हरतरफ हादसा देखिए !
देश की दुर्दशा देखिए !!
क्षेत्रवादी करे टिप्पणियाँ -
देश का रहनुमा देखिए !!
लक्ष्य को देख करके कठिन-
कांपता नौजवां देखिए !!
भर दिए कैसेटों में जहर -
जुर्म की कहकशां देखिए !!
गा रहे गीत गूंगे सभी -
संजीदा है हवा देखिए !!
वो कहने को बांहों में हैं -
फ़िर भी ये फासला देखिए !!
चीखते-बोलते बेहिचक -
आदमी बेजुवां देखिए !!
बेच करके चमन चल दिया-
बाग़ का पासबां देखिए !!
जालिमों को करो अब रिहा-
मुन्सिफों के वयां देखिए !!
"प्रभात" गुमनाम है यूं मगर-
शायरी की जुबां देखिए !!
() रवीन्द्र प्रभात
अच्छा है भाई. छोटे बह्र में बड़ी बात. उम्दा.
जवाब देंहटाएंग़ज़ब! आपने तो गागर में सागर भर दिया। एक छोटी से कविता में पूरे भारत का मौजूदा चित्र दिखा दिया.
जवाब देंहटाएंएक्दम सच है आप ने बड़े जोरदार ढंग से अपनी बात रखी है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन - बहुत सशक्त - बिल्कुल बेज़ुबान नहीं - डायनामाईट - मनीष
जवाब देंहटाएंवो कहने को बांहों में हैं -फ़िर भी ये फासला देखिए !!
जवाब देंहटाएंचीखते-बोलते बेहिचक -आदमी बेजुवां देखिए !!
वाह!!
खामोशी तोड़ती हुई , हालात को ललकारती हुई
जवाब देंहटाएंज़मीनी रचना . जमकर लिखते रहिए .
आपकी परिकल्पना में भाषा के साथ जीने की कला की पुकार सुन पा रहा हूँ .
well, going on a right way! good poem.
जवाब देंहटाएंबेच करके चमन चल दिया-
जवाब देंहटाएंबाग़ का पासबां देखिए !!
जालिमों को करो अब रिहा-
मुन्सिफों के वयां देखिए !!
बहुत खूब रवीन्द्र जी...अच्छा लगा...बधाई
बेच करके चमन चल दिया-
जवाब देंहटाएंबाग़ का पासबां देखिए !!
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क्या जोरदार पंक्तियाँ हैं
दीपक भारतदीप