ज के दौर में बेहद ताकतवर माध्यम है सामाजिक मीडिया। एक ऐसा वर्चुअल वर्ल्ड, एक ऐसा विशाल नेटवर्क, जो इंटरनेट के माध्यम से आपको सारे संसार से जोड़े रखने में समर्थ है। द्रुत गति से सूचनाओं के आदान-प्रदान और पारस्परिक संचार का एक बहुत सशक्त माध्यम है सामाजिक मीडिया। यह मीडिया जिसे वैकल्पिक मीडिया भी कहा जाता है पारस्परिक संबंध के लिए अंतर्जाल या अन्य माध्यमों द्वारा निर्मित आभासी समूहों को संदर्भित करता है। यह व्यक्तियों और समुदायों के साझा, सहभागी बनाने का माध्यम है। इसका उपयोग सामाजिक संबंध के अलावा उपयोगकर्ता सामग्री के संशोधन के लिए उच्च पारस्परिक मंच बनाने के लिए मोबाइल और वेब आधारित प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के रूप में भी देखा जा सकता है।

दुनिया में दो तरह की सिविलाइजेशन का दौर शुरू हो चुका है, वर्चुअल और फिजीकल सिविलाइजेशन। आने वाले समय में जल्द ही दुनिया की आबादी से दो-तीन गुना अधिक  आबादी अंतर्जाल पर होगी। दरअसल, अंतर्जाल एक ऐसी टेक्नोलाजी के रूप में हमारे सामने आया है, जो उपयोग के लिए सबको उपलब्ध है और सर्वहिताय है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स संचार व सूचना का सशक्त जरिया हैं, जिनके माध्यम से लोग अपनी बात बिना किसी रोक-टोक के रख पाते हैं। यही से सामाजिक मीडिया का स्वरूप विकसित हुआ है।

सोशल मीडिया एक अपरंपरागत मीडिया (nontraditional media) है। यह एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाता है जिसे इंटरनेट के माध्यम से पहुंच बना सकते हैं। सोशल मीडिया एक विशाल नेटवर्क है, जो कि सारे संसार को जोड़े रखता है। यह संचार का एक बहुत अच्छा माध्यम है। यह द्रुत गति से सूचनाओं के आदान-प्रदान करने, जिसमें हर क्षेत्र की खबरें होती हैं, को समाहित किए होता है।

सामाजिक मीडिया के जरिए किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश आदि को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है। हम ऐसे कई उदाहरण देखते हैं, जो कि उपरोक्त बातों को पुष्ट करते हैं जिनमें 'INDIA AGAINST CORRUPTION' को देख सकते हैं, जो कि भ्रष्टाचार के खिलाफ महाअभियान था जिसे सड़कों के साथ-साथ सामाजिक मीडिया पर भी लड़ा गया जिसके कारण विशाल जनसमूह अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़ा और उसे प्रभावशाली बनाया।

2014 के आम चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने जमकर सोशल मीडिया का उपयोग कर आमजन को चुनाव के जागरूक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। इस आम चुनाव में सामाजिक मीडिया के उपयोग से वोटिंग प्रतिशत बढ़ा, साथ ही साथ युवाओं में चुनाव के प्रति जागरूकता बढ़ी। सामाजिक मीडिया के माध्यम से ही निर्भयाको न्याय दिलाने के लिए विशाल संख्या में युवा सड़कों पर आ गए जिससे सरकार दबाव में आकर एक नया एवं ज्यादा प्रभावशाली कानून बनाने पर मजबूर हो गई।

जहां तक लोकप्रियता का मापदंड है तो आज के समय में सामाजिक मीडिया से बेहतरीन प्लेटफॉर्म और कोई नहीं है, जहां व्यक्ति स्वयं को अथवा अपने किसी उत्पाद को ज्यादा लोकप्रिय बना सकता हो। लोकप्रियता के प्रसार में आज फिल्मों के ट्रेलर, टीवी प्रोग्राम का प्रसारण भी सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है। वीडियो तथा ऑडियो चैट भी सोशल मीडिया के माध्यम से सुगम हो पाई है जिनमें फेसबुक, व्हॉट्सऐप, ट्विटर, लिंकडीन, इन्स्टाग्राम आदि कुछ प्रमुख प्लेटफॉर्म हैं।

सोशल मीडिया के कई रूप हैं जिनमें कि इन्टरनेट फोरम, वेबलॉग, सोशल ब्लॉग, माइक्रोब्लागिंग, विकीज, सोशल नेटवर्क, पॉडकास्ट, फोटोग्राफ, चित्र, चलचित्र आदि सभी आते हैं। अपनी सेवाओं के अनुसार सोशल मीडिया के लिए कई संचार प्रौद्योगिकी उपलब्ध हैं। उदाहरणार्थ-

1.   अंतर्जाल पर दैनन्दिनी यानी डायरी (उदाहरण के लिए, ब्लॉग)
2.   सहयोगी परियोजना (उदाहरण के लिए, विकिपीडिया)
3.   ब्लॉग और माइक्रोब्लॉग (उदाहरण के लिए, ट्विटर)
4.   सोशल खबर नेटवर्किंग साइट्स (उदाहरण के लिए डिग)
5.   सामग्री समुदाय (उदाहरण के लिए, यूट्यूब)
6.   सामाजिक नेटवर्किंग साइट (उदाहरण के लिए, फेसबुक)
7.   आभासी खेल दुनिया (जैसे, वर्ल्ड ऑफ वॉरक्राफ्ट)
8.   आभासी सामाजिक दुनिया (जैसे सेकंड लाइफ)
9.   इंटरनेट-आधारित फोटो-साझाकरण एप्लिकेशन (उदाहरण के लिए, इंस्टाग्राम)
10.  आभासी दुनिया की समग्र गतिविधियों पर नजर (उदाहरण के लिए गूगल प्लस)
11.  मोबाइल क्रांति का प्रतीकः व्हॉट्सऐप (Whatsapp)
12.  व्यावसायिक दृष्टि से बेहतर ब्रांड (जैसे लिंक्डइन)

ब्लॉग (BLOG)
blogger.com


क्या आप अपने व्यापार या व्यवसाय को बढ़ाने के लिए एक ब्लॉग शुरू करने जा रहे है, या आप अपने पसंदीदा विषय के विचारो को दूसरों के साथ साँझा करना चाहते है? ब्लॉग करना या तो मुफ्त है अन्यथा काफी सस्ता है, और आप यह ब्लॉगर या वर्डप्रेस पर ब्लॉग बनाकर मिनटों में शुरू भी कर सकते है।

ब्लॉग शब्द ‘‘वेब लॉग‘‘ से आया है और इसका मतलब होता है एक ऐसी वेबसाइट जो पत्रिका शैली फॉरमैट में तैयार की गई सभी एन्ट्रीज को शामिल करती है। पत्रिका शैली में आमतौर पर टेक्स, ईमेज और वेबसाइट के लिंक, वैसे वेबपेज या मल्टीमीडिया फाइलें होती हैं जो उल्टे कालानुक्रमिक क्रम में प्रस्तुत होती हैं। ब्लॉग में एक कमेंट सेक्शन भी मौजूद होता है। विभिन्न विषयों पर प्रकाशित किए गए लेख पर ब्लॉग के भीतर विजिटर्स को आकर अपनी बात कहने का स्पेस देता है और इस तरह एक संवाद का स्वतः स्फूर्त वातावरण तैयार करता है।

यह एक प्रकार का व्यक्तिगत जालपृष्ठ (वेबसाइट) होता है, जिन्हें दैनन्दिनी (डायरी) की तरह लिखा जाता है। हर चिट्ठे में कुछ लेख, फोटो और बाहरी कड़ियाँ होती हैं। इनके विषय सामान्य भी हो सकते हैं और विशेष भी। ब्लॉग  लिखने वाले को ब्लॉगर तथा इस कार्य को ब्लॉगिंग कहा जाता है। कई ब्लॉग किसी खास विषय से संबंधित होते हैं, व उस विषय से जुड़े समाचार, जानकारी या विचार आदि उपलब्ध कराते हैं। एक ब्लॉग में उस विषय से जुड़े पाठ, चित्रध्मीडिया व अन्य चिट्ठों के लिंक्स मिल सकते हैं। ब्लॉग में पाठकों को अपनी टीका-टिप्पणियां देने की क्षमता उन्हें एक संवादात्मक प्रारूप प्रदन प्रदान करती है। अधिकतर ब्लॉग मुख्य तौर पर पाठ रूप में होते हैं, हालांकि कुछ कलाओं (आर्ट ब्लॉग्स), छायाचित्रों (फोटोग्राफी ब्लॉग्स), वीडियो, संगीत (एमपी3 ब्लॉग्स) एवं ऑडियो (पॉडकास्टिंग) पर केन्द्रित भी होते हैं।

आज के संगणक जगत में ब्लॉग का भारी चलन चल पड़ा है। कई प्रसिद्ध मशहूर हस्तियों के ब्लॉग लोग बड़े चाव से पढ़ते हैं और उन पर अपने विचार भी भेजते हैं। ब्लॉग पर लोग अपने पसंद के विषयों पर लिखते हैं और कई ब्लॉग विश्व भर में मशहूर होते हैं जिनका हवाला कई नीति-निर्धारण मुद्दों में किया जाता है। ब्लॉग का आरंभ 1992 में लांच की गई पहली जालस्थल के साथ ही हो गया था। आगे चलकर 1990 के दशक के अंतिम वर्षो में जाकर ब्लोगिंग ने जोर पकड़ा। आरंभिक ब्लॉग संगणक जगत संबंधी मूलभूत जानकारी के थे। लेकिन बाद में कई विषयों के ब्लॉग सामने आने लगे। वर्तमान समय में लेखन का हल्का सा भी शौक रखने वाला व्यक्ति अपना एक ब्लॉग बना सकता है, चूंकि यह निःशुल्क होता है और अपना लिखा पूरे विश्व के सामने तक पहुंचाया जा सकता है।

