वर्ष-२०११ की शुरुआत एक ऐसी घटना से हुई
जिसने पूरे देशवासियों का सर गर्व से भर दिया ।


"हिंदी ब्लॉगिंग के फलने-फूलने, चहुँओर निखरने का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है कि जनसत्ता जैसे नामी अखबारों के संपादकीय पृष्ठ पर नित्य एक ब्लॉग-सामग्री शामिल किया जाता है. और यहाँ मध्यभारत क्षेत्र के कई अखबारों में कट-पेस्ट कर हिंदी ब्लॉगों की सामग्री से पूरा का पूरा (जी हाँ, पूरा का पूरा)पेज बना लिया जाता है!"
रवि शंकर श्रीवास्तव (रवि रतलामी)
वरिष्ठ ब्लॉगर
साल 2011 ब्लॉग संसार के लिए एक नए अवसर और बेहतरी का पैगाम लेकर आया। ब्लॉगरों नें ब्लॉगिंग की दुनियां में नए मानदंड स्थापित किए और नए-नए प्रतिभावान ब्लॉगरों को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हिंदी ब्लॉगिंग और साहित्य के बीच सेतु निर्माण के उद्देश्य से पहली बार इस वर्ष- 2011 के अप्रैल माह से रश्मि प्रभा के संपादन में वटवृक्ष(त्रैमासिक ब्लॉग पत्रिका ) का प्रकाशन शुरू हुआ सुरेश चिपलूनकर ने इस वर्ष ब्लॉगिंग की चौथी सालगिरह मनाई, रचना ने पांचवीं, वहीँ चिट्ठा चर्चा ने सातवीं

वर्ष २०१० में अवतरित हुए ब्लॉग4वार्ता ने इस वर्ष की समाप्ति से कुछ दिन पूर्व १ लाख हिट्स के जादुई आंकड़े को पार कर गया ।सभी चिट्ठा चर्चाओं में वार्ता की रैंकिग इस वर्ष सबसे अच्छी रही । यह वार्ता की निरंतरता का परिणाम है।


हरबार की तरह इस वर्ष भी मनीष कुमार की वार्षिक संगीतमाला अपनी उल्टी गिनती के साथ शुरू हुई । फिल्म-संगीत पसंद करने वाले ब्लॉगरों के लिये हर वर्ष की शुरूआत में ये एक खास आकर्षण रहता है


दिल्ली की सर्दी से ब्रेक लेकर उत्तरांचल की पहाड़ियों पर विचरता अपना कुमाऊँनी भूल्ला दर्पण अपने सेलेक्टिव लव के जरिये प्रेम पर{और प्रेमिका पर} पर अनुभव बाँटता हुआ एकदम से जहां अपनी उम्र से बड़ा नजर आया वहीँ फैज़ की जन्म शती पर इज़हारे-अक़ीदत और वक़्त की कैफ़ियत नाम से समग्र विश्लेषण देखने को मिला जिद्दी धुन पर अभिषेक ओझा का सेंस आव ह्यूमर एक गणितज्ञ होने के बावजूद हमेशा लुभाता है। इस बार उनकी बकरचंद की गाथा काफी सराही गयी।


वहीँ शरद कोकास की कविता सितारों का मोहताज होना अब जरूरी नहीं को इस वर्ष अत्यधिक सराहना मिली आनंद वर्धन ओझा गणतंत्र दिवस में ट्रैफिक लाइट पर दो रूपये का तिरंगा बेचती लड़की को देखकर कुछ दम तोड़ते से विचारों को प्रस्तुत करके सोचने पर विवश कर दिया, वहीँ स्व. कन्हैयालाल नंदन जी के वर्षगांठ पर लखनऊ के पत्रकार-कथाकार दयानंद पाण्डेय ने नंदन जी जुड़ी अपनी यादों को विस्तार से लिखा।

