.........गतांक  से आगे

 भारतीय संगीत की गूँज पूरी दुनिया में सुनाई देती है ! संगीत के कारण आज हमारा भारत दुनिया में अपनी एक अलग छवि प्रस्तुत करने में सफल हुआ है ! अपने इस गौरवशाली परंपरा को जीवंत बनाए रखने की दिशा में कई घराने सक्रिय हैं और उन घरानों की जानकारी देने के लिए हिंदी में कई ब्लॉग भी सक्रिय है ,जो भारतीय संगीत की इस परंपरा को आम जन-जीवन से जोड़ते है !

"एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी, ऐसा तो कम ही होता है वो भी हों तनहाई भी, गीतों की बात ही कुछ ऐसी होती है। खुद को ही मैं ढूँढ रहा नज्मों में, कुछ गीतों में और नज्म? वो तो गोया गुलजार के लफ्जों में अगर कहूँ तो -नज़्म उलझी हुई है सीने में/मिसरे अटके हुए हैं होठों पर/उड़ते-फिरते हैं तितलियों की तरह। गर किसी मोड़ पे अगर मिल जाऊँ तो बस एक गीत गुनगुना देना...!" ऐसा कहना है तरुण का अपने बारे में, ब्लॉग गीत गाता चल पर ! यह ब्लॉग पूरी तरह भारतीय गीत-संगीत की प्रस्तुति से जुडा है !
इस वर्ष संगीत को समर्पित ब्लोग्स पर ज्यादा हलचल नहीं देखी गयी , सुर-पेटी पर केवल दो पोस्ट प्रकाशित हुए ,वहीं सुर साधकों से मुलाक़ात पर आधारित ब्लॉग एक मुलाक़ात पर पूरे वर्ष में केवल तीन पोस्ट ही देखे गए !जाने क्या मैंने कही पर केवल चार,शब्द सृष्टि पर केवल एक ही पोस्ट देखे गए,गीतों की महफ़िल पर केवल छ:पोस्ट देखे गए , किन्तु वर्ष-२००६ से हिंदी ब्लॉगजगत का हिस्सा बने एक बेहद खुबसूरत ब्लॉग एक शाम मेरे नाम ने इस वर्ष खूब धमाल मचाया !इस पर कुल ७७ पोस्ट देखे गए इस वर्ष "वार्षिक संगीत माला " की प्रस्तुति इस ब्लॉग की सबसे बड़ी उपलब्धि है ! इस पर आप फैज़ अहमद फैज़, कातिल शिफाई, परवीन शाकर, अहमद फ़राज़ , सुदर्शन फाकिर आदि कि गज़लें और नज्में ....वर्ष की चुनिन्दा संगीत मालाओं से आप रूबरू हो सकते हैं ! यह ब्लॉग हिंदी का एक नायाब ब्लॉग है !



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वर्ष-२०१० में संगीत से जुड़े जिन ब्लोग्स पर सार्थक पोस्ट की उपस्थिति देखी गयी उसमें प्रमुख है-"ठुमरी"ब्लोगर हैं विमल वर्मा !अपने बारे में विमल कहते हैं कि- "बचपन की सुहानी यादों की खुमारी अभी भी टूटी नही है.. जवानी की सतरंगी छाँह आज़मगढ़, इलाहाबाद,बलिया और दिल्ली मे.. फिलहाल १६-१७ साल से मुम्बई मे..मनोरंजन चैनल के साथ रोजी-रोटी का नाता......!"


न शास्‍त्रीय टप्‍पा.. न बेमतलब का गोल-गप्‍पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्‍तो, है रंगमंच तैयार.. छाया गांगुली की आवाज में फागुन के गीत या फिर कवि नीरज जी की आवाज़ में... " कारवां गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे , ग्रामोफोनीय रिकोर्ड के कबाड़खाने से कुछ रचनाएँ सुननी हो अथवा एक अफ़गानी की आवाज़ में ....जब दिल ही टूट गया ....पूरे वर्ष में केवल १२ पोस्ट और सभी नायाब !


