उलटबांसी
सरकार की नाक में दम, कर गया बाबा बम
बम कई प्रकार के होते हैं, एक वह जो मनमोहन सिंह की तरह फुसफुसाके फुस्स हो जाए । एक वह जो ब्लास्ट होते ही तालिबानी लड़ाकुओं की तरह पूरा का पूरा कुनबा चट कर जाए ।  इससे ऊपर बढिए तो हाईड्रोजन बम,अणु बम,परमाणु बम और न जाने  कितने प्रकार के होते हैं बम,सही-सही जानकारी लेनी हो तो ओबामा से ले सकते हैं क्योंकि ओबामा में भी है बम । किसी जमाने में मल्लिका बम भी हुआ करता था, यानी मल्लिका शेरावत बम जहां भी रख दो आठ-दस युवाओं को तो घायल कर ही जाती । कुछ दिन पहले यानी वर्ल्ड कप के दौरान पूनम पाण्डेय बम भी फूटा था  ।  आजकल पब्लिकसिटी में  आया है एक और शक्तिशाली बम यानी  बाबा बम,जो कर गया है सरकार की नाक में दम । बाबा बम के खौफ से आजकल सोनिया चाची चिंतामग्न है,क्योंकि यह कोई ऐसा वैसा बम नहीं है जो लोगों को मार कर  सुस्त पड़ जाए यह बम तो पूरी सल्तनत को हिलाने की क्षमता रखती है ।  
 राजधानी के रामलीला मैदान में तंबू के भीतर पूरी सुरक्षा व्यवस्था में है यह बम, लंगोट में लिपटा यह बम न फूटे इसलिए सल्तनत का पूरा कुनबा मिलकर यत्न कर रहा है । बम निरोधक दस्ते में शामिल है सल्तनत के चार-चार वजीर  । घबराईये  मत, इस बम के फूटने से जान-माल की हानि होने की संभावना नहीं है, किन्तु कई लोगों की कुर्सी जाने की संभावना जरूर है  । स्वर्ग के राजा इंद्र को भी अपनी कुर्सी बचाने की चिंता में नींद नहीं आती थी  ।  यह सर्वश्रेष्ठ कुर्सी चुनाव से नहीं, तपस्या अथवा एक सहस्त्र अश्वमेध यज्ञ  द्वारा प्राप्त हो सकती थी , इसलिए वे प्रत्येक तपस्वी का तप अप्सराएं भेजकर भंग किया करते थे  ।  अब सोनिया चाची भी जानती हैं कि उनकी कुर्सी कमोवेश इन्द्र की कुर्सी के सामान ही है,जो  चुनाव से प्राप्त नहीं हो सकती है वल्कि तिकरम रूपी अश्वमेध यज्ञ से हो सकती है  । 
यह बम देवभूमि हरिद्वार से विशेष विमान से  लाया गया है  । अरे हरिद्वार नहीं जानते ? मैं बताता हूँ यह वही भूमि है जहां सरकारी कारिंदों ने गंगा में ही घोटाला कर दिया ।  अब चूँकि यह बम भ्रष्टाचारियों को बलि देने के लिए बनाया गया था तो घोटालों में कैसे इस्तेमाल किया जाता सो इस बम को राजधानी ले आया गया ।अंजाम तक पहुंचा भी नहीं यह बम, कि सल्तनत सोच-सोच के हो गयी बेदम  ।  हाथ-पांव फूल गये। सोचने-समझने की ताकत खतम हो गयी। सो सरकार ने अपने चार खास कारिंदे  हवाई-अड़्डे पर बाबा को ठंडा करने के लिए भेज दिया जून की तपती दोपहरी में। अरे सत्यानास हो तेरा जिसने वातानुकूलित कक्ष से कभी कदम बाहर नहीं निकाला  उसे भेज दिया  भरी दुपहरी बाबा के चरणों में “शीर्षासन” करने के लिए ।
 एक अकेला बाबा बम, देश की पूरी सल्तनत पर भारी पड़ गया है। सरकार के कारिंदों को पसीना आ रहा है। सिब्बल के पेशानी पर बल पड़ रहे हैं । सुबोध बेचारा बम न फूटे इस जुगत में सुख के काँटा हो गए हैं । प्रणव के गले सूख रहे हैं, लेकिन पानी है, कि गले से नीचे उतरने का नाम नहीं ले रहा।कुछ लोग कहते हैं कि सरकारी कारिंदों ने ही बनाया है यह बाबा बम, ताकि अन्ना की हेकड़ी हो कम । 
  • रवीन्द्र प्रभात 

6 comments:

  1. बिलकुल सही कहा आपने सरकार ने ही रामदेव को पहले आगे किया फिर पीछे.सब घोर ड्रामा है -लूट के बंटवारे का.

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  2. बहुत सटीक अभिव्यक्ति ...आभार

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  3. एक बार फिर शिव त्रिनेत्र को,प्रलय रूप खुल जाने दो
    एक बार फिर महाकाल बन इन कुत्तों को तो मिटाने दो..
    एक बार रघुपति राघव छोड़ , सावरकर को गाने दो...
    एक बार फिर रामदेव को, दुर्वासा बन जाने दो...

    "आशुतोष नाथ तिवारी"

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  4. एक बार फिर शिव त्रिनेत्र को,प्रलय रूप खुल जाने दो
    एक बार फिर महाकाल बन इन कुत्तों को तो मिटाने दो..
    एक बार रघुपति राघव छोड़ , सावरकर को गाने दो...
    एक बार फिर रामदेव को, दुर्वासा बन जाने दो...

    "आशुतोष नाथ तिवारी"

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  5. एक अकेला बाबा बम, देश की पूरी सल्तनत पर भारी पड़ गया है। सरकार के कारिंदों को पसीना आ रहा है। सिब्बल के पेशानी पर बल पड़ रहे हैं । सुबोध बेचारा बम न फूटे इस जुगत में सुख के काँटा हो गए हैं । प्रणव के गले सूख रहे हैं, लेकिन पानी है, कि गले से नीचे उतरने का नाम नहीं ले रहा।कुछ लोग कहते हैं कि सरकारी कारिंदों ने ही बनाया है यह बाबा बम, ताकि अन्ना की हेकड़ी हो कम......

    बहुत सही.....हा हा हा हा !

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  6. आज तो टिप्पणी मे यही कहूँगा कि बहुत उम्दा आलेख है यह!

    एक मिसरा यह भी देख लें!

    दर्देदिल ग़ज़ल के मिसरों में उभर आया है
    खुश्क आँखों में समन्दर सा उतर आया है

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