चिट्ठों पर राजनीतिक विचार, उत्पादों के विज्ञापन, शोधपत्र और शिक्षा का आदान-प्रदान भी किया जाता है। कई लोग चिट्ठों पर अपनी शिकायतें भी दर्ज कर के दूसरों को भेजते हैं। इन शिकायतों में दबी-छुपी भाषा से लेकर बेहद कर्कश भाषा तक प्रयोग की जाती है। वर्ष 2004 में चिट्ठा शब्द को मेरियम-वेबस्टर में आधिकारिक तौर पर सम्मिलित किया गया था। कई लोग अब चिट्ठों के माध्यम से ही एक दूसरे से संपर्क में रहने लग गए हैं। इस प्रकार एक तरह से चिट्ठाकारी या चिट्ठाकारी अब विश्व के साथ-साथ निजी संपर्क में रहने का माध्यम भी बन गया है। कई कंपनियां आपके चिट्ठों की सेवाओं को अत्यंत सरल बनाने के लिए कई सुविधाएं देने लग गई हैं।

भारतियों के बारे में आमतौर पर यह कहा जाता है कि उनमें मिलनसारिता कम होती है। अगर इसे सही भी माना जाए तो मैं यह कहना चाहूँगा कि औसत भारतीय जब किसी से जुड़ता है तो सिर्फ संवाद के स्तर पर नहीं बल्कि उससे रिश्तेदारी भी कायम करता है। मोहल्ले पड़ोस में चाचाए बुआ और मामा जब तक नहीं बनतेए मेलजोल का आनंद अधूरा रहता है। तो वर्चुअल दुनिया में भी इस भारतीयता की मुझे कमी लगी। आज हिन्दी पट्टी के ब्लॉगरों का एक बड़ा समूह बनता जा रहा है।

लोगों का मानना है, कि जबसे सोशल मीडिया के अन्य माध्यम जैसे फेसबूक, ट्विटर आदि का वर्चस्व समाज में बढ़ा है ब्लॉगिंग के प्रति लोगों का रुझान कुछ कम हुआ है। जबकि ऐसा नहीं है। फेसबूक और ट्विटर को आप स्मार्ट और सुरक्षित तरीके से आइडिया के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं,  जबकि ब्लॉगिंग के माध्यम से कर सकते हैं। क्योंकि ब्लॉग डाक्युमेंटेशन का एक बड़ा माध्यम है। भारत या दुनिया में कहीं और युवा लोग जिस तरीके से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं उसमें फेसबूक ज्यादा लोकप्रिय है। हालांकि गूगल प्लस का आना भी कम दिलचस्प नहीं है। मैं मानता हूँ कि इधर ब्लॉगिंग के प्रति लोगों का रुझान कुछ कम हुआ है। लेकिन यह भी सही है कि ब्लॉगिंग का अपना एक अलग आनंद है जो अन्य माध्यमों में नहीं दिखाई देता। ब्लॉगिंग डाक्युमेंटेशन का एक बड़ा माध्यम है,  जबकि फेसबूक या ट्विटर आदि सोशल नेटवर्क पर प्रयोगकर्ताओं द्वारा अधिक व्यक्तिगत जानकारी और मौज मस्ती को ज्यादा तरजीह दी जाती है। ब्लॉग एकप्रकार की ऑन लाइन डायरी है जो आपके चिंतन को एक नया आयाम देने में समर्थ है। जबकि फेसबूक सामाजिक संबंधों को बनाने अथवा उनको परिलक्षित करने पर सर्वाधिक केन्द्रित होता है। दोनों अलग चीज है और दोनों की आवश्यकता और महत्व भी अलग.अलग है।
क्रम संख्या
वर्ष
हिन्दी ब्लॉग की अनुमानित संख्या
बढ़ोत्तरी का औसत
सक्रिय ब्लॉगरों की अनुमानित संख्या
महिला ब्लॉगरों की अनुमानित संख्या
1.
2003
15

10
5
2.
2004
55
  366 %
15
11
3.
2005
120
210 %
18
13
4.
2006
500
410 %
25
22
5.
2007
1100
220 %
40
38
6.
2008
2,000
182 %
100
700
7.
2009
6,000
300 %
300
1,000
8.
2010
12,000
200 %
500
3,000
9.
2011
20,000
167 %
1,000
5,000
10.
2012
50,000
250 %
5,000
7,000
11.
2013
80,000
160 %
8,000
11,000
12.
2014
1,50,000
137 %
15,000
16,000
13.
2015
2,20,000
148 %
22,000
26,000
14.
2016
3,10,000
140 %
31,000
42,000
15.
2017
4,21,000
139 %
42,000
65,000
16.
2018
5,01,000
120%
50,000
75,000
17.
2019
6,98,000
120%
70,000
1,10,000



एक प्रश्न बार-बार लोगों के जेहन में आता है, कि ब्लॉग और वेबसाइट में आखिरकार बुनियादी अंतर क्या है? इस संबंध में हम मेरा दृष्टिकोण है, कि ब्लॉग एक ऐसी ऑनलाइन जगह है जहाँ आप अपने विचारों को लेखों और चित्रों के माध्यम से इन्टरनेट पर प्रकाशित कर सकते हैं। ब्लॉग पर आप किसी भी प्रकार के लेख लिख सकते हैं जो आपके जीवन से जुड़ा हो भी सकता हैं या नहीं भी। ब्लॉग में पोस्ट लिखें जाते हैं जो तारीख, दिन  और  समय के अनुसार प्रकाशित किये जाते हैं। जबकि एक वेबसाइट कई कारणों से बनाया जा सकता है जैसे- प्रोडक्ट को बेचने के लिए, अपने फोलोवर्स के लिए, सोशल या ई कॉमर्स की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए। वेबसाइट में होमपेज के बाद अन्य सर्विस पेज होते हैं जो सभी एस्टेटिक होते हैं।



विकिपीडिया (Wikipedia)
https://www.wikipedia.org/


विकिपीडिया एक मुफ्त, वेब आधारित और सहयोगी बहुभाषी विश्वकोश है, जो गैर-लाभ विकिमीडिया फाउंडेशन से सहयोग प्राप्त परियोजना है। वर्ष 2011 की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में स्वयंसेवकों के सहयोग से विकिपीडिया के 13 मिलियन लेख लिखे गए हैं और इसके लगभग सभी लेखों को वह कोई भी व्यक्ति संपादित कर सकता है, जो विकिपीडिया वेबसाईट का उपयोग कर सकता है।

इसे जनवरी 2001 में जिम्मी वेल्स और लेरी सेंगर के द्वारा शुरू किया गया, यह वर्तमान में इंटरनेट पर सबसे लोकप्रिय सन्दर्भित कार्य है।

न्यूयार्क टाइम्स के जोनाथन डी, और एंड्रयू लिह ने ऑनलाइन पत्रकारिता पर पांचवीं अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में, विकिपीडिया के महत्त्व को न केवल एक विश्वकोश के सन्दर्भ में वर्णित किया बल्कि इसे बार बार अद्यतन होने वाले समाचार स्रोत के रूप में भी वर्णित किया क्योंकि यह हाल में हुई घटनाओं के बारे में बहुत जल्दी लेख प्रस्तुत करता है।

ट्विटर (Twitter)
https://twitter.com/

ट्विटर वा चिर्विर एक मुक्त सामाजिक संजाल व सूक्ष्म ब्लॉगर सेवा है, जो अपने उपयोगकर्ताओं को अपनी अद्यतन जानकारियां, जिन्हें ट्वीट्स वा चिर्विर वाक्य कहते हैं, एक दूसरे को भेजने और पढ़ने की सुविधा देता है। ट्वीट्स 140 अक्षरों तक के पाठ्य-आधारित पोस्ट होते हैं और लेखक के रूपरेखा पृष्ठ पर प्रदर्शित किये जाते हैं, तथा दूसरे उपयोगकर्ता अनुयायी (फॉलोअर) को भेजे जाते हैं। प्रेषक अपने यहां उपस्थित मित्रों तक वितरण सीमित कर सकते हैं, या डिफॉल्ट विकल्प में मुक्त उपयोग की अनुमति भी दे सकते हैं। उपयोगकर्ता ट्विटर वेबसाइट या लघु संदेश सेवा, या बाह्य अनुप्रयोगों के माध्यम से भी ट्विट्स भेज सकते हैं और प्राप्त कर सकते हैं।

इंटरनेट पर यह सेवा निःशुल्क है, लेकिन एस.एम.एस के उपयोग के लिए फोन सेवा प्रदाता को शुल्क देना पड़ सकता है। ट्विटर सेवा इंटरनेट पर वर्ष 2006 में आरंभ की गई थी और अपने आरंभ होने के बाद टेक-सेवी उपभोक्ताओं, विशेषकर युवाओं में खासी लोकप्रिय हो चुकी है। ट्विटर कई सामाजिक नेटवर्क जालस्थलों जैसे माइस्पेस और फेसबुक पर काफी प्रसिद्ध हो चुका है। ट्विटर का मुख्य कार्य होता है यह पता करना कि कोई निश्चित व्यक्ति किसी समय क्या कार्य कर रहा है। यह माइक्रो-ब्लॉगिंग की तरह होता है, जिस पर उपयोक्ता बिना विस्तार के अपने विचार व्यक्त कर सकता है। ऐसे ही ट्विटर पर भी मात्र 140 शब्दों में ही विचार व्यक्त हो सकते हैं।

