वर्ष -२०१० में श्री दीपक भारतदीप जी के द्वारा अपने ब्लॉग क्रमश: ..... दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका ...शब्दलेख सारथी .....अनंत शब्दयोग ......दीपक भारतदीप की शब्द योग पत्रिका .....दीपक बाबू कहीन .....दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका .....दीपक भारतदीप की ई पत्रिका .....दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका .....दीपक भारतदीप की शब्दलेख पत्रिका ......दीपक भारतदीप की शब्द ज्ञान पत्रिका .....राजलेख की हिंदी पत्रिका ....दीपक भारत दीप की अभिव्यक्ति पत्रिका ...दीपक भारतदीप की शब्द प्रकाश पत्रिका .....आदि के माध्यम से पुराने चिट्ठाकारों के श्रेणी में सर्वाधिक व्यक्तिगत ब्लॉग पोस्ट लिखने का गौरव प्राप्त किया है ।
इस वर्ष रचनात्मकता के प्रति कटिबद्धता पारुल चाँद पुखराज का ...पर देखी गयी । इस ब्लॉग पर पहले तो गंभीर और गहरी अभिव्यक्ति की साथ कविता प्रस्तुत की जाती थी , किन्तु अब गहरे अर्थ रखती गज़लें सुने जा सकती है । सुश्री पारुल ने शब्द और संगीत को एक साथ परोसकर हिंदी ब्लॉगजगत में नया प्रयोग कर रही हैं , जो प्रशंसनीय है ।
वर्ष-२०१० में हास्य को सपर्पित चिट्ठों में सर्वाधिक अग्रणी चिट्ठा रहा " ताऊ डोट इन " इस ब्लॉग ने सक्रियता-सफलता और सरसता का जो कीर्तिमान स्थापित किया है वह शायद अबतक किसी भी ब्लॉग को प्राप्त नहीं हुआ होगा । अपनी चुटीली टिप्पणियों के कारण यह ब्लॉग इस वर्ष लगातार सुर्ख़ियों में बना रहा ।इस ब्लॉग की सर्वाधिक रचनाएँ चिट्ठाकारों को केंद्र में रखकर प्रस्तुत की जाती रही और कोई भी ब्लोगर इनके व्यंग्य बाण से आहत होकर न मुस्कुराया हो , ऐसा नहीं हुआ ....यानी यह ब्लॉग वर्ष के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग की कतार में अपना स्थान बनाने में सफल हुआ ।
हास्य कवि अलवेला खत्री ने अपनी चुटीली टिप्पणियों से इस वर्ष पाठकों को सर्वाधिक आकर्षित किया । इसके अलावा वर्ष-२०१० में हास्य-व्यंग्य के दो चिट्ठों ने खूब धमाल मचाया पहला है श्री राजीव तनेजा का हंसते रहो । आज के भाग दौर , आपा धापी और तनावपूर्ण जीवन में हास्य ही वह माध्यम बच जाता है जो जीवन में ताजगी बनाये रखता है । इस दृष्टिकोण से राजीव तनेजा का यह ब्लॉग वर्ष-२०१० में हास्य का बहुचर्चित ब्लॉग होने का गौरव हासिल किया है । इनके एक पोस्ट "झोला छाप डॉक्टर " को वर्ष का श्रेष्ठ व्यंग्य पोस्ट का अलंकरण प्राप्त हुआ है इस वर्ष । के. एम. मिश्र का सुदर्शन हास्य और व्यंग्य के माध्यम से समाज की विसंगतियों पर प्रहार करने में पूरी तरह सफल रहा इस वर्ष , किन्तु राजीव तनेजा की तुलना में इस ब्लॉग की सक्रियता में थोड़ी शिथिलता देखी गयी ।
सांस्कृतिक नगर वाराणसी के डा अरविन्द मिश्र और राजनैतिक नगरी दिल्ली के अविनाश वाचस्पति अपने स्पष्टवादी दृष्टिकोण के साथ-साथ विभिन्न चिट्ठों पर अपनी तथ्यपरक टिप्पणियों के लिए लगातार चर्चा में बने रहे । डा० अमर कुमार ने इस वर्ष टिप्पणियों के माध्यम से खूब धमाल मचाया । -रवीश कुमार ने महत्वपूर्ण चिट्ठों के बारे में लगातार प्रिंट मिडिया में लिखकर पाठकों को खूब आकर्षित किया । पुण्य प्रसून बाजपेयी अपनी राजनीतिक टिप्पणियों तथा तर्कपूर्ण वक्तव्यों के लिए लगातार चर्चा में बने रहे । एक वरिष्ठ मार्गदर्शक की भूमिका में इस वर्ष दिखे रवि रतलामी ,शास्त्री जे सी फिलिप,दिनेश राय द्विवेदी, जी के अवधिया, गिरीश पंकज, ज्ञान दत्त पाण्डेय, निर्मला कपिला,अनिता कुमार , मसिजीवी आदि ।
