इक फौजी के दिल के एहसास और उनकी ख्वाहिशें हमसे अलग नहीं होतीं , वह फौलादी दिल लिए मुस्कुराता तो है ,'रंग दे बसंती चोला ' गाता तो है , सरफरोशी की तमन्ना लिए सीमा पर खड़ा रहता तो है ..... पर बासंती हवाएँ उनको भी सहलाती हैं , सोहणी उनको भी बुलाती हैं ..... कुछ इस तरह
गुनगुनाता है चनाब
सोहणी के पाजेब बजते है
हवाओं में सरगर्मी है किसी के आने की ...
मैंने कहा है इन हवाओं से - आहिस्ता चलो
हम फौजी हैं --- सधे क़दमों से ही पहचान अपनी होती है...
पुरवा की शोख अदाएं झटक के बातों को
हमारे दिल में भी चुपके से सुगबुगाती है
शाम ये ख़ास है कुछ ख़ास से एहसास हैं
चलो हवाओं संग कुछ हम भी बहक जाते हैं
वक़्त करता है इशारे कि हमें जाना है
फिर मिलेंगे कभी पर हाँ अभी तो जाना है
पास कहने को हमारे , तो जाने कितनी बातें हैं
आँखों में शोखियों की बोलती इबारतें है
पर अगर चलना ही है तो आओ इतना हम कर लें
तेरे आगे तेरी इबादत में ,मिलने की तारीखें फिर तय कर लें (समय यानि रश्मि )
जो दिखाई देता है .... बंधु उसके पार बहुत कुछ होता है . चश्मा मत लगाओ , बस थोड़ा मन को आजमाओ और आओ कुछ नीलिमा की सुनो ---
महकती रसोई
महकता घर
तभी पकती थीं रोटियां
वो सरसों का साग कुण्डी में कुटा हुआ
वो घोंट घोंट कर बनाई खीर
एक प्लेट में खाते थे सब बच्चे
आज !!!!!!!!!!
हाँ आज !!!!!!!!!!!!!
कहाँ गया वह स्वाद
आज की रोटी में कहाँ है वो सौंधी खुशबू
साग मिक्सी में पिसा हुआ होता है
खीर भी इंस्टैंट हो गयी है
समय की कमी हर जगह
काई की तरह जम गई है
कच्ची या पकी परांठे का स्वाद खो सा गया है !
माँ
मेरी माँ
मुझे एक बार
एक बार फिर से लौटा ले जाओ मेरे बचपन में
फिर से इसी स्वाद के लिए
मन ललचाता है
माँ
थक गयी हूँ अब संजीव से टिप्स लेते लेते
अब तुम्हारे हाथ का सा
खाना क्यूँ नहीं पक रहा है .............. .
नीलिमा निविया
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नीलिमा की रचनाओं के बाद आइये चलते हैं उत्सव के पच्चीसवें दिन के प्रथम चरण में प्रसारित कार्यक्रमों की ओर:
परिकल्पना ब्लॉगोत्सव :
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‘हिन्दी में पटकथा लेखन’
समीक्षा फ़िल्में भारतीय समाज से एक अलग तरह का जुड़ाव रखती हैं और फिल्मों के समाज से इस जुडाव...
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कविता सावन आना खुले ह्रदय , खुला हृदय मिल जायेगा अंक भरेगी स्नेह वल्लरी , बुझा दीप जल...
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प्रशासनिक व्यवस्था में तबादलों की पावन-सरिता बहती है जो नीति से कभी कभार ही बहा करती है बल्कि...
प्रिंट मीडिया : अंध प्रतिस्पर्द्धा की भेंट चढ़ते एथिक्स
अभी मीडिया जगत की दो ख़बरें जबरदस्त चर्चा का विषय बनी हैं. पहली खबर है अंतर्राष्ट्रीय मीडिया...
कहीं जाईयेगा मत, हम मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद.....
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thnx rashmi mere shabdo ko yaha shamil karne ka ............ mera ek blog yeh bhi hai
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http://thoughtpari.blogspot.com/
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण प्रस्तुती! लाजवाब पोस्ट!
जवाब देंहटाएंjabab nahi..:)
जवाब देंहटाएंsundar prastuti........
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ....
जवाब देंहटाएंगुनगुनाते चनाब में भीगकर आयी हवा के साथ छन छन करते आते आपके शब्दों ने शब्द सचमुच ख़ास अहसास जगाकर नीलिमा जी की बेहतरीन भावाभिव्यक्ति से भेंट कराया...
जवाब देंहटाएंनीलिमा जी को बधाई और आपका आभार...
सादर..
अच्छी प्रस्तुति ...आभार !
जवाब देंहटाएंअच्छी और सच्ची प्रस्तुति, आभार !
जवाब देंहटाएंपरिकल्पना अपने नाम को सार्थक कर रही है, सचमुच यह हिंदी ब्लॉगजगत की महान परिकल्पना है , नमन इसके संचालकों को !
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंgoruntulu show
जवाब देंहटाएंücretli
POC