सोशल मीडिया के इस सशक्त माध्यम में कैरेक्टर्स की संख्या भले ही बढ़ा दी गई है लेकिन इसके बावजूद ट्विटर तुरंत अपने विचार शेयर करने व इंस्टेंट कनेक्शन का टूल बना हुआ है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह आपकी जरूरत व रुचि के क्षेत्रों से जुड़ी सूचनाएं आपके पास सबसे पहले पहुंचा देता है। हैशटैग के इस्तेमाल से आप अपनी पोस्ट की पहुंच को बहुत बढ़ा सकते हैं। इससे आपका व आपकी कंपनी का प्रोफाइल भी बढ़ेगा। अगर आप हैशटैग का इस्तेमाल प्रोफेशनल तरीके से करेंगे तो आपको इसका बहुत लाभ मिलेगा। अगर आपकी व्याकरण अच्छी है और आप शब्दों का बेहतर इस्तेमाल करना जानते हैं तो यह मंच आपके लिए है। बॉलीवुड के तमाम सितारे इसका इस्तेमाल खुलकर करते हैं। यह मंच कितना जरूरी है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों जब अमिताभ बच्चन के फॉलोअर्स की संख्या अचानक कम कर दी गई थी तो उन्होंने यह प्लेटफार्म छोडने की धमकी तक दे डाली थी। बाद में ट्विटर की एक विशेषज्ञ टीम अमरीका से भारत आई और बच्चन को इसकी कार्यप्रणाली के बारे में समझाया।

डिग (Digg)
Digg.com

डिग क्युरेटेड फ्रंट पेज के साथ एक न्यूज एग्रीगेटर है, जो कि विशेष रूप से विज्ञान, रुझान वाले राजनीतिक मुद्दों और वायरल इंटरनेट के मुद्दों जैसे इंटरनेट ऑडियंस के लिए कहानियां चुनने के लिए लक्ष्य है। जबकि शुरू में यह एक लोकप्रिय सामाजिक समाचार वेबसाइट थी। 

यह 31 जुलाई, 2012 को अपने मौजूदा रूप में ट्विटर और फेसबुक जैसे अन्य सामाजिक प्लेटफॉर्म पर सामग्री साझा करने के लिए समर्थन के साथ लॉन्च किया गया था।

यूट्यूब (You Tube)
https://www.youtube.com/

यूट्यूब एक साझा वेबसाइट है जहाँ उपयोगकर्ता वेबसाइट पर वीडियो देख सकता है, रेटिंग दे सकता है, टिप्पणियाँ छोड़ सकता है और वीडियो क्लिप साझा कर सकता है। पेपल के तीन कर्मचारियों क्रमशरू स्टीव चैन, चार्ड हरले और जावद करीम ने 14 फरवरी 2005 में यू ट्यूब बनाई थी।

यूट्यूब की लाइव स्ट्रीमिंग सर्विस से ईवेंट को हम बड़ी आसानी से लाइव ब्रॉडकास्ट और होस्ट कर सकते हैं। यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीमिंग सेशन को कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस से सेट किया जा सकता है। सबसे पहले आप ये सुनिश्चित कर लें कि आपका अकाउंट वेरीफाई किया हुआ है। ये भी देख लें कि यह गूगल गाइडलाइन (कॉपीराइट का किसी तरह से उल्लंघन) का हर तरह से पालन करता हो। यहां इस बात की भी जरूरत होगी कि आपके पास सही हार्डवेयर हों. कंप्यूटर पर एक बेसिक वेबकैम और माइक्रोफोन से काम शुरू किया जा सकता है। आप यूट्यूब ऐप के माध्यम से भी लाइव स्ट्रीमिंग सेशन चला सकते हैं।

अक्सर यू-ट्यूब से लोगों की शिकायत रहती है कि वीडियो बनाने और पोस्ट करने पर कंपनी की तरफ से ठीकठाक पैसा नहीं दिया जाता। यू-ट्यूब के जरिये पैसे कमाने का केवल एक ही विकल्प है। इसमें आपने यदि कोई वीडियो यू-ट्यूब पर शेयर किया है तो उस पर आने वाले विज्ञापनों के अनुसार आपको पेमेंट किया जाता है। विज्ञापन का कारोबार करने वाली गूगल की ही कंपनी एडसेंस की तरफ से आपको भुगतान किया जाता है, लेकिन आने वाले समय में वीडियो बनाने वालों के पास पैसा कमाने के कई तरीके और मौके आने आजा रहे हैं। ऐसे चैनल जिनके एक लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं, उनकी सदस्यता के लिए दर्शकों को 4.99 डॉलर यानी लगभग 320 रुपये मासिक शुल्क का भुगतान करना होगा। वहीं वीडियो बनाने वाले शर्ट या फोन के कवर जैसी चीजें भी चैनल पर बेच सकते हैं।

गूगल आपके काम पर विज्ञापन देता है, इन विज्ञापन पर यूजर का इंटरेक्शन बढ़ने से कंपनी के साथ-साथ आपको भी कमाई होती है। बहुत से लोग इस काम से ही लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। गूगल विज्ञापन लाने का काम करती है। ऐसे में आपके बनाए हुए वीडियो या आर्टिकल पर यूजर की संख्या जैसे-जैसे बढ़ती है, उसी हिसाब से आपकी कमाई का स्तर भी बढ़ता रहता है। लेकिन अब गूगल ने एक लाख या इससे ज्यादा सब्सक्राइबर वाले चैनल के लिए नया प्लान पेश किया है।

आप में से कई लोग ऐसे होंगे जो यूट्यूब पर अपना चैनल चलाते होंगे, आपके चैनल के ठीक-ठाक सब्सक्राइबर भी होंगे और कुछ पैसे भी कमाते ही होंगे, लेकिन अब गूगल ने आपको पैसे कमाने का नया तरीका दे दिया है। अब आप अपने यूट्यूब चैनल के जरिए आप अपने सब्सक्राइबर और दर्शकों से पैसे भी ले सकेंगे।

यूट्यूब कंटेंट बनानेवालों के साथ रेवेन्यू सीधे साझा करता है, जिससे सफल विडियो क्रिएटर की कमाई हर महीने 10 हजार डॉलर तक हो जाती है। यूट्यूब की इस मामले में स्थिति बड़ी स्पष्ट है। वह कॉपीराइट उल्लंघन करनेवाले विडियो को तुरंत हटाता है। इसके अलावा हिंसा और अश्लीलता फैलानेवाले विडियो पर भी उसका रुख सख्त है। उसकी पूरी टीम इस मामले में काफी संवेदनशील है।

फेसबुक (FACEBOOK)
https://www.facebook.com/

फेसबुक अंतर्जाल पर स्थित एक निःशुल्क सामाजिक नेटवर्किंग सेवा है, जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने मित्रों, परिवार और परिचितों के साथ संपर्क रख सकते हैं। यह फेसबुक इंकॉ. नामक निजी कंपनी द्वारा संचालित है। इसके प्रयोक्ता नगर, विद्यालय, कार्यस्थल या क्षेत्र के अनुसार गठित किये हुए नेटवर्कों में शामिल हो सकते हैं और आपस में विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इसका आरंभ 2004 में हार्वर्ड के एक छात्र मार्क जुकेरबर्ग ने की थी। तब इसका नाम द फेसबुक था। कॉलेज नेटवर्किग जालस्थल के रूप में आरंभ के बाद शीघ्र ही यह कॉलेज परिसर में लोकप्रिय होती चली गई। कुछ ही महीनों में यह नेटवर्क पूरे यूरोप में पहचाना जाने लगा। अगस्त 2005 में इसका नाम फेसबुक कर दिया गया। फेसबुक में अन्य भाषाओं के साथ हिन्दी में भी काम करने की सुविधा है।

फेसबुक का उपयोग करने वाले अपना एक प्रोफाइल पृष्ठ तैयार कर उस पर अपने बारे में जानकारी देते हैं। इसमें उनका नाम, छायाचित्र, जन्मतिथि और कार्यस्थल, विद्यालय और कॉलेज आदि का ब्यौरा दिया होता है। इस पृष्ठ के माध्यम से लोग अपने मित्रों और परिचितों का नाम, ईमेल आदि डालकर उन्हें ढूंढ़ सकते हैं। इसके साथ ही वे अपने मित्रों और परिचितों की एक अंतहीन श्रृंखला से भी जुड़ सकते हैं। फेसबुक के उपयोक्ता सदस्य यहां पर अपना समूह भी बना सकते हैं।यह समूह उनके विद्यालय, कॉलेज या उनकी रुचि, शहर, किसी आदत और जाति का भी हो सकता है। समूह कुछ लोगों का भी हो सकता है और इसमें और लोगों को शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया जा सकता है। इसके माध्यम से किसी कार्यक्रम, संगोष्ठी या अन्य किसी अवसर के लिए सभी जानने वालों को एक साथ आमंत्रित भी किया जा सकता है।

लोग इस जालस्थल पर अपनी रुचि, राजनीतिक और धार्मिक अभिरुचि व्यक्त कर समान विचारों वाले सदस्यों को मित्र भी बना सकते हैं। इसके अलावा भी कई तरह के संपर्क आदि जोड़ सकते हैं। साइट के विकासकर्त्ता भी ऐसे कई कार्यक्रम तैयार करते रहते हैं, जिनके माध्यम से उपयोक्ता अपनी रुचियों को परिष्कृत कर सकें। फेसबुक में अपने या अपनी रुचि के चित्र फोटो लोड कर उन्हें एक दूसरे के साथ बांट भी कर सकते हैं। ये चित्र मात्र उन्हीं लोगों को दिखेंगे, जिन्हें उपयोक्ता दिखाना चाहते हैं। इसके लिये चित्रों को देखनेका अनुमति स्तर निश्चित करना होता है। चित्रों का संग्रह सुरक्षित रखने के लिए इसमें पर्याप्त जगह होती है। फेसबुक के माध्यम से समाचार, वीडियो और दूसरी संचिकाएं भी बांट सकते हैं।

फेसबुक पर उपयोक्ताओं को अपने मित्रों को यह बताने की सुविधा है कि किसी विशेष समय वे क्या कर रहे हैं या क्या सोच रहे हैं और इसे ‘‘स्टेट्स अपडेट‘‘ करना कहा जाता है। फेसबुक और ट्विटर के आपसी सहयोग के द्वारा निकट भविष्य में फेसबुक एक ऐसा सॉफ्टवेयर जारी करने जा रहा है, जिसके माध्यम से फेसबुक पर होने वाले ‘‘स्टेट्स अपडेट‘‘ सीधे ट्विटर पर अद्यतित हो सकेंगे। अब लोग अपने मित्रों को बहुत लघु संदेशों द्वारा यह बता सकेंगे कि वे कहाँ हैं, क्या कर रहे हैं या क्या सोच रहे हैं।

ट्विटर पर 140 कैरेक्टर के स्टेट्स मैसेज अपडेटको अनगिनत सदस्यों के मोबाइल और कंप्यूटरों तक भेजने की सुविधा थी, जबकि फेसबुक पर उपयोक्ताओं के लिये ये सीमा मात्र 5000 लोगों तक ही सीमित है। सदस्य 5000 लोगो तक ही अपने प्रोफाइल के साथ जोड़ सकते हैं या मित्र बना सकते हैं। फेसबुक पर किसी विशेष प्रोफाइल से लोगों के जुड़ने की संख्या सीमित होने के कारण ‘‘स्टेट्स अपडेट‘‘ भी सीमित लोगों को ही पहुँच सकता है।

अपने यूजर्स की विशाल संख्या के कारण फेसबुक विश्वव्यापी माध्यम है संपर्क बनाने का। इसकी पहुंच इतनी बड़ी व तगड़ी है कि कंपनियां व प्रोफेशनल्स, सब इसको पसंद करते हैं। यह आपके क्षेत्र में प्रेरक संपर्कों का माध्यम बन सकते हैं। आप अपने लेख पोस्ट कर सकते हैं और दुनिया को यह बता सकते हैं कि आप क्या चाहते हैं और क्या कर सकते हैं। इसके अलावा आप व्यक्तिगत प्रोफाइल बना सकते हैं। बिजनेस पेज बना सकते हैं। यह आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है क्योंकि जो लोग आपके बारे में जानने के इच्छुक हैं उनके लिए सामग्री उपलब्ध हो सकती है। आप व्यक्तिगत अपडेट्स के अलावा अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट व आइडिया यहां शेयर कर सकते हैं। भले ही वे लोग आपकी वेबसाइट पर नियमित रूप से नहीं आते हैं लेकिन फेसबुक आपकी जरूरी सूचनाएं उन तक पहुंचा देती है। अगर आप फेसबुक लाइव का रणनीतिक इस्तेमाल करें तो आप अपने कारोबार व काम से जुड़े पर्दे के पीछे के तथ्यों को भी सबके सामने उजागर कर सकते हैं। यह आपको आपके उपयोक्ता तक ले जा सकता है।

फेसबुक और ट्विटर के नकारात्मक पहलू-

फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ने मानहानि करने वाले 1662 वेबसाइटों और कॉन्टेंट को ब्लॉक कर दिया है। यह कार्रवाई कानून बनाने वाली एजेंसियों के अनुरोध पर की गई है। फेसबुक ने कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा अनुरोध किए गए 1,076 यूआरएल में से 956 को ब्लॉक किया है, ट्विटर ने 728 में से 409 और 182 में से 152 को ब्लॉक कर दिया है।

जिसमें इंस्टाग्राम ने 150 में से 66 यूआरएल को ब्लॉक किया है जबकि अन्य वेबसाइटों ने 109 यूआरएल में से 79 को ब्लॉक किया है। ये सारे यूआरएल जनवरी 2017 से जून 2018 के बीच ब्लॉक किए गए हैं।

कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने वेबसाइट और सोशल मीडिया की निगरानी की है और सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 के तहत गैर-कानूनी कॉन्टेंट को ब्लॉक करने के लिए उचित कदम उठाए हैं।

फेसबुक ने कहा है कि उसने दुनियाभर में कहीं भी होने वाले आम चुनाव में अपने नेटवर्क के जरिए बाहरी दखलंदाजी को रोकने के लिये कई कदम उठाये गए हैं। इसके लिए उसने फर्जी फेसबुक खातों पर रोक, इस मंच के दुरूपयोग को रोकने के लिए सक्रिय कार्रवाई और विज्ञापन में पारदर्शिता लाने जैसी पहल शामिल है।

फर्जी सूचनाओं और खबरों से निपटने के लिये फेसबुक 17 देशों में 27 थर्ड पार्टी भागीदारों के साथ मिलकर तथ्यों की जांच करना जारी रखेगा। इस दिशा में फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग की सक्रिय निगरानी कर रही है। उनका मानना है कि वे अभिकलन से जुड़ी शक्तिशाली प्रौद्योगिकी को लागू करने में सक्षम है। इनका इस्तेमाल पारंपरिक रूप से स्पैम से लड़ने के लिये किया जाता है।
वर्ल्ड ऑफ वॉरक्राफ्ट ¼World of Warcraft½
https://worldofwarcraft.com/

कई ऑनलाइन फैंटेसी गेम्स है जिसे खेलकर आप वर्चुअल करंसी कमा सकते हैं। बाद में इसको अपने अकाउंट में ट्रांसफर करके रियल मनी में बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप ऑनलाइन फैंटेसी गेम वर्ल्ड ऑफ वॉरक्राफ्ट खेलकर 30,000 गोल्ड यूनिट्स कमाते हैं तो आप इसे एक्सचेंज करके 20 यूएस डॉलर यानी करीब 1300 रुपये कमा सकते हैं। आप भारतीय गेम्स जैसे रमी ऑनलाइन अन्य प्रतियोगियों के साथ खेल सकते हैं। वेबसाइटः http://us-battle-net/wow/en/

ऑनलाइन पैसा कमाने का दूसरा तरीका सवालों का जवाब देना और ऑडियो फाइल्स को टेक्स्ट फाइल्स में बदलना है। यह जॉब उनलोगों के लिए है जिनके पास सूचनाओं का भंडार है और विभिन्न फील्ड्स की जानकारी एवं विशेषज्ञता रखते हैं। इन वेबसाइट्स पर कुछ एक्सपर्ट्स हर हफ्ते करीब 35,000 रुपये कमाते हैं।
वेबसाइट्सः http://ats-justanswer-com/landing और 

वर्चुअल असिस्टेंट के तौर पर किसी व्यक्ति को विभिन्न कामों में मदद कर करते हैं जिसके लिए आपको फीस मिलेगी। दुनिया भर में वर्क ऑवर्स बढ़ने और वाइट कॉलर जॉब वाले लोगों के पास समय की कमी होने के कारण वे ऐसे लोगों की मदद ले रहे हैं जो ऑनलाइन उनके काम को उचित फीस लेकर पूरा कर दे। इस तरह के कामों में किसी का मेल चेक करना, ऑनलाइन शॉपिंग करना या क्लायंट्स को फोन कॉल्स करना शामिल है। अगर आप इस तरह का काम करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके जानकारी हासिल कर सकते हैं।

आप अगर माहिर फटॉग्रफर या कलाकार हैं तो आप अपने फटॉग्राफ्स और स्केच ऑनलाइन बेच सकते हैं। आर्टिस्ट्स और फटॉग्रफर्स अपने प्रॉडक्ट्स की सेल प्राइस पर 60 फीसदी कमिशन कमा सकते हैं। अपने आर्टवर्क और फटॉग्राफ्स को बेचने के लिए निम्नलिखित वेबसाइट से आपको मदद मिल सकती है।

आप कमिशन पर किसी ई-कॉमर्स कंपनी के लिए मार्केटिंग और प्रॉडक्ट सेलिंग कर सकते हैं। ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां 2 से 12 फीसदी तक कमिशन देती हैं। आप जिस ई-कॉमर्स कंपनी के लिए काम करना चाहते हैं, उसकी वेबसाइट पर लॉगिन करना होगा और किसी प्रॉडक्ट के लिए यूनीक लिंक बनाना होगा। आप इसे अपने दोस्तों को भेज सकते हैं या अपने पर्सनल ब्लॉग, फोरम या वेबसाइट पर डाल सकते हैं। जब उस लिंक के माध्यम से सेल होगा तो एक तय कमिशन आपके अकाउंट में पहुंच जाएगा।
वेबसाइट्सः http://www-flipkart-com/affiliate vkSj 


इंटरनेट के इस्तेमाल में आई तेजी के कारण ऑनलाइन ट्युशन काफी बढ़ा है। अगर आप किसी खास फील्ड के एक्सपर्ट हैं या किसी विषय का काफी ज्ञान है तो आप ऑनलाइन ट्युशन पढ़ा सकते हैं। 8 घंटे रोजाना पढ़ाकर आप 80,000 रुपये तक कमा सकते हैं। नीचे 2 साइटों के लिंक हैं जहां आपको इस तरह की जॉब्स मिल सकती है।


सेकंड लाइफ ¼Second Life½

सेकंड लाइफ एक ऑनलाइन आभासी दुनिया है, जिसे सैन फ्रांसिस्को स्थित फर्म लिंडेन लैब द्वारा विकसित और स्वामित्व में है। इसे 23 जून 2003 को लॉन्च किया गया था। वर्ष 2013 तक, सेकंड लाइफ में लगभग दस लाख नियमित उपयोगकर्ता थे।

1999 में, फिलिप रोस्डेल ने कंप्यूटर हार्डवेयर विकसित करने के इरादे से लिंडन लैब का गठन किया ताकि लोगों को आभासी दुनिया में डुबोया जा सके। अपने शुरुआती रूप में, कंपनी ने हार्डवेयर के वाणिज्यिक संस्करण का उत्पादन करने के लिए संघर्ष किया, जिसे ष्द रिगष् के नाम से जाना जाता है, जो प्रोटोटाइप फॉर्म में कंधे पर पहने कंप्यूटर मॉनीटर के साथ एक गलेदार स्टील कॉन्ट्रैक्शन के रूप में दिखाया गया था।

