्यम से पाठकों से रू-ब -रू कराया जाए । यह ब्लॉग मैं नियमित पढ़ता हूँ और मेरा यह मानना है की इसे उन सभी को पढ़ना चाहिए जो सृजन से जुड़े हैं ।

इसी प्रकार “ अभिव्यक्ति “ और “साहित्यकुंज” भी अनेक गज़लकारों और कवियों का रैन वसेरा बना रहा पूरे वर्ष भर । ये दोनों पत्रिकाएं एक प्रकार से साहित्य का संबाहक है और साहित्यिक गतिविधियों को प्राण वायु देते हुए हिन्दी की सेवा में पूरी जागरूकता के साथ सक्रिय है । इन दोनों पत्रिकाओं को मेरी कोटीश: शुभकामनाएं …दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों के साथ कि “……हो कहीं भी आग फ़िर भी आग जलानी चाहिए …।”

इसी दिशा में एक लघु, किंतु महत्वपूर्ण पहल किया है भाई नीरव ने अपनी ब्लॉग पत्रिका “वाटिका “ और "गवाक्ष " के माध्यम से । यह ब्लॉग भी साहित्य की विभिन्न विधाओं में प्रकाशित सुंदर और सारगर्भित लेखन का नायाब गुलदस्ता है , विल्कुल उसी तरह जैसे देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर ।
वर्ष-२००७ में नेट पर एक और साहित्यिक पत्रिका “ सृजनगाथा “ पर भी मेरी नज़र गयी और उसमें अपनी ग़ज़ल देखाकर मैं चौंक गया एकबारगी । इन्होने देश के महत्वोपूर्ण गज़लकारों की ग़ज़लों का संकलन प्रकाशित था जो कई दृष्टि से वेहद महत्वपूर्ण था । तब से मैं इस पत्रिका का नियमित पाठक हूँ ।

सुबीर संवाद सेवा , हिन्दी युग्म, रचनाकार, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज और श्रीजनगाथा साहित्य को नयी दिशा देने हेतु सतत क्रियाशील ब्लॉग की श्रेणी में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इन्हे यदि हिन्दी ब्लॉग साहित्य का सप्त ऋषि कहा जाए तो न अतिशयोक्ति होनी चाहिए और न शक की गुंजायश ही। इन सातों ब्लॉग पत्रिकाओं को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं इन पंक्तियों के साथ , कि -“….इस शहर में इक नाहर की बात हो, फ़िर वही पिछले पहर की बात हो , ये रात सन्नाटा बुनेगी इसलिए, कुछ सुबह कुछ दोपहर की बात हो ……।!”

कुछ और महत्वपूर्ण ब्लॉग है , जिस पर वर्ष -२००८ में यदा- कदा गंभीर गज़लें देखने को मिली , उन में से महत्वपूर्ण है “ उड़न तश्तरी “ जिस पर इस दौरान उम्दा गज़लें पढ़ने को मिली है। एक बानगी देखिये-"चाँद गर रुसवा हो जाये तो फिर क्या होगा, रात थक कर सो जाये तो फिर क्या होगा।यूँ मैं लबों पर, मुस्कान लिए फिरता हूँआँख ही मेरी रो जाये तो फिर क्या होगा. "

कुछ और ब्लॉग पर अच्छी ग़ज़लों का दस्तक देखिये और कहिये - ……वाह जनाब वाह...क्या शेर है…क्या ग़ज़ल है……!

ये ब्लॉग हैं " महावीर" " नीरज " "विचारों की जमीं" "सफर " " इक शायर अंजाना सा…" "भावनायें... " आदि ।
ग़ज़ल की चर्चा को यहीं विराम देते हैं और चलते हैं हास्य की दुनिया में , जहाँ हमारी प्रतीक्षा में खड़े हैं कई ब्लोगर , सराबोर कराने के लिए हास्य से हमारे दामन को । हास्य पर हम करेंगे चर्चा विस्तार से , लेकिन अगले पोस्ट में ……….!
.........अभी जारी है…....../

6 comments:

  1. बेहतरीन .बहुत से ब्लॉग आ गए इस में भी शुक्रिया

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  2. रवि रतलामी जी का ब्लॉग सचमुच प्रशंशनीय है , अभिव्यक्ति और साहित्यकुंज तो वाकई साहित्यकारों की विश्रामस्थली बनी हुयी है वर्षों से ,वाटिका मैंने कभी नही पढी , अब पढूंगी ....आपने लिखा है तो अच्छी ही होगी . जारी रखें विश्लेषण का यह क्रम ....अद्भुत विश्लेषण है यह !

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  3. सचमुच बेहतरीन विश्लेषण है यह !

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  4. यह ब्लॉग चर्चा बहुत बढ़िया चल रही है!

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  5. रवीन्द्र जी,

    आपने भावनाओं को सराहा...आपका बहुत आभार
    बहुत सुंदर चर्चा चल रही है ...ऎसी चर्चा करना
    सबके बस की बात नहीं...सराहनीय प्रयास के लिये धन्यवाद एवं बधाई

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