उल्लेखनीय है कि ललित शर्मा नें पहली वार्ता १० मार्च २०१० की टेस्ट पोस्ट में की ,जबकि पहली (आफ़िसियल) वार्ता ११ मार्च २०११ को ना कोई खर्चा-पढ़ने को मिलेगी ब्लॉग चर्चा ---- लेकर आए यशवंत मेहता । इस वार्ता के सदस्य के तीसरे रूप में आए राजीव तनेजा ,उसके बाद संगीतापुरी ने भी ब्लॉग4वार्ता के मंच पर शुरुआत की, उनके द्वारा नए ब्लोगरों की सर्वाधिक चर्चा की गयी । केवल पांच दिनों के अन्दर ही ब्लॉग4वार्ता ने अपना असर दिखानें लगी और ब्लॉग जगत में एक अलग स्थान बनाने में सफल हुई । १६ मार्च को गिरीश बिल्लोरे मुकुल नें चर्चा आरम्भ की,फिर इससे जुड़े राजकुमार ग्वालानी के साथ-साथ सूर्यकान्त गुप्ता ,१५ अप्रैल तक ताऊ रामपुरिया भी आ पहुंचे, फ़िर आया जून का महीना..... "रोज वार्ता लगेगी" के संकल्प पर सभी अडिग थे फलत: रोजाना वार्ता लगती रही। फ़िर वार्ताकार के रूप में आये शिवम मिश्र .... और उन्होनें व्यर्थ वार्ताओं से क्या लाभ लगाकर अपनी पारी की शुरुआत की।११ नवम्बर को ब्लॉग4वार्ता परिवार में इंट्री हुईनवोदित ब्लोगर रुद्राक्ष पाठक की ...तत्पश्चात इस टीम से अजय कुमार झा भी जुड़ गए ... फ़िर २३ नवम्बर को देव कुमार झा भी ब्लॉग4वार्ता के परिवार में शामिल हो गए । इसप्रकार लोग साथ आते गए और कारवां बनाता गया ! इसी का नतीजा है महज नौ महीनों में ३०० के आसपास पोस्ट (२९३ ) !यही है इस सामूहिक चर्चा ब्लॉग की सबसे बड़ी उपलब्धि,जबकि सर्वाधिक समर्थकों वाला व्यक्तिगत तकनीकी ब्लॉग बना रहाविगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी हिंदी ब्लॉग टिप्स ।
इस वर्ष का सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा रहा -कॉमनवेल्थ गेम, अयोध्या प्रकरण, विभूति नारायण और रवीन्द्र कालिया प्रकरण, भ्रष्टाचार, घोटाला, मंहगाई आदि ।
.......जारी है विश्लेषण मिलते हैं एक विराम के बाद
रविन्द्र भाई ... ब्लॉग 4 वार्ता के पूरे वार्ता दल की ओर से आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंआज यह वादा है आप सब से कि जो प्यार और भरोसा आप सब से मिला है उसका कभी भी नाजायज़ फायेदा नहीं उठाया जायेगा और हमारी पूरी टीम ऐसे ही रोज़ आप सब को निष्पक्ष भाव से ब्लॉग वार्ता प्रस्तुत करती रहेगी ! ब्लॉग 4 वार्ता आप सब का अपना मंच है ... ऐसे ही अपना स्नेह बनाये रखें ! सादर |
अरे ये सारे मेरे पसंदीदा ब्लॉग हैं, सबकी उन्नति देखकर ख़ुशी होती है ....आपका विश्लेषण विल्कुल सही है चिट्ठा चर्चा की लोकप्रियता का ग्राफ गिरा है और एक नए चर्चा मंच ने उसे पछाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है , बधाईयाँ ब्लॉग४वार्ता के जुझारू युवाओं को क्योंकि ब्लोगिंग का भविष्य इन्हीं युवाओं के कन्धों पर आने वाले समय में होगा, क्योंकि रवि रतलामी जी, जीतू जी, मसिजीवी जी को छोड़कर लगभग सभी प्रारंभिक ब्लोगर अस्तित्वविहीन हो चुके हैं और फ़ुरसतिया का क्या कहना वह तो पूरी तरह फुर्सत में है और गुटवाजी को बढ़ावा देने में आजकल सक्रीय है ! हम लोग अपने गाँव में कहते हैं न सठिया जाना तो आजकल सठिया गए हैं अनूप शुक्ल, पुन: बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंमनोज पाण्डे जी