आभासी दुनिया को लिंडन लैब के अपने क्लाइंट प्रोग्राम या वैकल्पिक तृतीय-पक्ष दर्शकों के माध्यम से स्वतंत्र रूप से एक्सेस किया जा सकता है। सेकेंड लाइफ उपयोगकर्ता खुद के आभासी प्रतिनिधित्व बनाते हैं, और स्थानों, वस्तुओं और अन्य अवतारों के साथ बातचीत करने में सक्षम होते हैं। वे दुनिया भर में (ग्रिड के रूप में जाना जाता है)पता लगा सकते हैं, अन्य निवासियों से मिल सकते हैं, सामाजिककरण कर सकते हैं, व्यक्तिगत और समूह गतिविधियों दोनों में भाग ले सकते हैं, निर्माण, दुकान और व्यापार एक दूसरे के साथ आभासी संपत्ति और सेवाओं का व्यापार कर सकते हैं।

सेकंड लाइफ 16 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए है, 13-15 वर्षीय उपयोगकर्ताओं के अपवाद के साथ, जो एक प्रायोजन संस्थान के दूसरे जीवन क्षेत्र तक सीमित हैं।

इंस्टाग्राम (Instagram)
https://instagram.in

इंस्टाग्राम एक मोबाइल, डेस्कटॉप और इंटरनेट-आधारित फोटो-साझाकरण एप्लिकेशन है जो उपयोगकर्ताओं को फोटो या वीडियो को सार्वजनिक रूप से या निजी तौर पर साझा करने की अनुमति देता है। इसकी स्थापना केविन सिस्ट्रॉम और माइक क्रेगर के द्वारा 2010 में की गई थी, और अक्टूबर 2010 में आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए विशेष रूप से निःशुल्क मोबाइल ऐप के रूप में लॉन्च किया गया था। एंड्रॉइड (प्रचालन तंत्र) डिवाइस के लिए एक संस्करण दो साल बाद, अप्रैल 2012 में जारी किया गया था, इसके बाद नवंबर 2012 में फीचर-सीमित वेबसाइट इंटरफेस, और विंडोज 10 मोबाइल और विंडोज 10 को अक्टूबर 2016 में एप्लिकेशन तैयार किये गए।

ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, इंस्टाग्राम के अभी एक अरब ऐक्टिव यूजर हैं जो जल्द ही दो अरब हो जाएंगे और अगले पांच साल में इसके उपभोक्ताओं की संख्या फेसबुक के बराबर हो जाएगी। अन्य सोशल मीडिया साइट्स की तरह इंस्टाग्राम भी अपना इंटरफेस लगातार बदल रहा है। जैसे फोटोग्राफिक फिल्टर्स, स्टोरीज, छोटे विडियो, ईमोजी, हैशटैग वगैरह। भविष्य की रणनीति को ध्यान में रखते हुए इंस्टाग्राम ने एक नई शुरुआत की है, वह है आईजी टीवी। इसके जरिए कोई भी यूजर एक घंटे तक का लंबा विडियो अपलोड कर सकता है। लंबे विडियो का मतलब है कि यूजर ज्यादा समय तक इंस्टाग्राम पर रहेगा। जाहिर है, यह लक्ष्य आर्थिक एवं व्यावसायिक दृष्टिकोण से ऐप बनानेवाली हर कंपनी हासिल करना चाहती है।

फोटो शेयरिंग के लिए मशहूर फेसबुक की कंपनी इंस्टाग्राम भी धीरे-धीरे विडियो लाइन में कदम बढ़ा रही है और युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इंटरनेट पर बादशाहत को लेकर जारी यह जंग अब और भी दिलचस्प होने जा रही है और इस हलचल के केंद्र में भी फेसबुक और गूगल ही हैं। गूगल जहां यूट्यूब के जरिए विडियो बाजार के एक बड़े हिस्से पर काबिज है, वहीं उसको टक्कर देने के लिए फेसबुक इंस्टाग्राम में नए-नए परिवर्तन कर रहा है। विडियो बाजार में इससे एक बड़े बदलाव की संभावना तैयार हो रही है। फोटो और विडियो शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम को फेसबुक ने साल 2012 में मात्र एक अरब डॉलर में खरीदा था। इसकी कीमत आज सौ अरब डॉलर पर पहुंच गई है।

इंस्टाग्राम पर आज पंजीकृत सदस्य अनगिनत संख्या में चित्र और वीडियो साझा कर सकते हैं जिसमें वे फिल्टर भी बदल सकते हैं। साथ ही इन चित्रों के साथ अपना लोकेशन यानी स्थिति भी जोड़ सकते हैं। इसके अलावा जैसे ट्विटर और फेसबुक में हैशटैग जोड़े जाते हैं वैसे ही इस में भी हैशटैग लगाने का विकल्प होता है। साथ ही फोटो और वीडियो के अलावा लिखकर पोस्ट भी कर सकते हैं।
आप अपने स्मार्टफोन या टैब्लेट से इंस्टाग्राम मोबाइल ऐप के जरिए अपना इंस्टाग्राम अकाउंट खोल सकते हैं। आप पीसी या मैक पर इंस्टाग्राम के एंड्रॉयड वर्जन को चलाने के लिए ठसनमैजंबो का उपयोग भी कर सकते हैं। सबसे पहले, अपने स्मार्टफोन पर इंस्टाग्राम ऐप इन्सटॉल करें। यह आईफोन, एंड्रॉयड, विंडोज फोन और ब्लैकबेरी पर उपलब्ध है। डाउनलोड लिंक्स एंड्रॉयड, विंडोज फोन और ब्लैकबेरी के लिए अलग-अलग है। आप फेसबुक अकाउंड या ईमेल ऐड्रेस का इस्तेमाल करते हुए रजिस्टर कर सकते हैंः ऑनस्क्रीन निर्देशों का पालन करें. ट्विटर या फेसबुक से अपने दोस्तों को यहां ऐड करें और यूजर्स को फॉलो करें।

इंस्टाग्राम में दूसरे सोशल नेटवर्क से अलग फोटो और वीडियो ही होते हैं यानी इसमें टेक्सट नहीं होते।  ऐसे में इमेज और वीडियो आपके डेटा को आप कैसे बचायेंगे?

इंस्टाग्राम पिछले कुछ सालों से एक बेहद महत्वपूर्ण सोशल नेटवर्क के तौर पर उभरा है। लेकिन एक बात जिसके बारे में यूजर को हर ऐप के बारे में जान लेनी चाहिए वह है ऐप की सेटिंग। क्योंकि सेटिंग को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करके आप अपने फोन के डेटा को बचा सकते हैं। इंस्टाग्राम में किस सेटिंग को बदलकर आप डेटा बचा सकते हैं? आइए आपको बताते हैं।

इंस्टाग्राम की बात करें तो इसमें दूसरे सोशल नेटवर्क से अलग फोटो और वीडियो ही होते हैं। यानी इसमें टेक्सट नहीं होते। ऐसे में इमेज और वीडियो आपके डेटा को तेजी से चूस लेते हैं। वैसे ऐप के प्रोग्रामर जानते हैं कि हर डठ डेटा के मायने हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वे एक नया फीचर लाए हैं ताकि डेटा खर्च को धीमा किया जा सके। इसको एक्सेस करने के लिए प्देजंहतंउ ऐप पर जाएं। अपनी पर्सनल प्रोफाइल पर जाएं और सेटिंग गियर पर क्लिक करें।

अगर आप स्क्रॉल डाउन करेंगे, आप देखेंगे कि कई सारे ऑप्शन हैं जिनके बारे में आपको कोई जानकारी नहीं होगी। लेकिन जिसके बारे में हम जिक्र कर रहे हैं उसका नाम है डवइपसम कंजं नेम, इस सेक्शन पर क्लिक करें।

साधारण तौर पर बताएं तो यह ऐप डिफॉल्ट तौर पर बंद रहता है। इसे चालू करें और जो उसके नीचे लिखा है उसे ध्यान से पढ़े। ‘‘अगर आपने डेटा सेवर ऑन किया तो आपके मोबाइल नेटवर्क पर फोटो और वीडियो को लोड होने में ज्यादा वक्त लगेगा।‘‘

यह विकल्प आपके अनुभव को वास्तव में कैसे प्रभावित कर सकता है? वैसे आपको इसका पता भी नहीं चलेगा। आप आसानी से फोटो और वीडियो इंस्टाग्राम पर देखते रहेंगे, बस आपको कुछ सेकेंड ज्यादा लगेंगे। फायदा ये होगा कि आपके फोन में तेजी से डेटा खर्च नहीं होगा। हो सकता है कि यह ऑप्शन आपके इंस्टाग्रान में न दिखाई दे। वैसे यह इंस्टाग्राम की गलती नहीं है आपकी है। प्लेस्टोर पर जाएं और अपने ऐप को अपडेट करें, इसके बाद आपको ऑप्शन दिखाई देने लगेगा।

इंस्टाग्राम पोस्ट शेड्यूलर प्लेटफॉर्म  HopperHQ ने 2018 में इंस्टाग्राम पोस्ट से गाढ़ी कमाई करने वाले सेलिब्रिटीज की लिस्ट जारी की है जिसमें विराट कोहली ने 17वां स्थान हासिल किया है।
यह केवल चमचमाती तस्वीरें शेयर करने का ही मंच नहीं है। यह बिजनेस बढ़ाने का भी बड़ा माध्यम बनता जा रहा है। जॉब ढूंढने के लिए भी इंस्टाग्राम बड़ा माध्यम है। यहां आप सुनें, देखें और संबंधित कंपनियों की कार्यप्रणाली को समझने का प्रयास करें। अलग-अलग तरह की कंपनियां क्या कर रही हैं, किस तरह के उत्पाद बाजार में आ रहे हैं और इन कंपनियों के पीछे चलने वाले दिमाग क्या सोच रहे हैं इसका अंदाज आप आसानी से इंस्टाग्राम पर लगा सकते हैं। इंस्टाग्राम पर आप जो भी कंटेंट देखते हैं वह बहुत काबिल प्रोफेशनल्स के द्वारा तैयार किया जाता है। ये लोग अपने फील्ड के मास्टर हैं। इंस्टाग्राम पर आप जो देखते हैं उसमें से बहुत कुछ ऐसा है जो बहुत ही व्यवसायिक लोग पोस्ट करते हैं। अगर आप अपने काम का प्रचार इस माध्यम से करना चाहते हैं तो आपको फायदा ही फायदा होगा।