सर्दियों की ठुठुरती रातें...दूर एक वीरान सा महल...घुप्प अँधेरा और किसी के पायल की झंकार...सफ़ेद चोले में लहराता एक बदन...और एक सुरीली आवाज़....जी हाँ ऐसी ही आवाज़ से पूरे वर्ष हमें रूबरू कराता रहा हिंद युग्म का आवाज़ ब्लॉग!मशहूर फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज के साथ - वर्ष २०१० के टॉप गीत सुनना हो तो इस खुबसूरत ब्लॉग पर अवश्य पधारें !  
संगीत की बात हो और रेडियो न बजे तो सबकुछ नीरस सा लगता है , ऐसे में रेडियोनामा हमारी उस कमी को पूरा करता है ! यह एक सामूहिक ब्लॉग है और इससे जुड़े हैं-पियूष मेहता, अन्नपूर्णा, ममता, डा.प्रवीण चोपड़ा,अफलातून,युनुस खान, रवि रतलामी, डा अजित कुमार, संजय पटेल, इरफ़ान,काकेश, तरुण, प्रियंकर, अनिता कुमार, सजीव सारथी ,कमल शर्मा ,मनीष कुमार, लावण्या शाह, जगदीश भाटिया, विकास शुक्ला, बी.एस. पावला आदि !
रेडियोनामा रेडियो-विमर्श का सामूहिक-प्रयास है। अगर आप भी रेडियो-प्रेमी हैं और रेडियो से जुड़ी अपनी यादें या बातें इनके  साथ  साथ बांटना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। अपनी बात आपको हिंदी में लिखनी होगी। अगर आप केवल अंग्रेजी में लिखते हैं तो भी कोई बात नहीं,  आपका लेख ये हिंदी -अनुवाद करके प्रकाशित करेंगे। हिन्दी सबंधी तकनीकी सहायता के लिए नि:संकोच आप  इनसे संपर्क कर सकते  हैं । रेडियोनामा के अलावा यदि आप रेडियो  प्रेमी हैं तो यहाँ भी सुन सकते हैं रेडियो -यानी कौल साहब का रेडियो-पन्ना, सागर नाहर की सूची, बीबीसी हिंदी, वॉइस ऑफ अमेरिका हिंदी, हम एफ एम सऊदी अरब, डॉयचे वेले--जर्मनी की हिंदी सेवा, रेडियो जापान की हिंदी सेवा, आकाशवाणी समाचार, रेडियोवर्ल्ड, रेडियो तराना आदि पर !

संवाद सम्मान-२००९ से सम्मानित युनुस खान का ब्लॉग रेडियोवाणी पर इस वर्ष भी अनेक सार्थक पोस्ट देखे गए !मध्‍यप्रदेश के दमोह शहर में पैदा हुए ब्लोगर युनुस  खान  म0प्र0के कई शहरों में पाले बढ़ें  । बचपन से ही संगीत, साहित्‍य और रेडियो में गहरी दिलचस्‍पी थी  । सन 1996 से मुंबई स्थित  देश के प्रतिष्ठित रेडियो चैनल विविध भारती (vividh bharati) में एनाउंसर के पद पर कार्यरत हैं । नए पुराने तमाम अच्‍छे गीतोंके साथ-साथ दुनिया भर की फिल्‍मों में इनकी गहरी रूचि है । कविताएं और अखबारों में लेखन भी ये यदा कडा करते रहते हैं !इस ब्लॉग पर कुल ३०० पोस्ट प्रकाशित है जो आपका भरपूर मनोरंजन करने में पूरी तरह सक्षम है !

My Photoवहीं मिर्जापुर में पैदा हुए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़े  और समकालीन जनमत के साथ पटना होते हुए दिल्ली पहुंचे इरफ़ान स्वतंत्र पत्रकारिता,लेखन और ऒडियो-विज़ुअल प्रोडक्शन्स से जुड़े होने के वावजूद हिंदी ब्लोगिंग को समृद्ध करने की दिशा में दृढ़ता के साथ सक्रिय हैं ! इनका ब्लॉग है टूटी हुई बिखरी हुई !इस ब्लॉग पर इस वर्ष कुल २७ पोस्ट प्रकाशित हुए और सब एक से बढ़कर एक !

