बिहार का ज़िक्र तो हर जगह होता है, तो यहाँ भी आया है बिहार ......... बिहार की थाप लिए खडी हैं मधुबाला जी अपने समूह के साथ , रोक नहीं पायेंगे आप खुद को , गा उठेंगे उनके साथ....( बाजे अवध ....)
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यूँ तो हमारी अपनी हैं अदा जी , अदा ही अदा है जिनका अंदाज... लिखने की अदा , बोलने की अदा, गाने की अदा . मधुबाला जी को जाते देख इनकी अदा ने कुछ यूँ कहा है ............
कौन जायेगा , क्यूँ जायेगा इस इन्द्रधनुषी उत्सवी रंगों के बीच से और अगर गया तो .....
(जाइये आप कहाँ जायेंगे)
(जाइये आप कहाँ जायेंगे)
समय थम गया है , मंच पर मौजूद है हमारी आर्मी..... जी हाँ ये यहाँ आने से खुद को रोक नहीं पायेंगे.....यहाँ किलिक करें
कौन जायेगा , क्यूँ जायेगा इस इन्द्रधनुषी उत्सवी रंगों के बीच से ....
जवाब देंहटाएंक्या समा बाँधा है,अच्छा लगा सुन कर.
जवाब देंहटाएंआदरणीय रश्मि जी,
जवाब देंहटाएंआपने सबकुछ इतनी खूबसूरती से प्रस्तुत कर दिया कि हैरान हूँ....सचमुच बहुत ही मनभावन लग रहा है...
प्यारी खुशबू को भी ढेर सारा प्यार और शाबाशी...उसने संयोजन का बहुत ही अच्छा काम किया है.....
हृदय से धन्यवाद...!!
कौन जा सकता है इस माहौल को छोडकर !!
जवाब देंहटाएंबाजे भई बाजे....
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ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?
sundar prastuti!
जवाब देंहटाएंabhaar!