इस वर्ष चिट्ठाकारिता और चिट्ठाकारों को स्तब्ध कर देने वाली खबर आई वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार मृणाल पाण्डेय की ओर से ,जब उनके द्वारा यह वक्तव्य प्रसारित किया गया कि “ब्लॉग जगत गालीयुक्त हिंदी का जितने बड़े पैमाने पर प्रयोग कर रहा है, उससे लगता है कि गाली दिए बिना न तो विद्रोह को सार्थक स्वर दिया जा सकता है, न ही प्रेम को।” इस पर कई दिनों तक गरमागरम वहस होती रही अनूप शुक्ल ने कहा कि "हिंदी ब्लॉग जगत इत्ता बुरा नहीं है भाई । " वहीँ मृणाल पाण्डेय के उक्त वक्तव्य पर 19जनवरी 2011 को अपने ब्लॉग क्वचिदन्यतोSपि...पर डा. अरविन्द मिश्र की प्रतिक्रिया काफी तीखी रही उन्होंने प्रखर विरोध दर्ज करते हुए कहा कि "इन दिनों गालियाँ भी खूब ग्लोरिफायिड हो रही हैं .यहाँ ब्लॉग जगत में स्पंदन पर शुरू हुई सुगबुगाहट फ़ुरसतिया तक पहुँचते पहुँचते एक बवंडर बन गयी और अब मृणाल पाण्डेय जी के मानस को आलोड़ित कर रही हैं .उनका कहना है कि अपना ब्लॉग जगत गाली गलौज की फैक्ट्री बन गया है और इससे वे काफी संवेदित दिख रही हैं! उनका पूरा आलेख यहाँ पढ़ सकते हैं .उन्होंने गाली गलौज के बढ़ते लोकाचार को एक अप संस्कृति का आवेग माना है .आईये फिर से एक गाली विमर्श करते हैं अरे भाई गाली गलौज नहीं ...बस इसलिए कि मुझे भी कुछ कहना है ...।"

वर्ष की शुरुआत में कुछ सारगर्भित पोस्ट देखने को मिले जिसमें कडुवा सच पर हाईप्रोफाइल लाईफ !! ,फिल्‍म समीक्षा :दिल तो बच्चा है जी ,सप्तपदी वैदिक विवाह...सात वचनों का अर्थ...सर्जना शर्मा , अभियांत्रिकी निकाय की अपेक्षा चिकित्सा निकाय की ओर रुझान कम क्यों? ,महिला पत्रकारों के प्रति लोगों का नजरिया - रीता विश्वकर्मा ।कुश ने एक मजेदार पोस्ट लिखी -कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की

वापू की पुण्य तिथि पर दो पोस्ट काफी सराही गयी । एक दीपक बाबा की .. बापू की बकरी के वंशज और दूसरी जया केतकी की प्रस्‍तुति .. एक बार फिर बापू याद आए। ब्लॉगिंग को विशेषकर हिंदी ब्लॉगिंग को पांव पसारे अभी ज्यादा समय बीता भी नहीं है कि उसे निशाने पर लिया जाने लगा है । इस विषय पर इस वर्ष एक बढ़िया आलेख पढ़ने को मिला शीर्षक था ब्लॉगिंग को ललकारिए मत , ब्लॉगिंग ललकारेगी तो आप चित्कार कर उठेंगे
इस वर्ष न दैन्यं न पलायनम पर समीर लाल समीर के उपन्यास की अच्छी समीक्षा पढ़ने को मिली प्रवीण पाण्डेय के बहता समीर में । प्रतिभा कटियार की नज़रों में इस वर्ष जहां खाली-खाली सा रहा बसंत वहीँ जे. के. अवधिया ने पूरी द्रढता के साथ कहा कि जरूरी तो नहीं कि प्रत्येक पति जोरू का गुलाम हो । इस वर्ष जहां विज्ञापनों के सच से रूबरू कराया प्रवीण पाण्डेय ने वहीँ ताऊ ने आयोजित की अनोखे ढंग से ब्लॉग भौजी सुन्दरी प्रतियोगिता

