ग़ज़ल
लफ़्ज तोले बिना बात मत कहना
दिन को खामखाह रात मत कहना ।
दर्द है, नसीहत है, तजुर्बा भी-
ग़ज़ल को फ़कत जज़्बात मत कहना ।
जिंदगी एक सफ़र है दोस्त मेरे-
भूलकर भी कायनात मत कहना ।
खुशनसीबों को हीं मिलती है ये-
मोहब्बत को खैरात मत कहना ।
मदहोश होना फितरत -ए-इश्क है-
इसे शराबी कि हरकात मत कहना ।
दोपहर बन आशियाना फूंक दे-
उस घड़ी को तुम प्रभात मत कहना।
() रवीन्द्र प्रभात
लफ़्ज तोले बिना बात मत कहना
दिन को खामखाह रात मत कहना ।
दर्द है, नसीहत है, तजुर्बा भी-
ग़ज़ल को फ़कत जज़्बात मत कहना ।
जिंदगी एक सफ़र है दोस्त मेरे-
भूलकर भी कायनात मत कहना ।
खुशनसीबों को हीं मिलती है ये-
मोहब्बत को खैरात मत कहना ।
मदहोश होना फितरत -ए-इश्क है-
इसे शराबी कि हरकात मत कहना ।
दोपहर बन आशियाना फूंक दे-
उस घड़ी को तुम प्रभात मत कहना।
() रवीन्द्र प्रभात
खुशनसीबों को हीं मिलती है ये-
जवाब देंहटाएंमोहब्बत को खैरात मत कहना ।
na mohabbat ko khairat kahna
mohabbat mein jo mile
use poori kaynaat samajhna ......
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
जवाब देंहटाएंदर्द है, नसीहत है, तजुर्बा भी-
जवाब देंहटाएंग़ज़ल को फ़कत जज़्बात मत कहना ।
खुशनसीबों को हीं मिलती है ये-
मोहब्बत को खैरात मत कहना ।
वैसे तो सारी ग़ज़ल ही लाजवाब है ... पर ये दो शेर बहुत पसंद आये ... खूबसूरत रचना के लिए बधाई स्वीकारें ...