जवाब देंहटाएंजो भी हो ब्लाग4वार्ता का उद्देश्य विकल्प बनना नहीं है वरन "हाथ-बटाई" है सच दिल में कोई प्रतिस्पर्धा-भाव किंचित भी नही.पकी भावनाओं का आदर है
शेष टिप्पणी देर रात
आभार
अच्छी प्रस्तुति, अच्छा विश्लेषण !
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंvery nice initiative, this is mile stone of hindi bloging ,thanks
जवाब देंहटाएंबढ़िया विश्लेषण .बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंमनोज पाण्डेय जी,
जवाब देंहटाएंआयुर्वेद में कहा गया है कि जो जितना चलेगा वह उतना जियेगा, इसलिए दूसरों के बारे में भ्रामक टिपण्णी करने से बचें, क्योंकि सकारात्मक सोचने वाला ही आगे जाता है ....हमें हर किसी को सम्मान देने की परंपरा को नहीं भूलना चाहिए, एक स्वस्थ और सार्थक ब्लोगिंग के लिए यह आवश्यक है कि अपने वरिष्ठ चिट्ठाकारों की मर्यादा का ख़याल रखा जाए !अनूप जी हम सभी के लिए श्रद्धेय हैं, इस बात का हमेशा ध्यान रखा जाए !
बहुत बढ़िया विश्लेषण.
जवाब देंहटाएंरविन्द्र जी,ब्लॉग4वार्ता प्रारंभ होने से लेकर आज तक हम बिला नागा पाठको को पोस्ट लिंक उपलब्ध करवा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंवार्ता को हमारे वार्ताकार बहुत गंभीरता से लेते हैं। जिसके फ़लस्वरुप हम आज यहां तक पहुंचे हैं। आपने ब्लॉग विश्लेषण में वार्ता को स्थान दिया, इसके लिए हम आभारी हैं।
आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं
आँखिन को शुख होत!
जवाब देंहटाएंबहुत ही स्पष्ट विश्लेषण और सार्थक पोस्ट रविंद्र भाई । यूं ही प्रोत्साहित करते रहें । सबको बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबधाई...फिर से.. गहरे तक उतरने के लिए.
जवाब देंहटाएंनिसंदेह ।
जवाब देंहटाएंयह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
धन्यवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
MILE STONE OF HINDI BLOGING
जवाब देंहटाएंPRANAM
सुंदर प्रस्तुति, अच्छा विश्लेषण.............
जवाब देंहटाएंबिना साठ के सठियाते हैं
जवाब देंहटाएंवे ब्लॉग जगत में आते हैं
चिंता नहीं करते हैं वे
ब्लॉगिंग के भाई साहब हैं जो
बड़े छोटे का भेद नहीं
एक समान हैं सब
आओ हिन्दी ब्लॉगरों हम सब सठियाते हैं। सबका स्वागत है सठियाने के लिए, अपने नाम लिखिये।
आपकी मेहनत साफ दिख रही है। बधाई।
जवाब देंहटाएं---------
पति को वश में करने का उपाय।
आपका यह विश्लेषण भी सराहनीय है ...आभार इसके लिये ।
जवाब देंहटाएंजनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.
जवाब देंहटाएं@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"
जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?
जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.
आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.
आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?
वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.
हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.
सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी