बड़ा ज़िद्दी बड़ा निडर बड़ा खुद्दार है वह ...
(ग़ज़ल )
बड़ा ज़िद्दी बड़ा निडर बड़ा खुद्दार है वह
इसलिए शायद अलग-थलग इसपार है वह ।
रात को दिन और दिन को रात कैसे कहे-
यार जब राजनेता नहीं फनकार है वह ।
उसे इन मील के पत्थरों से क्या मतलब-
सफ़र के लिए हर बक्त जब तैयार है वह ।
क्यूँ डराते हो जंग से बार -बार उसको -
खुद जब अपने साये से बेजार है वह ।
कोई रिश्ता नहीं उससे मेरा "प्रभात"
पर लगता मैं बारिश और बयार है वह ।
() रवीन्द्र प्रभात
कोई रिश्ता नहीं उससे मेरा "प्रभात"
जवाब देंहटाएंपर लगता मैं बारिश और बयार है वह ।
सचमुच बेहतरीन ग़ज़ल
dabirnews.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंक्यूँ डराते हो जंग से बार -बार उसको -
जवाब देंहटाएंखुद जब अपने साये से बेजार है वह ।
सबसे सुन्दर पंक्तियाँ... वाकई बड़ा जिद्दी है वो...
रात को दिन और दिन को रात कैसे कहे-
जवाब देंहटाएंयार जब राजनेता नहीं फनकार है वह ।
उसे इन मील के पत्थरों से क्या मतलब-
सफ़र के लिए हर बक्त जब तैयार है वह ।
सुन्दर पंक्तियाँ...बेहतरीन ग़ज़ल !
achha kuchh nahin padhaa aaj maine.........
जवाब देंहटाएंdhnyavaad !
उसे इन मील के पत्थरों से क्या मतलब-
जवाब देंहटाएंसफ़र के लिए हर बक्त जब तैयार है वह ।
बिलकुल सही कहा कर्म करने वाला तो हमेशा कर्म ही करता है।
कोई रिश्ता नहीं उससे मेरा "प्रभात"
पर लगता मैं बारिश और बयार है वह ।
वाह बहुत खूब। बधाई इस गज़ल के लिये।
बेहतरीन गज़ल।
जवाब देंहटाएंसचमुच सफ़र के लिए हर बक्त जब तैयार है वह,उसे इन मील के पत्थरों से क्या मतलब ?
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब।
वाह! खूबसूरत ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंप्रेमरस.कॉम
रात को दिन और दिन को रात कैसे कहे-
जवाब देंहटाएंयार जब राजनेता नहीं फनकार है वह ।
bahut sunder rachana.
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंस्वयं शून्य