वर्ष-२०११ की शुरुआत एक ऐसी ऐतिहासिक घटना से हुयी जिसने पूरे देश वासियों का सर गर्व से भर दिया । हुआ यों कि भारत ने श्रीलंका को छह विकेट से हराकर 28 साल बाद क्रिकेट विश्व कप जीत लिया। भारत ने विश्व कप क्या जीता, दर्शक सहित ब्लॉगर मन भी कप को लेकर उत्सव मनाने में डूबे हैं। रश्मि प्रभा ने नीलम प्रभा के साथ मिलकर इस उत्सव को जहां एक नया आयाम देने की कोशिश की, वहीँ विश्व कप की जीत से खुश होकर वटवृक्ष पर वंदनवार गाने लगी ।
कबाडखाना पर पत्रकार शिव प्रसाद जोशी ने लिखा कि जब समस्त दावतें, हुंकार, नारे और चिल्लाहटें खामोश हो जाएंगी, जब सड़कों पर उड़ता गदरेगुबार बैठ जाएगा, जब लोग अपने-अपने यथार्थ में लौटेंगे, जब उन्हें अचानक खुशी के पलों के बीत जाने के बाद का खालीपन, सन्नाटा और छलावा महसूस होने लगेगा, तब कुछ सवाल बनेंगे। कुछ तो सवाल बनेंगे ही। प्रवीण शाह ने अपने ब्लॉग पर विश्व कप जितने वाले अनोखे कप्तान के बारे में पूरी साफगोई के साथ कहा कि ऐसा कहीं लग ही नहीं रहा था कि आप विश्व कप के फाइनल में एक खतरनाक गेंदबाजी आक्रमण के विरुद्ध एक मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते भारतीय कप्तान को देख रहे हैं। लग रहा था कि शांत रमणीक वन में जैसे कोई साधक तपस्या कर रहा हो। सचिन राठौड़ ने अपने ब्लॉग अपना समाज पर जीत को लेकर बेहद भावुक दिखे । उन्होंने कहा कि ये हौसले की कमी ही तो थी, जो हमको ले डूबी, वरना भंवर से किनारे का फासला ही क्या था। जगदीश्वर चतुर्वेदी ने अपने ब्लॉग नया जमाना पर लिखा कि हमें क्रिकेट को बाजारवाद का औजार मानने की मूर्खताओं से बचना चाहिए। सबके अपने-अपने तर्क थे, अपनी-अपनी राय थी मगर जीत की ख़ुशी साफ़ दिखाई दे रही थी ।

परिचर्चावैसे तो इस वर्ष को साझा ब्लॉगिंग का वर्ष कहा जाए तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इस वर्ष अप्रत्याशित रूप से कई सामूहिक ब्लॉग अस्तित्व में आए,जिसमें प्रमुख है हरीश सिंह के द्वारा संचालित भारतीय ब्लॉग लेखक मंच 11 फरवरी 2011 को अस्तित्व में आया, जो हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के साथ ब्लॉग लेखको में प्रेम, भाईचारा, आपसी सौहार्द, देश के प्रति समर्पण और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अस्तित्व में आया दूसरा महत्वपूर्ण साझा ब्लॉग है प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघमनोज पाण्डेय के द्वारा संचालित इस ब्लॉग से हिंदी के कई महत्वपूर्ण ब्लॉगर जुड़े हैं ।उल्लेखनीय है कि 17 फरवरी 2011 को ज्ञानरंजन जी के घर से लौटकर गिरीश बिल्लोरे मुकुल ने इस साझा ब्लॉग पर पहला पोस्ट डाला था. ज्ञान रंजन जी प्रगतिशील विचारधारा के अग्रणी संपादकों और सर्जकों में से एक हैं उनसे और उनकी यादों इस साझा ब्लॉग का शुभारंभ होना अपने आप में गर्व की बात है । तीसरा साझा ब्लॉग है डा. अनवर जमाल खान के द्वारा संचालित हिंदी ब्लॉगर्स फोरम इंटरनेशनल ,जबकि लखनऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन पर लेखकों की संख्या ज्यादा हो जाने से इस वर्ष वन्दना गुप्ता की अध्यक्षता में एक नया साझा ब्लॉग अवतरित हुआ जिसका नाम है ऑल इण्डिया ब्लॉगर्स असोसिएशन । सबकी चर्चा करना तो संभव नहीं,किन्तु विशेष रूप से दो और साझा ब्लॉग के बारे में बताता चलूँ पहला 28 फरवरी को शुरू रश्मि प्रभा के संचालन में शुरू परिचर्चा और उसके बाद सत्यम शिवम् के द्वारा संचालित साहित्य प्रेमी संघ और 13 अप्रैल को डा. रूप चाँद शास्त्री मयंक की अध्यक्षता में आया मुशायरा विषय प्रधान होने के कारण अपने आप में उल्लेखनीय है ।


