बड़े ज़िद्दी, बड़े निडर, बड़े खुद्दार थे मुद्रा हमारे बीच के फिक्रमंद फनकार थे मुद्रा। उन्[...]
।। ग़ज़ल।। - रवीन्द्र प्रभात गमजदा है माहौल बहुत आहट बनाए रक्खो। बच्चों के लिए अपनी मुस[...]
ग़ज़लहो गयी नंगी व्यवस्था , सादगी तलाश करो !पत्थरों के शहर में एक आदमी तलाश करो !!पर्यावरण के ना[...]
बहुत दिनों के बाद मेरे जेहन की कोख से फूटी है एक ग़ज़ल, पढ़ना चाहेंगे आप ? ग़ज़ल बिन पिए शराब यूं म[...]
कल दिनांक 29.10.2013 को लखनऊ के क़ैसरबाग स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार में मेरे उपन्यास धरती पकड़ निर[...]
प्रभात जी की गज़लों का क्या कहना, एक-एक शब्द संदेशपरक.... मन खुश हो गया पढ़कर ।
बहुत सुंदर परिकल्पना !
कोशिशें ऐसी करें .... बहुत सही कहा है आपने इन पंक्तियों में ... बहुत ही उत्कृष्ट प्रस्तुति .. सादर
बहुत सुंदर ...उम्दा
बढ़िया
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प्रभात जी की गज़लों का क्या कहना, एक-एक शब्द संदेशपरक.... मन खुश हो गया पढ़कर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर परिकल्पना !
जवाब देंहटाएंकोशिशें ऐसी करें ....
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा है आपने इन पंक्तियों में ...
बहुत ही उत्कृष्ट प्रस्तुति ..
सादर
बहुत सुंदर ...उम्दा
जवाब देंहटाएंबढ़िया
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