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() रश्मि प्रभा0 सरस्वती प्रसाद
अमृता जी को घर के हर कोने में धूप अगर की तरह सुवासित करते हुए इमरोज़ ने मुस्कुरा कर कहा है -
परिकल्पना उत्सव का आरम्भ है , शुभकामनाओं की बारिश है , दुआ है , आशीष है ..... यूँ तो शुरुआत जाने माने लोगों से होनी चाहिए , पर ज़िम्मेदारी मेरी है तो खुद से आरम्भ करती हूँ ---
!! उत्सवी स्वर !!
प्रकृति के सुकुमार कवि की परिकल्पनाओं की धरती पर
हुआ है नीड़ का निर्माण फिर
बच्चन की मधुशाला के शाश्वत अर्थ को
मिला है एक सम्पूर्ण आधार
खोल आकाशीय द्वार
महादेवी की तरह कहा है सबसे
'जो तुम आ जाते एक बार '
लोगों की हर आहट पर
बावरा मन देखता है एक सपना
पृष्ठ दर पृष्ठ
अमिट यादों का सैलाब
इससे अपूर्व समुद्र मंथन और क्या होगा !
कलयुग के चक्र को भी
शब्दों, विचारों , भावनाओं ने घुमा दिया है
सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग
ठगे से इसका कर रहे हैं अवलोकन
इन्द्रधनुषी छटा बिखरी है सर्वत्र...
रचनाकार , गीतकार, संचालक , अतिथि
सब है एकाकार !
नीलम प्रभा के लिखे गीत के ये बोल जीवंत हो उठे हैं
'सब ऋषि मुनि आशीष दे रहे
हनुमंता चंवर डोलावत हैं'
सुप्त अवस्था में पड़ी सरस्वती की वीणा
झंकृत हो उठी है
आडम्बरों से दूर इस अलौकिक उद्यान में
देवता भी आशीर्वचन लिख रहे हैं
इस आयोजन के हर संचालक को
मुक्त विस्तार दे रहे हैं...
अपनी भाषा, अपने देश की हर गरिमा
हर परिवेश को हमने पढ़ा और जाना है
' विश्व बंधुत्व' का शंखनाद किया है
हमारी कल्पना ,परिकल्पना का
है यह अविस्मरनीय उत्सव
चलो मिलकर गायें
नए स्वर नए विश्वास का आगाज़ लिए ..........
'मिले सुर मेरा तुम्हारा
तो सुर बने हमारा '
प्रकृति के सुकुमार कवि की परिकल्पनाओं की धरती पर
हुआ है नीड़ का निर्माण फिर
बच्चन की मधुशाला के शाश्वत अर्थ को
मिला है एक सम्पूर्ण आधार
खोल आकाशीय द्वार
महादेवी की तरह कहा है सबसे
'जो तुम आ जाते एक बार '
लोगों की हर आहट पर
बावरा मन देखता है एक सपना
पृष्ठ दर पृष्ठ
अमिट यादों का सैलाब
इससे अपूर्व समुद्र मंथन और क्या होगा !
कलयुग के चक्र को भी
शब्दों, विचारों , भावनाओं ने घुमा दिया है
सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग
ठगे से इसका कर रहे हैं अवलोकन
इन्द्रधनुषी छटा बिखरी है सर्वत्र...
रचनाकार , गीतकार, संचालक , अतिथि
सब है एकाकार !
नीलम प्रभा के लिखे गीत के ये बोल जीवंत हो उठे हैं
'सब ऋषि मुनि आशीष दे रहे
हनुमंता चंवर डोलावत हैं'
सुप्त अवस्था में पड़ी सरस्वती की वीणा
झंकृत हो उठी है
आडम्बरों से दूर इस अलौकिक उद्यान में
देवता भी आशीर्वचन लिख रहे हैं
इस आयोजन के हर संचालक को
मुक्त विस्तार दे रहे हैं...
अपनी भाषा, अपने देश की हर गरिमा
हर परिवेश को हमने पढ़ा और जाना है
' विश्व बंधुत्व' का शंखनाद किया है
हमारी कल्पना ,परिकल्पना का
है यह अविस्मरनीय उत्सव
चलो मिलकर गायें
नए स्वर नए विश्वास का आगाज़ लिए ..........