अब चलिए चलते हैं सदी के सबसे बड़े आन्दोलन की ओर, एक ऐसी चिंगारी जिसे आग में परिवर्तित किया हिंदी ब्लॉग जगत,ट्विटर और फेसबुक ने । पहली बार इतने बड़े पैमाने पर किसी आन्दोलन को हवा देने का कार्य किया गया हिंदी ब्लॉगिंग अर्थात न्यू मीडिया के द्वारा । आप समझ गए होंगे की मैं किस आन्दोलन की बात कर रहा हूँ । जी हाँ कई चरणों में भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के सत्याग्रह की । बाबा रामदेव का आन्दोलन भले ही राजनीति की बलि चढ़ गया हो किन्तु पक्ष या विपक्ष में ब्लॉग जगत अवश्य मुखर रहा ।लोकसंघर्ष ने कहा नेता रामदेव यादव को लाल सलाम वहीँ दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका में कहा गया कि"अंततः बाबा रामदेव के निकटतम चेले ने अपनी हल्केपन का परिचय दे ही दिया जब वह दिल्ली में रामलीला मैदान में चल रहे आंदोलन के लिये पैसा उगाहने का काम करता सबके सामने दिखा। जब वह दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं तो न केवल उनको बल्कि उनके उस चेले को भी केवल आंदोलन के विषयों पर ही ध्यान केंद्रित करते दिखना था। यह चेला उनका पुराना साथी है और कहना चाहिए कि पर्दे के पीछे उसका बहुत बड़ा खेल है। "

जबकि अभिव्यक्ति का यह स्वतंत्र माध्यम अन्ना के बहुआयामी आन्दोलन के पक्ष और विपक्ष में कुछ ज्यादा मुखर रहा पूरे वर्ष ।अष्टावक्र पर अरुणेश सी दवे का यह आलेख अन्ना हजारे , लोकपाल , गधे की हड्डी और कुत्ते की दुम को काफी सराहा गया जबकि कडुवा सच पर उदय के आलेख जन लोकपाल बिल : सवालों के कटघरे ! और एक चिटठी अन्ना हजारे के नाम !! गंभीर विमर्श को जन्म देता प्रतीत हुआ । वेबदुनिया ने पूछा अन्ना हजारे के पीछे कौन...? वहीँ अनकही पर रजनीश झा ने सवाल उठाया कौन है अन्ना हजारे ?

