तज़ाकिस्तान से नोज़िया करोमतुल्लो की आवाज़ में सुनें तुने चुराई मोरी निंदिया मैं हैरान हूँ, इस परिकल्पना का जादू हर जगह है, आई हैं तज़ाकिस्तान से देखिये नोज़िया करोमतुल्लो .... तो इनकी आवाज़ का जादू परिकल्पना ब्लॉग उत्सव -के नाम .............देश, विदेश .... मेरा शहर, तेरा शहर सब रंग गए हैं उत्सवी रंग में . सबके होठों पर गीत मचल उठे हैं ... कुछ इस तरह....यहाँ किलिक करें
आईये सुनें ... अमृत वाणी ।
जवाब देंहटाएंआचार्य जी
Badhaayi.
जवाब देंहटाएंएक अहिंदी भाषी सुदूर देशवासिनी से हिन्दी गायन वह भी भारतीय शैली में सुन कर मन प्रसन्न हुआ।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा सुन कर.
जवाब देंहटाएंसुन कर मन प्रसन्न हुआ।
जवाब देंहटाएंक्या समा बाँधा है,अच्छा लगा सुन कर.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..विदेश मे अपने देश के प्रति चाहत देख कर आनन्द आता है..
जवाब देंहटाएंआदरणीय रश्मि जी,
जवाब देंहटाएंआपने सबकुछ इतनी खूबसूरती से प्रस्तुत कर दिया कि हैरान हूँ....सचमुच बहुत ही मनभावन लग रहा है...
प्यारी खुशबू को भी ढेर सारा प्यार और शाबाशी...उसने संयोजन का बहुत ही अच्छा काम किया है.....
हृदय से धन्यवाद...!!