My Photoसंगीत की साधना को समर्पित ब्लॉग का यह विश्लेषण तबतक पूर्ण नहीं हो सकता जबतक पारुल चंद पुखराज का ....की चर्चा न हो जाए , क्योंकि यह ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत के लिए विशिष्ट है !युनुश खान की तरह पारुल भी संवाद सम्मान-२००९ से सम्मानित हैं ! इस ब्लॉग पर इस वर्ष ६५ पोस्ट प्रकाशित हुए हैं, जो पूरी तरह साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों और संगीत को समर्पित है !पारुल "पुखराज" को गुलज़ार की ये पंक्तियाँ बहुत पसंद है -"कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही…रात दिन गिर रहे हैं चौसर पर…औंधी-सीधी-सी कौड़ियों की तरह…हाथ लगते हैं माह-ओ साल मगर …उँगलियों से फिसलते रहते है…धूप-छाँव की दौड़ है सारी……कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही………………और जो क़ायम है,बस इक मैं हूँ………मै जो पल पल बदलता रहता हूँ …!"

इसके अलावा वर्ष-२०१० में गीत-संगीत से जुड़े जिन ब्लोग्स पर सार्थक पोस्ट की प्रस्तुति हुई है, उसमें प्रमुख है - संगीत, किससे कहें , गीतों की महफ़िल, सुख़नसाज़ ,रंगे सुखन , जोग लिखी संजय पटेल की , बाजे वाली गली , दिलीप के दिल से , आगाज़  , कबाड़खाना आदि !इन सारे  ब्लोग्स का उद्देश्य रहा है अच्छे संगीत,साहित्य और उससे जुड़े पहलुओं को उजागर करना रहा है, जो प्रशंसनीय है !इनपर  सुगम संगीत से लेकर क्लासिकल संगीत को सुना जा सकता है , मन  के अंतर में हर क्षण अनेकों भाव उमडते रहतें हैं ,इन्ही भावों को हिन्दी भाषा के माध्यम से अंतर्जाल पर लिखने का प्रयास है अंतर्ध्वनि ! नीरज रोहिल्ला का यह ब्लॉग अन्य ब्लॉग कि तुलना में कुछ अलग है यह संगीत का ब्लॉग नहीं है अनुभूतियों का ब्लॉग है ! इस पर भी अनेक सार्थक पोस्ट देखे गए इस वर्ष !

.......जारी है विश्लेषण, मिलते हैं एक विराम के बाद

28 comments:

  1. एक बार फिर कुछ नए ब्लोगस की जानकारी मिली ... बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. अनूठी पोस्ट
    आपकी मेहनत
    को खड़े होकर सर झुका कर सलाम

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  3. काफी मेहनत की है आपने आपकी मेहनत को सलाम

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  4. वाह वाह रवींद्र जी
    आपने तो खुश कर दिया
    हम तो सोचते थे कि यहाँ संगीत से जुड़े एक-दो ब्लॉग ही हैं. आज इतने सारे नाम देखकर हैरान भी हैं और प्रसन्न भी.
    आप बहुत मेहनत कर रहे हैं
    आपका बहुत शुक्रिया
    आभार

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  5. विश्लेषण में आपका कोई विकल्प दूर-दूर तक नहीं दीखता, आप ब्लॉगजगत के लिए अद्वितीय हैं प्रभात जी, आपको आपके इस कृत्य के लिए दुनिया ढूंढेगी एक दिन !

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  6. गज़ब का ब्लॉग विश्लेषण किया है आपने...एक चुनौती पूर्ण काम को बहुत सफलता से अंजाम दे रहे हैं आप...बधाई
    नीरज

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  7. अनूठी पोस्ट,गज़ब का ब्लॉग विश्लेषण !

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  8. आपके परिश्रम को प्रणाम. मुझ जैसे आदमी के लिए तो इतना भर पढ़ना भी मुश्किल है जबकि आप तो आकलन भी करते हैं...

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  9. आप के विश्लेषणों से लगता है कि हिन्दी ब्लागजगत चाहे छोटा ही क्यों न हो, कितना विविधतापूर्ण है।

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  10. विश्लेषण दुरूह कार्य अवश्य है, किन्तु अब अच्छा लगाने लगा है इस कार्य को करते हुए , मुझे नहीं मालुम की मैं इस दिशा में कहाँ तक न्याय कर पा रहा हूँ !

    आप सभी का आभार, इस उत्साहवर्द्धन के लिए !