इसी दौरान देश्नामा पर खुशदीप ने पूछा अन्ना के बयान पर 'नारी' चुप क्यों...? जनपक्ष ने अन्ना आन्दोलन का एक पुनरावलोकन प्रस्तुत किया वहीँ की बोर्ड का सिपाही पर नीरज दीवान की पीड़ा साफ़ महसूस की जा सकती थी "74 साल का बूढ़ा भूखा है.. सरकार भूखे को देखकर नहीं पसीजती है.. बुंदेलखंड से लेकर उड़ीसा तक दर्ज़नों भूख से दम तोड़ते हैं.. सरकार भूख नहीं बल्कि भीड़ से डरती है। विडम्बना है कि भीड़ किसी भूखे को देखने के लिए जुट रही है.. क्या हम Sadist लोग हैं जो अन्ना के अनशन पर जुट रहे हैं? अन्ना प्लीज़ अनशन तोड़ दीजिए और केवल धरना दीजिए। अन्ना आदरणीय है.. अन्ना का इतिहास और वर्तमान मुझे भारतीय होने पर गौरवान्वित करता है। किंतु अन्ना का अनशन मुझे शर्मिंदा कर रहा है। मेरे या लोगों को जगाने के लिए अन्ना का अनशन पर चले जाना दुखद ही है। मैं 24 घंटा भूखा नहीं रह पाता। ये वृद्ध 200 घंटे से भूखा है। फ़िल्म ‘गाइड’ का आखरी दृश्य याद आ रहा है जहां नायक अंतर्द्वंद में हैं.. दिल और दिमाग़ के बीच संवाद जारी है.. “सवाल यह नहीं है कि पानी बरसेगा या नहीं.. सवाल यह नहीं है कि मैं जीउंगा या मरुंगा.. सवाल यह है कि इस दुनिया को चलाने वाला कोई है या नहीं” वहीँ अन्ना आन्दोलन का मुखर विरोध करने वाले ब्लॉगरों में रणधीर सिंह सुमन ज्यादा मुखर दिखे उन्होंने अपने ब्लॉग लोकसंघर्ष पर लगातार अन्ना आन्दोलन के विरोध की बागडोर संभाले रखा । उन्होंने दृढ़ता के साथ आंदोलन के औचित्य, तरीकों और उसके पीछे के लोगों पर सवाल उठाये ।उन्होंने अपने एक आलेख में कहा कि टोपियाँ बदलने का खेल है अन्ना वहीँ दूसरे आलेख में कहा कि नव धनाढ्य उच्च स्तरीय धर्मगुरूओ ,सत्तासीन नेताओं और व्यवस्था के मदारियों से जनसाधारण को उम्मीद नही रखनी चाहिए। इस आलेख में विरोध का स्वर कुछ ज्यादा मुखर रहा ।

ओसामा बिन लादेन के मरने के बाद हिंदी ब्लॉग जगत में तरह-तरह के अनोखे पोस्ट आये , जिसमें से एक है सुनिए मेरी भी पर प्रवीण शाह ने कहा मारा गया एक ओसामा, सर उठाये जिंदा खड़े हैं अभी भी अनेक सवाल !!! , वेबदुनिया ने कहा 'सेक्स मशीन' था ओसामा बिन लादेन , हाशिया पर एक विमर्श को हवा दी गयी जिसका शीर्षक था ओसामा बिन लादेन की दूसरी मौत: एक नाटक की गंध । ओसामा के मरने के बाद सबने अपने-अपने ढंग से अपनी बात रखी, देश के प्रमुख व्यंग्यकार अशोक चक्रधर ने अपने ब्लॉग पर अपना व्यंग्य प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक था धरती की धुरी की चिंता , वहीँ भड़ास 4मीडिया पर एक वेहतरीन आलेख पढ़ने को मिला पाकिस्तान के लिए अब यूजलेस था ओसामा बिन लादेन

20 मई को सुश्री ममता बैनर्जी '' ने पश्चिम बंगाल में ३४ वर्षों से सत्तारूढ़ वाममोर्चे की सरकार को उखाड़ फेंका विचारों का चबूतरा पर शिखा कौशिक ने इसे वर्ष का सबसे बड़ा चमत्कार बताया और उसे वर्ष 2011-सबसे सशक्त महिला ''बंगाल की शेरनी '' यानी ममता बनर्जी की संज्ञा से नवाज़ा । जबकि न्यू मीडिया पोर्टल चौथी दुनिया का मानना है कि मजहबी ही नहीं, समाजिक सियासी फतवे की भी शिकार ... है ममता । रविवार की प्रतिक्रया थी ...कि बरगद उजड़ गया आदि-आदि ।