सोशल मीडिया पर हो रही रिसर्च लगातार लोगों को कमाई के नए आयाम दे रही है। पहले जहां लोग इसका इस्तेमाल अपने पर्सनल यूज और फोटो, वीडियो शेयरिंग के लिए करते थे अब इसका इस्तेमाल कमाई के लिए किया जाता है। कई लोग ऐसे हैं जो सोशल मीडिया से ही लाखों की कमाई कर रहे हैं। कंपनियां भी अपने ब्रांड्स को प्रमोट करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रही हैं और अपने ब्रांड को बढ़ाने के लिए सेलिब्रिटी की मदद ले रही हैं। वे उन एक्टर्स, मॉडल्स और स्पोर्ट स्टार्स का सहारा ले रही हैं जिनके सोशल मीडिया पर बड़ी  फैन फॉलोइंग है और इसके लिए उन्हें मोटी रकम दे रही हैं।

अगर भारत के सेलिब्रिटीज की कमाई की बात करें तो मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी और टीम इंडिया के कैप्टन विराट कोहली सोशल मीडिया से कमाई में नंबर वन माने जा सकते हैं। इंस्टाग्राम के एक पोस्ट से वे करीब 120,000 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 82 लाख रुपये की कमाई करते हैं।

इंस्टाग्राम पोस्ट शेड्यूलर प्लेटफॉर्म भ्वचचमतभ्फ ने 2018 में इंस्टाग्राम पोस्ट से गाढ़ी कमाई करने वाले सेलिब्रिटीज की लिस्ट जारी की है जिसमें टीम इंडिया के कप्तान इंस्टाग्राम स्पोर्ट्स रिच लिस्ट में नौवां और ओवरऑल लिस्ट में 17वां स्थान हासिल किया है।

भ्वचचमतभ्फ.बवउ की लिस्ट के मुताबिक- कोहली, जिनके इंस्टाग्राम पर 23.2 मिलियन फॉलोअर्स (2,32,12,898) हैं, अपने एक स्पॉन्सर्ड इंस्टाग्राम पोस्ट से 120,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 82 लाख रुपये) कमाते हैं।

इंस्टाग्राम के स्पोर्ट रिच लिस्ट के अनुसार विराट कोहली ने अमेरिकी बास्केटबॉल सुपरस्टार स्टीफन करी और रिटायर्ड पेशेवर मुक्केबाज फ्लॉयड मेवेदर को पीछे छोड़ दिया है। इस सूची में फुटबॉल के मेगास्टार पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो सबसे ऊपर हैं, जबकि ब्राजीली फुटबॉलर नेमार दूसरे नंबर पर हैं।

वहीं अगर ओवरऑल लिस्ट की बात करें तो सबसे ऊपर काईली जेनर हैं जो एक पोस्ट के लिए करीब 1 मिलियन डॉलर कमाती हैं। वहीं दूसरे नंबर पर सेलेना गोमेज हैं जिन्हें एक पोस्ट के 8 लाख डॉलर मिलते हैं। तीसरे नंबर पर मौजूद क्रिस्टियानो रोनाल्डो को एक पोस्ट के लिए साढ़े सात लाख डॉलर मिलते हैं।  इसके बाद चैथे नंबर पर किम कर्दाशियां, पांचवे पर बियोंसे, छठे पर ड्वेन जॉन्सन, सातवें पर जस्टिन बीबर, आठवें पर नेमार, नौवें पर मेस्सी और 10वें नंबर पर केंडल जेनर हैं। ये सभी सेलिब्रिटी एक पोस्ट पर लाखों डॉलर की कमाई करते हैं।


गूगल प्लस (Google Plus)
https://plus.google.com/


गूगल़ (इसको गूगल प्लसबोलते हैं और संक्षेप में G+ लिखते हैं) गूगल की सामाजिक नेटवर्किंग सेवा है। यह सेवा 28 जून 2011को आरम्भ हुई और शुरुआत में केवल आमंत्रण पर सदस्यता दी गयी और अब ये सभी के लिए उपलब्ध है।

इसमें आप अपने परिवार, मित्रों या ऑफिस सहयोगियों के अलग अलग सर्कल या समूह बना सकते हैं। यह एक बहुपक्षीय वीडियो चैट प्रणाली भी है, जिसके सहारे एक साथ 10 लोग आपस में बात कर सकते हैं।

हैंगआउट को बाद में यूट्यूब पर साझा किया जा सकता है। यह सुविधा एंड्रॉयड मोबाइल फोन और टैबलेट उपयोगकर्ताओं के लिए भी उपलब्ध है।  गूगल प्लस पर बस एक फोटो डालकर आप हो सकते हैं विश्व प्रसिद्ध।

पर्यटन मंत्रालय ने गूगल़ के साथ मिलकर एक ऐसी ही प्रतियोगिता पेश की है। इसमें भारत और भारत के बाहर के लोग फोटोग्राफी प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं। आपको केवल गूगल प्लस पर जाकर फोटो पोस्ट करना है, और उसके साथ हैश टैग लगाकर इनक्रेडिबल इंडिया लिखना है। ¼#IncredibleIndia½ बस, इतने में ही आप प्रतियोगिता का हिस्सा हो जाएंगे।




व्हॉट्सऐप ¼Whatsapp½
https://www.whatsapp.com/

वाट्सऐप मैसेंजर स्मार्ट फोनों पर चलने वाली एक प्रसिद्ध तत्क्षण मेसेजिंग सेवा है, जिसकी सहायता से इन्टरनेट के द्वारा दूसरे वाट्सऐपउपयोगकर्ता के स्मार्टफोन पर टेक्स्ट संदेश के अलावा ऑडियो, छवि, वीडियो तथा अपनी स्थिति भेजी जा सकती है।

जनवरी 2009 में जेन कूम ने एप्पल का एक आईफोन खरीदा। इस फोन से जेन कूम को एप के जबर्दस्त लोकप्रिय हो सकने की संभावनाओं का अंदाजा लग गया। इसी दौरान जेन कूम अपने रूसी मूल के दोस्त एलेक्स फिशमैन के पश्चिमी सैन जोस स्थित घर गए। फिशमैन रूसी मूल के दोस्तों को हर सप्ताह पीत्जा खाने और फिल्म देखने के लिए आमंत्रित करते थे। कई बार इस महफिल में 40 लोग तक आ जाते थे। फिशमैन के रसोईघर में जेन कूम और फिशमैन चाय पीते हुए एप पर घंटों चर्चा करते थे। इसी बातचीत के दौरान वॉट्सएप जैसा एक नया एप बनाने के विचार ने जन्म लिया।  वॉट्सएप्प को उक्रेन के 37 साल के जन कूम ने अमेरिका के 44 साल के ब्रायन एक्टन के साथ मिल कर शुरू किया था। बाद में एक और वेंचर कैपिटलिस्ट, जिम गोएट्ज भी इसमें शामिल हो गए। जेन कूम कंपनी के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) हैं। मशहूर व्यावसायिक पत्रिका ‘‘फोर्ब्स‘‘ के मुताबिक वॉट्सएप्प के मुख्य कार्यकारी जन कूम के पास इस कंपनी की 45 फीसदी हिस्सेदारी है।

फेसबुक ने इसे 2015 से निःशुल्क कर दिया है। सितंबर 2015 की स्थिति के अनुसार, वाट्सऐप पर 90 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ, यह विश्व का दूसरा सबसे लोकप्रिय तत्क्षण मैसेंजर है।

व्हाट्सऐप के इस्तेमाल ने फोन में मौजूद कई सर्विस जिसे हम इस्तेमाल करते हैं उसे पूरी तरह से खत्म कर दिया है। तो आइए जानते हैं कौन सी है वो सर्विस-
SMS- आजकल इस सर्विस का इस्तेमाल हम तभी करते हैं जब हमारे पास इंटरनेट कनेक्शन ना हो। अगर हमारे पास इंटरनेट होता है तो हम गलती से भी इसका अस्तेमाल नहीं करते। हम हर समय मैसेजिंग के लिए व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं। SMS का इस्तेमाल हम सिर्फ OTP और अन्य सर्विस मैसेज के लिए करते हैं।

MMS- मल्टीमीडिया मैसेजिंग का इस्तेमाल आजकल लोग बिल्कुल भी नहीं करते हैं। हमें व्हाट्सऐप पर ही बहुत ज्यादा मल्टीमीडिया चैट ऑप्शन मिलते हैं। जिसमें हम वीडियोGIF फोटो सब कुछ शेयर कर सकते हैं। वहीं अगर फीचर फोन की बात करें तो उसके लिए यह काम आ सकता है।

BBM- एक समय ऐसा था कि ब्लैकबेरी मैसेंजर लोगों के लिए एक बड़ी चीज थी जो सिर्फ ब्लैकबेरी फोन्स में ही चलती थी हालांकि व्हाट्सऐप के आ जाने से BBM पूरी तरह से समाप्त होता दिख रहा है।

Yahoo Messenger- याहू मैसेंजर हाल ही में बंद हो गया है। 90 के दशक के बच्चों के लिए याहू के जबरदस्त याद है। लेकिन लगातार नए-नए मैसेजिंग ऐप के आ जाने से इसकी इस्तेमाल कम हो गया और इसमें कहीं ना कहीं व्हाट्सऐप का बड़ा हाथ है।

WeChat- चीन में WeChat अभी भी काफी फेमस ऐप है और लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं वहीं अगर भारत की बात करें तो लगातार इसके यूजर्स में कमी आ रही है।

Video&calling apps- व्हाट्सऐप अपने वीडियो कॉलिंग फीचर को लगातार बेटर बनाने की कोशिश कर रहा है। जहां tgka Skype  खुद को वीडियो कॉलिंग के लिए बचाने की कोशिश कर रहा है वहीं Google Duo पूरी तरह से खत्म होता दिखाई दे रहा है।

Voice calls- वैसे तो अभी वॉयस कॉल समाप्त नहीं हुआ है लेकिन व्हाट्सऐप के आ जाने से इसमें कमी जरूर आई है। अब लोग कॉलिंग के लिए ज्यादातर व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं।