'मिले सुर मेरा तुम्हारा
तो सुर बने हमारा '
() रश्मि प्रभा
कवि 'पन्त की बेटी' सरस्वती प्रसाद ने आशीर्वचन भेजें हैं -जो कल तुमने पाया , वह तुम्हारा आज बन विस्तार पाए , विनम्रता की थाती लिए यह विश्वास बना रहे - कल भी अपना होगा ....
अमृता जी को घर के हर कोने में धूप अगर की तरह सुवासित करते हुए इमरोज़ ने मुस्कुरा कर कहा है -
जीवन को उत्सव की तरह जीना और उसमें सबको जीवन्तता देना , यही तो प्यार है -
इस प्यार की जीत हमेशा हो ...मैं कल भी साथ था , आज भी हूँ , बस जब चाहो पुकार लो
0 इमरोज़
ब्लॉग की दुनिया के जाने माने व्यक्तित्व अविनाश वाचस्पति जी ने कहा -
परिकल्पना सिर्फ परियों की कल्पना भर नहीं है। यह सच्चाई की तरंग है। रचनाओं की उमंग है। सब लेखकों और पाठकों के संग संग है। इस साल परिकल्पना ब्लॉगोत्सव में आ रहा एक नया अद्भुत रंग है। इस रंग को महसूसने के लिए, अपने जज्बातों से जोड़ने के लिए आप सब अपनी रचनाएं इसमें अवश्य भेजें। उन्हें शामिल कर हमें प्रसन्नता होगी।परिकल्पना को हिन्दी ब्लॉगों की सच्चाई बनाने को आतुर हैं हम सब। हमारी आतुरता से आप 30 अप्रैल 2011 को राजधानी दिल्ली में परिचित हो चुके हैं। जिसके समाचार प्रिंट मीडियो में पूरे देश में चर्चा का विषय बने हैं।यह सब आप सबके सहयोग से है और इस योग में आप सब अपनी अपनी रचनाएं शीघ्र भेजें।
सादर/सस्नेह
आर्ट ऑफ लिविंग के सुमन सिन्हा का कहना है कि -
सादर/सस्नेह
0 अविनाश वाचस्पति
आर्ट ऑफ लिविंग के सुमन सिन्हा का कहना है कि -
"परिकल्पना उत्सव को मैं शुभकामना नहीं दूंगा ,
आशीर्वाद दूंगा ,
तुम्हारे पंख कभी आश्रित नहीं थे न होंगे
मैं जानता हूँ ,
तुम सब ऊँची से ऊँची मंजिल से भी ऊँचे जाओगे ,
क्यूंकि ,
तुम में , मैं संभावनाएं देख चुका हूँ ,
0 सुमन सिन्हा
रंजना भाटिया जी की कामना है-
शब्दों का अनूठा संसार
हर लफ्ज़ में एक धार
सजी परिकल्पना जीवन के हर रंग से
बड़े उन्नति के पथ पर यह हर ढंग से .....
परिकल्पना हर लिखने वाले का एक सपना बने इसी दुआ के साथ ढेरों ढेरों शुभकामनाएं
हर लफ्ज़ में एक धार
सजी परिकल्पना जीवन के हर रंग से
बड़े उन्नति के पथ पर यह हर ढंग से .....
परिकल्पना हर लिखने वाले का एक सपना बने इसी दुआ के साथ ढेरों ढेरों शुभकामनाएं
0 रंजना भाटिया
शुभकामनाओं के बाद अब बारी है आज के कार्यक्रमों की , तो आईये आपको आज होने वाले कार्यक्रमों से रूबरू करते है
काव्य सृजन में आज :
और शाम-ए-अवध में सुनें आज डा. सुप्रिया जोशी की आवाज़ में : रोशनी बनकर जियो
शुभकामनाओं के बाद अब बारी है आज के कार्यक्रमों की , तो आईये आपको आज होने वाले कार्यक्रमों से रूबरू करते है
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आज के कार्यक्रम का आकर्षण :
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अपनी बात में आज :
परिकल्पना ब्लॉगोत्सव की शुरुआत
चाँद के पार में आज:
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अपनी बात में आज :
परिकल्पना ब्लॉगोत्सव की शुरुआत
चाँद के पार में आज:
न्यू मीडिया कंपोजिट मीडिया है
विशेष :
तेरे माथे पे ये आँचल, बहुत ही खूब है लेकिन……
सीधी बात में आज गिरीश बिल्लोरे के संग शिखा वार्ष्णेय सीधी बात :01 “प्रवासी चिट्ठाकार एवम साहित्यकार “
कामायनी के ७५ वर्ष :
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर, बैठ शिला की शीतल छाँह एक पुरुष,भीगे नयनों से देख रहा था प्रलय प्रवाह विशेष :
तेरे माथे पे ये आँचल, बहुत ही खूब है लेकिन……
सीधी बात में आज गिरीश बिल्लोरे के संग शिखा वार्ष्णेय सीधी बात :01 “प्रवासी चिट्ठाकार एवम साहित्यकार “
कामायनी के ७५ वर्ष :
काव्य सृजन में आज :
आखिरी बात अभी कही नहीं है
व्यंग्य में आज :
’लंगोट वाले बाबा का आशिर्वाद
व्यंग्य में आज :
’लंगोट वाले बाबा का आशिर्वाद
बाल मन में आज :
अक्षिता पाखी के चार रेखाचित्र
और शाम-ए-अवध में सुनें आज डा. सुप्रिया जोशी की आवाज़ में : रोशनी बनकर जियो
अवगत हुआ।
जवाब देंहटाएंब्लोगोत्सव की सफलता के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं.