My Photoये तो रही राजनीति की ममता, अब आईये ब्लॉगिंग की ममता का भी जिक्र हो जाए । मेरा मतलब है ब्लॉगिंग में अपनी योग्यता,प्रतिभा और काबलियत का लोहा मनवाने वाली शिखा वार्ष्णेय की चर्चा से जिनकी इस वर्ष की उपलब्धियों में से कुछ का जिक्र करना मैं आवश्यक समझ रहा हूँ ,जो इसप्रकार है-

  • 2011- जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में "नई भाषा नए तेवर के तहत रवीश कुमार द्वारा स्पंदन और उसकी पोस्ट का जिक्र.


  • १३ मार्च २०११ - लन्दन में हुए अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन के एक सत्र का संचालन जिसमें देश विदेश से अजय गुप्त, पद्मेश गुप्त, डॉ.सुधीश पचौरी, तेजेंदर शर्मा, बोरिस ज़खारिन, ल्युदमिला खाख्लोवा, के के श्रीवास्तव, वेद मोहला,प्रेम जन्मजय,डॉ रामचंद्र रे, गौतम सचदेव, आनंद कुमार, अशोक चक्रधर,बागेश्री चक्रधर,रमेश चाँद शर्मा, देविना ऋषि, सुरेखा चोफ्ला, तितिक्षा, बालेन्दु दधीचि आदि सम्मिलित थे.


  • मार्च २०११ - भारतीय उच्चायोग लन्दन में माननीय उच्चायुक्त महोदय द्वारा संस्मरण के लिए लक्ष्मी मल्ल सिंघवी अनुदान ससम्मान .


  • जून २०११ - बर्मिंघम (यू के ) में हुए यू के विराट क्षेत्रीय सम्मलेन में इंटरनेट मीडिया पर अपने वक्तव्य के साथ भागीदारी.


  • भारत के लगभग सभी स्थापित और लोकप्रिय पत्र पत्रिकाओं में आलेखों का प्रकाशन.


  • दिसंबर २०११- प्रथम पुस्तक /संस्मरण "स्मृतियों में रूस " का डायमंड बुक्स से प्रकाशन.


  • जब आप हिंदी ब्लॉगजगत के संपूर्ण विहंगावलोकन से गुजरेंगे तो पायेंगे कि कि चाहे कोई भी मुद्दा हो ब्लॉग जगत प्रत्येक मुद्दों पर पूरी दृढ़ता के साथ मुखर रहा है । इस विषय पर हम आगे भी बात करेंगे,किन्तु अभी लेते हैं एक विराम ।
    ..........विश्लेषण अभी जारी है,फिर मिलते हैं लेकर वर्ष-२०११ की कुछ और झलकियाँ

    50 comments:

    1. 'bhayankar' mehanat karate hain aap..badhai aur shubhkamnaye ki yah oorja bani rahe..

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    2. कितना कुछ समेटे इतना गहन विश्लेषण..

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    3. गहन विश्‍लेषण।
      एक ही पोस्‍ट में ब्‍लाग जगत की हलचल और इसके जरिए हो रहे काम की जानकारी मिल रही है....
      बहुत खूब।

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    4. फिर से वही पैनी नज़र....काफी-कुछ इतनी कम जगह में आपने समा दिया है !

      आभार !

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    5. ब्लॉग जगत की हलचल को बाँधने का भागीरथ प्रयास ... अच्छा लगा बहुत ही ...

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    6. निष्पक्ष समीक्षा!
      उत्तम विश्लेषण!!