WhatsApp में अब मैसेज फॉरवर्ड करने की एक सीमा होगी। इस सोशल मीडिया कंपनी ने यह जानकारी दी है कि वह जल्द ही अपने प्लेटफॉर्म पर मैसेज फॉरवर्ड करने की सीमा तय करेगी। दरअसल, हाल के दिनों व्हाट्सऐप के जरिए भेजे गए अफवाहों के कारण भीड़ द्वारा दर्जनों लोगों की हत्या के कई मामले सामने आए हैं। इसके बाद से व्हाट्सऐप द्वारा ऐसा कुछ कदम उठाए जाने का अनुमान था।

कंपनी ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि वह भारत में WhatsApp पर मैसेज फॉरवर्ड करने की सीमा की टेस्टिंग कर रही है जहां दुनियाभर में सबसे ज्यादा मैसेज और वीडियो फॉरवर्ड किए जाते हैं। कंपनी की योजना है कि भारत में मैसेज फॉरवर्ड करने की सीमा पांच कर दी जाए। इसके अलावा मैसेज के बगल में नजर आने वाले में "quick forward" बटन को हटाने के बारे में भी विचार किया जा रहा है।

यहां गुमराह होना और ज्यादा आसान है। जहां एक तरफ सच हमारे फोन के इंटरनेट में छुपा है, वहीं कई गलत जानकारियां भी उसी इंटरनेट का हिस्सा है। ऐसे में सही-गलत की समझ रखे बगैर हर जानकारी को सही मान लेना सबसे बड़ी अज्ञानता है। इंटरनेट की सूचना सेल में रखे कपड़ों के ढेर जैसी है। उसमें से कौन सा कपड़ा सही है और कौन सा खराब, यह ठीक से देखने पर ही पता चल पाता है। बिना चेक किए उठाएंगे तो खराब कपड़ा भी हाथ लग सकता है। यहां जानकारियों की खदान है।  हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं कि यह जानकारियां सही हो। अगर गहराई में जाएंगे तो फैमिली वॉट्सऐप ग्रुप में मिलने वाले आयुर्वेदिक दवाइयों के असर’ ‘चीन की सड़कों पर उड़ने वाली कारजैसे मैसेज की सच्चाई के परखच्चे उड़ जाएंगे।

उदाहरण के तौर पर व्हाट्सएप का फॉर्वर्ड मैसेज पढ़कर भीड़ का किसी को पीट पीटकर मार डालना। वो भीड़ जो उस व्यक्ति को मारना अपना धर्मसमझ बैठी है, उससे कोई कदम उठाने से पहले मैसेज की विश्वसनीयता को चेक करने की अपेक्षा करना पता नहीं कितना सही है।
अब ग्रुप एडमिन की इजाजत के बिना ग्रुप का कोई भी मेंबर मैसेज नहीं कर पाएगा यानी ग्रुप का एडमिन तय करेगा कि ग्रुप में कौन मैसेज करेगा।

इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp लगातार नए-नए अपडेट्स कर रहा है। कंपनी ने हाल ही में ग्रुप एडमिन्स को लेकर एक फीचर लाने की बात कही थी जिसे रोलआउट कर दिया गया है। इस नए अपडेट के बाद अब व्हाट्सऐप ग्रुप एडमिन की इजाजत के बिना ग्रुप का कोई भी मेंबर मैसेज नहीं कर पाएगा यानी ग्रुप का एडमिन तय करेगा कि ग्रुप में कौन मैसेज करेगा। इसके साथ ही केवल ग्रुप की सेटिंग्स चेंज करने और यह तय करने कि ग्रुप का कौन सा मेंबर ग्रुप इन्फो को बदल सकेगा इसका अधिकार भी एडमिन के पास रहेगा।

ऐसे कर सकते हैं सेटिंग- अगर आप किसी व्हाट्सऐप ग्रुप के एडमिन हैं तो सबसे पहले अपने ऐप को अपडेट कर ले। इसके बाद जिस ग्रुप के एडमिन हैं उस ग्रुप को ओपन करें और Group Setting में जाएं। इस पर क्लिक करने के बाद आपको Group Edit Info] Send Message और Edit Group Admins का विकल्प मिलेगा। Edit Group के विकल्प पर जाकर आप यह तह कर सकते हैं कि ग्रुप डिस्क्रिप्शन कौन बदल सकता है।

इसी तरह Send Message पर जाकर आप सेट कर सकते हैं कि ग्रुप में कौन सा मेंबर मैसेज भेज सकता है। इस नए फीचर को लेकर WhatsApp का कहना है कि इस फीचर के आने के बाद ग्रुप में आने वाले फिजूल के मैसेज से मुक्ति मिलेगी और फालतू लोग मैसेज नहीं कर पाएंगे।

इस फीचर के अलावा कंपनी ने iOS 10 या उससे ऊपर के डिवाइस के लिए नया अपडेट जारी किया है जिसमंे यूजर्स मीडिया फाइल को ऑन-स्क्रीन नोटिफिकेशन पर ही देख और डाउनलोड कर सकते हैं। इस फीचर को ‘‘नोटिफिकेशन एक्सटेंशन‘‘ या ‘‘मीडिया प्रीव्यू‘‘ फीचर कहा गया है।

इस फीचर के बारे में WABetaInfo ने जानकारी दी है कि iOS यूजर्स को नया एक्सटेंशन फीचर व्हाट्सऐप के 2.18.80 वर्जन में मिल रहा है। यह फीचर यूजर्स के ऑटो डाउनलोड विकल्प के एक्टिवेट ना होने पर नोटिफिकेशन से ही इमेजेज और GIF को डाउनलोड करने की सुविधा देता है। यानी इसके लिए आप को ऐप एक्सेस करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। इस फीचर को अभी सिर्फ iOS के लिए अपडेट किया जा रहा है कंपनी ने अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि यह एंड्रायड यूजर्स के लिए कब आएगा।

व्हाट्सऐप के इस्तेमाल ने फोन में मौजूद कई सर्विस जिसे हम इस्तेमाल करते हैं उसे पूरी तरह से खत्म कर दिया है।

अपने यूजर्स के लिए WhatsApp लगातार नए अपडेट्स कर रहा है। चाहे वो चैट को लेकर हो या फिर कॉलिंग को लेकर व्हाट्सऐप में लगातार नए अपडेट्स हो रहे हैं। व्हाट्सऐप के जरिए लोगों के काम भी आसान हो गए हैं लोग अब एक ऐप से ही वीडियो कॉलिंग से लेकर फाइल शेयरिंग तक सभी काम कर सकते हैं।

लिंक्डइन ¼Linkedin½
https://www.linked.in/

आज विश्व की कुल जनसंख्या के लगभग 50 प्रतिशत लोग 30 साल से कम उम्र के हैं, जिनमें से अधिकांश प्रतिदिन अपना कीमती वक्त सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिताते हैं। फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स का नाम हर किसी के जेहन में रहता है। इसके अलावा लिंक्डइन को व्यावसायिक दृष्टि से बेहतर माना जाता है।

सोशल मीडिया के तमाम माध्यमों में से आपके करियर व कारोबार के लिए लिंक्डइन का महत्व ही कुछ और है। यह आपके व्यवसायिक नेटवर्क को बढ़ाता है। आपके काम-धंधे से जुड़े बेस्ट प्रोफेशनल्स को आपसे कनेक्ट कराता है। इसके जरिए आप अपने नए व पुराने संपर्क तो बना ही सकते हैं बल्कि आपके संपर्कों के माध्यम से यह आपको ऐसे लोगों तक पहुंचा देता है जिन्हें जानना आपके लिए बहुत जरूरी है।

इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने कंटेंट व विशेषज्ञता से जुड़े मैटीरियल को यहां पोस्ट करते रहें। इसलिए इस गंभीर, प्रोफेशनल सोशल नेटवर्क को बिल्कुल भी इग्नोर न करें। कुछ लोग इसे बस यूं ही ले लेते हैं और फिर जब जॉब बदलने की आवश्यकता होती है तो वे बेदर्दी से इसे यूज करने लगते हैं और बात आसानी से नहीं बनती, उस समय बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए बेहतर है कि आप इसका प्रयोग उस समय करना शुरू कर दें जब आपको इसकी ज्यादा जरूरत नहीं है। करियर मैनेजमेंट के रूप में इसका प्रयोग करें, जॉब ढूंढने वाले टूल के रूप में नहीं। फिर देखिए इसका मजा। 

लिंक्डइन पर मौजूद 50 लाख से ज्यादा यूजर ने अपने प्रोफाइल में खुद को सोशल मीडिया का एक्सपर्ट बताया है, जबकि 2010 से अब तक सोशल मीडिया से जुड़े जॉब में जबरदस्त वृद्धि हुई है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि इस दिशा में कॅरियर और जॉब्स की कितनी संभावनाएं हैं।

सामाजिक नेटवर्किंग सेवा एक ऑनलाइन सेवा, प्लेटफॉर्म या साइट होती है जो लोगों के बीच सामाजिक नेटवर्किंग अथवा सामाजिक संबंधों को बनाने अथवा उनको परिलक्षित करने पर केन्द्रित होती है, उदाहरण के लिए ऐसे व्यक्ति जिनकी रुचियां अथवा गतिविधियां समान होती हैं। एक सामाजिक नेटवर्किंग सेवा में अनिवार्य रूप से प्रत्येक प्रयोगकर्ता का निरूपण (अक्सर एक प्रोफाइल), उसके सामाजिक संपर्क तथा कई अन्य अतिरिक्त सेवायें शामिल रहती हैं। अधिकांश सामाजिक नेटवर्किंग सेवायें वेब आधारित होती हैं और प्रयोगकर्ताओं को इन्टरनेट का प्रयोग करते हुए एक-दूसरे से संपर्क करने का साधन प्रदान करती हैं उदाहरण के रूप में ई-मेल तथा इंसटैंट मैसेजिंग. हालांकि ऑनलाइन समुदाय सेवाओं को भी कभी-कभी सामाजिक नेटवर्किंग सेवा माना जाता है। व्यापक अर्थ में, सामाजिक नेटवर्किंग सेवा व्यक्ति केंद्रित होती है जबकि ऑनलाइन समुदाय सेवा समूह केंद्रित होती हैं। सामाजिक नेटवर्किंग साइटें किसी प्रयोगकर्ता को अपने व्यक्तिगत नेटवर्किंग में विचारों, गतिविधियों, घटनाओं और उनके व्यक्तिगत रुचियों को बांटने की सुविधा देती हैं।

