कल से ब्लोगोत्सव पर एक परिचर्चा शुरू की गयी कि भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए क्या करना चाहिए ? इस पर मैंने मुक्ति, मलय, डा श्याम गुप्त और हरिहर झा के विचारों को आपके समक्ष रखा ......!



इस पोस्ट में पाठक की हैसियत से शामिल
श्रीमती निर्मला कपिला जी ने महत्वपूर्ण सवाल उठाते हुए कहा कि - " रवीन्द्र जी,सभी ने बहुत अच्छे सुझाव दिये हैं। लेकिन सवाल यहाँ ये है कि ऐसा करेगा कौन? सरकार से तो सुधार की उमीद बेकार है। शायद कोई करिश्मा ही इस मुँह लगे खून से हमे बचा सकता है इस के लिये सब से बडी जरूरत लोगों को सचेत करने की है । और हमे खुद से ही ये सफर शुरू करना होगा। अगर हम अपने अपने घर परिवार की या अपने आस पडोस के लोगों को समझाने की जिम्मेदारी भी ले लें तो बहुत लाभ हो सकता है कोई समाज सेवी संस्था के अधीन ये काम हो सकता है। अब तक हम नैतिक आचरण को सुधारने के लिये प्रयास नही करेंगे तब तक कुछ नही होगा। धन्यवाद।"

इसी से संदर्भित एक पोस्ट पर भी मेरी कल नज़र पड़ी -
भ्रष्टाचार का विरोध सब कर रहे हैं, आइये हम सफाया करें रायटोक्रेट कुमारेन्द्र का कहना है कि - "भ्रष्टाचार...........भ्रष्टाचार.............भ्रष्टाचार!!! अब हर जगह इसी की चर्चा हो रही है। ब्लॉग पर तो इसकी चर्चा बहुत जोरों से और बहुत ही पहले से होती आ रही है। हमने भी कई बार अपने ब्लॉग पर इसको समाप्त करने के सम्बन्ध में सभी ब्लॉगर साथियों से अपील भी की है अब देखने में आ रहा है कि भ्रष्टाचार पर आम आदमी, राजनेता, राजनैतिक दल, न्यायालय आदि-आदि अपना हमला कर चुके हैं। मंत्रियों ने भी इस पर अपनी राय देनी शुरू कर दी है। इससे ऐसा लगता है कि अब भ्रष्टाचार को मिटाने की पहल रंग ला सकती है।"

इस पर भिन्न-भिन्न लोगों के अलग-अलग मत हो सकते हैं, पर कहा गया है कि सबसे बड़ी समस्या वह होती है, जिसे लोग समस्या मानना बन्द कर देते हैं और जीवन का एक हिस्सा मान लेते हैं। इस प्रकार देखा जाये तो 'भ्रष्टाचार' देश की सबसे बड़ी समस्या है ....!


भ्रष्टाचार कैसे समाप्त हो ? इस प्रश्न के उत्तर तलाशने के लिए हमें कई ब्लोगर साथियों के दरवाजों पर दस्तक देना पडा , किसने क्या कहा जानना चाहेंगे आप ?

आगे पढ़ें .....
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हिंदी ब्लोगिंग के प्रारंभ से क्रम -दर-क्रम सुखद पहलूओं को समेटते हुए निरंतर अग्रसर है यह ब्लॉग परिक्रमा.......पहुँच चुकी है वर्ष -२००८ के आखिरी मुकाम की ओर ! यदि आप जानना चाहते हैं कि कौन है वर्ष-२००८ के अग्रणी ब्लोगर तो यहाँ किलिक करें
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ज़िन्दगी के दर्द ह्रदय से निकलकर बन जाते हैं कभी गीत, कभी कहानी, कोई नज़्म, कोई याद ......जो चलते हैं हमारे साथ, ....... वक़्त निकालकर बैठते हैं वटवृक्ष के नीचे , सुनाते हैं अपनी दास्ताँ उसकी छाया में ।
आज पढ़िए वटवृक्ष पर इस्मत जैदी की कविता - मेरा निर्णय
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शब्द सभागार परिकल्पना की एक ऐसी प्रस्तुति है , जिसमें हिंदी जगत की महत्वपूर्ण गतिविधियों की रपट प्रकाशित की जाती है, ताकि आप उन गतिविधियों से रूबरू होते रहें ......शब्द सभागार में पढ़िए ....राजेन्द्र मिश्र व जयप्रकाश को गजानन माधव मुक्ति बोध सम्मान
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3 comments:

  1. lailaaj bimari hai bhrashtachaar..

    ise mitaane ki koshish

    fokat ki circus hai

    kshma karna bhai

    par sach hai

    -albela

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  2. bhrstachar khtm krne ke liyen ghr se iske sfaye ki shuruaat kren fir ghr ke bad pdos fir smaaj fir shr fir prdesh or ir desh se iska sfaaya krenge to khud bhaa khud aaf ho jayegaa vese khud bhrstachar krenge naa krne denge or jhaan ise dekhenge virodh krenge aesa soch len to bs fir bhrstachar aage aage or hm piche oche rhengge or jit hmari hogi. khtar khan akela kota rajsthan

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  3. http://aajkamudda.blogspot.com/2010/12/blog-post.html

    इस लिंक पर मैंने अपने विचार रखे हैं रविंद्र भाई

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