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    7. पुरे वर्ष की हुई गतिविधियों से परिचय मिल रहा है .. साधुवाद

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    8. लक्ष्य पर अडिग सधे कदम , दूरदृष्टि , समर्थ अवलोकन - गंभीर , निष्पक्ष प्रस्तुति -

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    9. विश्‍लेषण को पारखी नज़रों का साथ मिले तो वह बिल्‍कुल यूं ह‍ी सबके सामने अपनी सार्थकता सिद्ध करती है ..इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिए आभार ।

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    10. बेहद गहन और निष्पक्ष विश्लेषण किया है यही आपको सबसे अलग बनाता है …………नमन है आपकी ऊर्जा और कार्य को।

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    11. सिर्फ़ एक शब्द कहूं ........अद्वितीय , अकल्पनीय , और अवर्णनीय ।

      आपके श्रम को सलाम । हिंदी अंतर्जाल के संदर्भ में ये पन्ना भी मील का पत्थर बन चुका है । बहुत बहुत शुभकामनाएं । इस पोस्ट को ही बुकमार्क किए ले रहा हूं

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    12. आपका यह कार्य ब्लॉगिंग के महानतम कार्यों में से एक है,अद्भुत,अनोखा और अतुलनीय !

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    13. निश्चित रूप से आपने इस महती कार्य से हिंदी ब्लॉगिंग में एक अलग छवि विकसित की है, बधाई !

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    14. नि:शब्द हूँ मैं इस विश्लेषण को देखकर !

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    15. त्यंत श्रद्धा और समर्पण से किये गए इस कार्य को मेरा नमन !

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    16. बेहद गहन और निष्पक्ष विश्लेषण,बधाई !

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    17. बढियां समीक्षात्मक प्रस्तुति!

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    18. निष्पक्ष विश्लेषण ... आपकी मेहनत को सलाम ...जय हो !

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    19. एक स्तरीय, निष्पक्ष एवं बेबाक विश्लेषण ! बहुत ही बढ़िया !

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    20. बहुत बढ़िया विश्लेषण अच्छा लगा पढ़कर !

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    21. काफी समय और श्रम व्यय करके आपने ये दोनों विश्लेषण तैयार किए हैं जिनसे हम सब को एक झटके मे तमाम जंकारीये तुरंत मिल जाती हैं। पहले ही अंक मे मुझे भी स्थान दिया,इसके लिए बहुत-बहुत आभारी हूँ। 11 सितंबर 2010 के आपकी पुस्तकों के विमोचन कार्यक्रम को प्रत्यक्ष देखा था और खुशी हासिल हुई थी।

      मृणाल पांडे जी के लिंक पर लेख का अवलोकन न हो सका। फिर भी उनके जो उद्गार आपने दिये हैं उनके अनुसार उनकी शंका को गैर वाजिब नहीं कहा जा सकता। मै भी गाली-गलौज वाले ब्लागर्स एवं फेसबुकियों को गलत मानता हूँ।

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    22. आपके इस उत्कृष्ट प्रयास को नमन

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    23. विजय जी की बातों में पीड़ा है सकारात्मक ब्लॉगिंग का, आपसे भी निवेदन है रवीन्द्र जी कि
      गाली-गलौज करने वाले ब्लॉगर्स को विश्लेषण से दूर ही रखें, उनकी चर्चा करके विश्लेषण की गरिमा को कम न करें !

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    24. ब्लॉगिंग की वार्षिक गतिविधियों का एक ही स्थान पर रोचक वर्णन!

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    25. सार्थक चर्चा ...
      उम्मीद है, इस बार चेहरे नहीं, शब्द विजित होंगे ...
      आगामी योजनाओं व रणनीतियों के लिए शुभकामनाएं ...

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    26. गहन विश्लेषण!

      इसी बहाने हम जैसे निष्क्रिय ब्लोगेर्स को साल भर की जानकारी मिलती रहेगी !

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    27. bahut gahan vishleshan kiya gaya.isake liye kiya gaya parishram ke liye aap badhai ke patra hai. blogging ke saagar se moti chuna kar lana aasan kaam nahin hai. punah badhai aur agale vishleshan ka intjaar ..............

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    28. बेहतरीन विश्लेषण..साधुवाद स्वीकारें !!