कम्प्यूटर के जरिये होने वाले सामाजिक पारस्परिक संपर्कों को कंप्यूटर नेटवर्किंग की संभाव्यता के रूप में काफी पहले सुझाया गया था। कम्प्यूटर के जरिये होने वाले संचार के द्वारा सामाजिक नेटवर्किंगों का आधार बनाने के प्रयास शुरूआती ऑनलाइन सेवाओं का आधार बने, इनमें यूजनेट, आरपानेट, लिस्टसर्व तथा बुलिटन बोर्ड सेवाएं (बीबीएस) शामिल थीं। सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की प्राथमिक अवस्था की कई विशेषताएं ऑनलाइन सेवाओं जैसे अमेरिका ऑनलाइन, प्रोडिजी तथा कॉम्प्युसर्व में भी विद्यमान थीं।

वर्ल्ड वाइड वेब पर प्रारंभिक सामाजिक नेटवर्किंग सामान्यीकृत ऑनलाइन समुदायों के रूप में शुरू हुई, जैसे Theglobe.com (1994), जियोसिटीज (1995) तथा Tripod.com (1995)

इन ऑनलाइन समुदायों में से कई में लोगों को एक-दूसरे के निकट संपर्क में लाने के लिए चैट रूम उपलब्ध कराये जाते थे, तथा लोगों को अपनी व्यक्तिगत जानकारियां तथा विचार बांटने के लिए व्यक्तिगत वेबपेज बनाने के लिए बढ़ावा दिया जाता था, तथा इसके लिए प्रयोग करने में आसान प्रकाशन टूल तथा मुफ्त अथवा सस्ता वेबस्पेस दिया जाता था। कुछ समुदायों - जैसे Classmates.com & ने एक अलग दृष्टिकोण को अपनाते हुए ई-मेल पतों के माध्यम से लोगों को एक-दूसरे से जोड़ दिया। 1990 के दशक के अंत तक, प्रयोगकर्ता की प्रोफाइल सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की केंद्रीय विशिष्टता हो गयी थी, इनके द्वारा प्रयोगकर्ताओं को अपने ‘‘मित्रों‘‘ की सूची बनाने तथा समान रूचि वाले अन्य प्रयोगकर्ताओं को खोजने की सुविधा प्राप्त होती थी।

सामाजिक नेटवर्किंग के नए तरीके 1990 के अंत तक विकसित किए गए और कई साइटों ने मित्रों को खोजने तथा उनके प्रबंधन के लिए अधिक उन्नत सुविधाओं को विकसित करना प्रारंभ कर दिया। सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की यह नई पीढ़ी, 2002 में फ्रेंडस्टर के आने के साथ ही विकसित होना प्रारंभ हो गयी और जल्द ही इंटरनेट की मुख्यधारा का हिस्सा बन गयी। फ्रेंडस्टर के एक वर्ष पश्चात ही माईस्पेस तथा लिंक्डइन आ गए तथा इसके बाद बेबो आया। सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की लोकप्रियता में तीव्र वृद्धि का सत्यापन इसी बात से किया जा सकता है कि 2005 तक माईस्पेस के देखे जाने वाले पेजों की संख्या गूगल से भी अधिक थी। 2004 में प्रारंभ हुई फेसबुक विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक नेटवर्किंग साइट बन चुकी है। यह अनुमान है कि विभिन्न प्रकार के मॉडलों का प्रयोग करते हुए आज 200 से सक्रिय सामाजिक नेटवर्किंग साइटें हैं।

सामाजिक नेटवर्किंग साइटों के उभरते रुझान में सबसे आगे ‘‘रियल-टाइम वेब‘‘ तथा ‘‘लोकेशन बेस्ड‘‘ के सिद्धांत हैं। रियल-टाइम प्रयोगकर्ताओं को सामग्री को अपलोड करने के साथ ही इसे प्रसारित करने की अनुमति देता है - यह अवधारणा रेडियो और टेलीविजन प्रसारण के समान है। रियल-टाइम के सिद्धांत का प्रारंभ ट्विटर द्वारा किया गया, इसमें प्रयोगकर्ता जो कर अथवा सोच रहे (140 कैरेक्टर की सीमा में) होते थे, उसे विश्व भर में प्रसारित कर सकते थे।

फेसबुक ने भी यही अपनी ‘‘फीड लाइव‘‘ के द्वारा किया जिसमें प्रयोगकर्ताओं की गतिविधियों को होने के साथ ही प्रदर्शित किया जा सकता था। जहां ट्विटर शब्दों पर केंद्रित है, क्लिक्सटर जो कि एक अन्य रियल-टाइम सेवा है, जिसने समूह तस्वीर साझा करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रयोगकर्ताओं को किसी घटना की तस्वीरें उस घटना के समय ही प्रसारित करने की सुविधा प्रदान की। मित्र व आसपास के अन्य प्रयोगकर्ता घटनाक्रम में स्वयं की तस्वीरें और टिप्पणियों के रूप में योगदान कर सकते हैं, इस प्रकार फोटो और टिप्पणियों को प्रसारण के ‘‘रियल-टाइम‘‘ पहलू के लिए योगदान के रूप में अपलोड किया जाता है। स्थान आधारित सामाजिक नेटवर्किंग में, फोरस्क्वेयर ने लोकप्रियता हासिल की क्योंकि यह प्रयोगकर्ताओं को उन स्थानों को ‘‘चेक-इन‘‘ की अनुमति देता था जहां पर अन्य लोग भी एकत्रित होते थे।

गोवाला भी ऐसी ही एक सेवा है जो फोरस्क्वेयर की तरह ही कार्य करती है, यह फोनों में उपलब्ध जीपीएस क्षमता का लाभ लेते हुए स्थानिक अनुभव पैदा करती है। क्लिक्सटर, हालांकि वास्तविक समय श्रेणी का भाग है, भी एक स्थान आधारित सामाजिक नेटवर्किंग साईट है, कयोंकि इसमें प्रयोगकर्ताओं द्वारा बनाई गयी घटनाओं को स्वतः ही भौगोलिक रूप से टैग किया जाता है, तथा प्रयोगकर्ता आस-पास हो रही घटनाओं को क्लिक्सटर आई-फोन ऐप की सहायता से देख सकते हैं।

हाल ही में, येल्प ने अपनी मोबाइल फोन ऐप के द्वारा चेक-इन के जरिये स्थान आधारित सामाजिक नेटवर्किंग श्रेणी में अपने प्रवेश की घोषणा की हैय यह फोरस्क्वेयर अथवा गोवाला के लिए हानिकारक होगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा क्योंकि इंटरनेट तकनीकी उद्योग में अभी यह एक नयी श्रेणी है।

इस नई प्रौद्योगिकी के लिए एक लोकप्रिय अनुप्रयोग उद्योगों के बीच सामाजिक नेटवर्किंग है। कंपनियों ने पाया है कि फेसबुक और ट्विटर जैसी सामाजिक नेटवर्किंग साइटें अपनी ब्रांड छवि बनाने के अच्छे तरीके हैं। मार्केटिंग जाइव के लेखक जोड़ी निमेज के अनुसार, उद्योगों तथा सामाजिक मीडिया के पांच उपयोग हैंरू ब्रांड जागरूकता उत्पन्न करना, ऑनलाइन छवि प्रबंधन साधन के रूप में, भर्तियां करने के लिए, नयी तकनीकों तथा प्रतिस्पर्धियों की बारे में जानने के लिए, तथा लीड पैदा करने वाले साधन के रूप में संभावित ग्राहकों का पता लगाने के लिए।

ये कंपनियां अपनी ऑनलाइन साइटों के लिए ट्रैफिक उत्पन्न करते हुए अपने उपभोक्ताओं और ग्राहकों को अपने उत्पादों या सेवाओं में परिवर्तन अथवा सुधार के विषय में विचार-विमर्श करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं।

जिस अन्य उपयोग के विषय में चर्चा की जा रही है वह विज्ञान समुदायों में सामाजिक नेटवर्किंग का प्रयोग है। जूलिया पोर्टर लाइबेस्काइन्ड तथा अन्य ने एक अध्ययन प्रकाशित किया है कि कैसे नई जैव-प्रौद्योगिकी फर्म वैज्ञानिक ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए सामाजिक नेटवर्किंग साइटों का उपयोग कर रही हैं।

अपने अध्ययन में वे कहते हैं कि एक दूसरे के साथ जानकारी और ज्ञान साझा करके, ‘‘उनके सीखने और लचीलेपन में वृद्धि हुई है जो कि अपनेआप में सीमित सौपानिक संगठन के भीतर संभव नहीं हो सकती थी‘‘ सामाजिक नेटवर्किंग ने वैज्ञानिक समूहों को अपने ज्ञान के आधार का विस्तार करते हुए विचारों को बांटना संभव किया है और इन साधनों के आभाव में उनके सिद्धांत ‘‘पृथक और अप्रासंगिक‘‘ हो सकते थे।
Oरवीन्द्र प्रभात 
पुस्तक: हिन्दी के विविध आयाम से........... 

6 comments:

  1. लाजवाब पोस्ट । बधाई और शुभकामनाएं इस मेहनत के लिये।

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  2. Thank you so much sir is article k liye. Apki sari hi post bht mahtvpurn hoti h.

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  3. रवीन्द्र जी खोजपूर्ण आलेख और इतनी सारी जानकारी सभी लोगों को नहीं है ।

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