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  11. वाह ...आज तो आपने गीत-संगीत के नायाब खजाने को उजागर कर भाव-विभोर कर दिया ..आभार इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये ।

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  12. नूतन जानकारियों से सराबोर गीत-संगीत की दुनिया का सुहाना ब्लागमयी सफर. धन्यवाद...

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  13. ब्लॉगजगत कि सारी विधाएं खंगालते खंगालते संगीत तक पहुँच जाना और उसका सूक्ष्म विश्लेषण करना आसान काम नहीं है. आपके परिश्रम से प्रेरणा ली जाएगी कि कोई इंसान इस तरह समर्पण से इतने बड़े ब्लॉग जगत को कैसे समेट कर हम तक पहुंचा रहा है. आपको बहुत बहुत धन्यवाद.

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  14. आपने तो ब्लॉग जगत का हर कोना छान मारा है। आभार इस प्रस्तुति के लिए।

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  15. आपके द्वारा किये गये खोजी विश्लेषण से बहुत कुछ नया ज्ञान मिला!

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  16. अनूठी पोस्‍ट के लिए आपका आभार !!

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  17. आपने तो ब्लॉग जगत का हर कोना छान मारा है....आभार इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये ।

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  18. महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के ब्लॉग हिन्दी-विश्व पर २६ फ़रवरी को राजकिशोर की तीन कविताएँ आई हैं --निगाह , नाता और करनी ! कथ्य , भाषा और प्रस्तुति तीनों स्तरों पर यह तीनों ही बेहद घटिया , अधकचरी ,सड़क छाप और बाजारू स्तर की कविताएँ हैं ! राजकिशोर के लेख भी बिखराव से भरे रहे हैं ...कभी वो हिन्दी-विश्व पर कहते हैं कि उन्होने आज तक कोई कुलपति नहीं देखा है तो कभी वेलिनटाइन डे पर प्रेम की व्याख्या करते हैं ...कभी किसी औपचारिक कार्यक्रम की रिपोर्टिंग करते हुए कहते हैं कि सब सज कर ऐसे आए थे कि जैसे किसी स्वयंवर में भाग लेने आए हैं .. ऐसा लगता है कि ‘ कितने बिस्तरों में कितनी बार’ की अपने परिवार की छीनाल संस्कृति का उनके लेखन पर बेहद गहरा प्रभाव है . विश्वविद्यालय के बारे में लिखते हुए वो किसी स्तरहीन भांड से ज़्यादा नहीं लगते हैं ..ना तो उनके लेखन में कोई विषय की गहराई है और ना ही भाषा में कोई प्रभावोत्पादकता ..प्रस्तुति में भी बेहद बिखराव है...राजकिशोर को पहले हरप्रीत कौर जैसी छात्राओं से लिखना सीखना चाहिए...प्रीति सागर का स्तर तो राजकिशोर से भी गया गुजरा है...उसने तो इस ब्लॉग की ऐसी की तैसी कर रखी है..उसे ‘कितने बिस्तरों में कितनी बार’ की छीनाल संस्कृति से फ़ुर्सत मिले तब तो वो ब्लॉग की सामग्री को देखेगी . २५ फ़रवरी को ‘ संवेदना कि मुद्रास्फीति’ शीर्षक से रेणु कुमारी की कविता ब्लॉग पर आई है..उसमें कविता जैसा कुछ नहीं है और सबसे बड़ा तमाशा यह कि कविता का शीर्षक तक सही नहीं है..वर्धा के छीनाल संस्कृति के किसी अंधे को यह नहीं दिखा कि कविता का सही शीर्षक –‘संवेदना की मुद्रास्फीति’ होना चाहिए न कि ‘संवेदना कि मुद्रास्फीति’ ....नीचे से ऊपर तक पूरी कुएँ में ही भांग है .... छिनालों और भांडों को वेलिनटाइन डे से फ़ुर्सत मिले तब तो वो गुणवत्ता के बारे में सोचेंगे ...वैसे आप सुअर की खाल से रेशम का पर्स कैसे बनाएँगे ....हिन्दी के नाम पर इन बेशर्मों को झेलना है ..यह सब हमारी व्यवस्था की नाजायज़ औलाद हैं..झेलना ही होगा इन्हें …..

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