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    29. बहुत ही बेहतरीन प्रयास है!

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    30. @ लक्ष्य पर अडिग सधे कदम , दूरदृष्टि , समर्थ अवलोकन - गंभीर , निष्पक्ष प्रस्तुति -
      रश्मि प्रभा जी
      @बेहद गहन और निष्पक्ष विश्लेषण किया है यही आपको सबसे अलग बनाता है …………नमन है आपकी ऊर्जा और कार्य को।
      वंदना जी
      @बेहद गहन और निष्पक्ष विश्लेषण,बधाई !
      गीतेश जी
      @निष्पक्ष विश्लेषण ... आपकी मेहनत को सलाम ...जय हो !
      शिवन मिश्रा जी
      @एक स्तरीय, निष्पक्ष एवं बेबाक विश्लेषण ! बहुत ही बढ़िया !
      साधना वैद जी

      इन उन्तालीस टिप्पणियों में बार - बार " निष्पक्ष " शब्द का प्रयोग किया गया ...आखिर क्या माजरा है . आपने विश्लेषण किया है . कोई निर्णय नहीं दिया है . ब्लॉग जगत की वर्ष भर की तमाम और सार्थक गतिविधियों से सबको रूबरू करवाया है , यह एक अच्छी बात है . अब पक्ष , विपक्ष और निष्पक्ष का प्रश्न कहाँ से उठ रहा है . क्या कहीं पक्ष लेने की सम्भावना दिखती है ???

      जवाब देंहटाएं
    31. उदय जी,
      सही कहा आपने, इस बार चहरे नहीं शब्द विजित होंगे !

      जवाब देंहटाएं
    32. केवल राम : ने पोस्ट " परिकल्पना ब्लॉग विश्लेषण-2011 (भाग-2 ) " पर एक टिप्पणी छोड़ी है, किन्तु गूगल बाबा की मेहरवानी से प्रकाशित न हो सका, पढ़ें :

      @ लक्ष्य पर अडिग सधे कदम , दूरदृष्टि , समर्थ अवलोकन - गंभीर , निष्पक्ष प्रस्तुति -
      रश्मि प्रभा जी
      @बेहद गहन और निष्पक्ष विश्लेषण किया है यही आपको सबसे अलग बनाता है …………नमन है आपकी ऊर्जा और कार्य को।
      वंदना जी
      @बेहद गहन और निष्पक्ष विश्लेषण,बधाई !
      गीतेश जी
      @निष्पक्ष विश्लेषण ... आपकी मेहनत को सलाम ...जय हो !
      शिवन मिश्रा जी
      @एक स्तरीय, निष्पक्ष एवं बेबाक विश्लेषण ! बहुत ही बढ़िया !
      साधना वैद जी

      इन उन्तालीस टिप्पणियों में बार - बार " निष्पक्ष " शब्द का प्रयोग किया गया ...आखिर क्या माजरा है . आपने विश्लेषण किया है . कोई निर्णय नहीं दिया है . ब्लॉग जगत की वर्ष भर की तमाम और सार्थक गतिविधियों से सबको रूबरू करवाया है , यह एक अच्छी बात है . अब पक्ष , विपक्ष और निष्पक्ष का प्रश्न कहाँ से उठ रहा है . क्या कहीं पक्ष लेने की सम्भावना दिखती है ???

      जवाब देंहटाएं
    33. इस विस्तृत विश्लेषण के लिए कितना श्रम करना पड़ा होगा ये हम अंदाज़ा ही नहीं लगा सकते. आपकी श्रशीलता को सलाम.आपकी व्यापक सोच को साधुवाद

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    34. हिंदी ब्लॉग जगत में "रचना" का भी उल्लेख हैं और वो भी सकारात्मक तरीके से , चलिये याद रखने के लिये शुक्रिया
      नये साल की बधाई

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    35. Aapki bebak tippni ab janata mein naya sanchar karegi. Bloggers ka kaam apne aap mein bemisaal hai. shubhkamnaon ke saath

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