जवाब देंहटाएंआपकी आवाज़ और आपकी आवाज़ में प्रस्तुतीकरण बहुत बहुत अच्छा लगा.
सादर
शुभकामना !
जवाब देंहटाएंइसकों देखकर ऐसा लग रहा है कि जिनके फितरत में केवल आलोचना करना लिखा है वे आलोचना करेंगे और जिनके फितरत में काम है वह हर समय अपने काम को सुन्दरता के साथ मुकाम तक ले जाता है .........सुन्दर आगाज़ के साथ श्रेष्ठ प्रस्तुति के लिए रश्मि जी और रवीन्द्र जी को ढेर सारी बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंरश्मि जी बधाईयाँ ...सचमुच आपने तो उत्सव में प्राण फूंक दिया !
जवाब देंहटाएंप्रस्तुतीकरण बहुत बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंआपके सद्प्रयासों की सफलता हेतु हम मंगल कामना करते हैं.
जवाब देंहटाएंबस एक शब्द ..जबरदस्त.
जवाब देंहटाएंढेरों शुभकामनाये.
बहुत पहले जब ब्लॉग पर लिखना शुरू किया था ,एक धुंधली सी कल्पना थी इस तरह के प्रस्तुती की ..पर कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया था की कैसे यह संभव है आज उस कल्पना को आपने पंख दे दिए हैं बहुत बहुत बधाई रश्मि जी रविन्द्र जी ...दिल से से ढेर सारी शुभकामनाएं ..
जवाब देंहटाएंपरिकल्पना की कल्पना इतनी सजीवता लाएगी.. इस उत्सव की शुरूआत में ही एक नया रंग झलक रहा है... यही शुभकामनाएं हैं आप सबके प्रयास से यह इन्द्रधनुष के रंगो सी अपनी आभा बिखेरता रहे ..आभार ।
जवाब देंहटाएंआपकी आवाज़ में पूरा विवरण सुन कर मन प्रसन्न हो उठा ....आप सबको बहुत बहुत शुभकानाएं
जवाब देंहटाएंआज के उत्सव का लेखा जोखा मिला ...जाते हैं सबके साथ उत्सव मनाने ...
जवाब देंहटाएंरविन्द्र प्रभात जी और रश्मि जी का आभार ..इस सुन्दर उत्सव के लिए और शुभकामनायें
दीदी,इस उत्सव को पंख लगे और यह तेजी से परवाज करे, नित नयी ऊँचाइयों को छुए. इस सुन्दर उत्सव के आगाज के लिए बधाई और इसकी सफलता के लिए ढ़ेरों शुभकामनाएं.शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअनुपम अभिव्यक्ति..!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत मुबारकबाद और शुभकामनाएं । आलोचनाओं और प्रशंसा से परे आप अपना काम बदस्तूर जारी रखे हुए हैं और ये एक परंपरा के स्थापित होने जैसा है । हमें खुशी है कि हम इसके गवाह बन रहे हैं । अंतर्जाल पर तो ये अब शाश्वर होकर रहेगा । पुन: शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंब्लोगोत्सव की सफलता के लिए बधाई और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंhardik shubhkamnayen...
जवाब देंहटाएंउत्सव के आरंभ ने मन मोह लिया.. ढेरों शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंनए कलेवर में प्रस्तुतिकरण ने मन मोह लिया। शुभकामनाएं.........
जवाब देंहटाएंढेर सारी शुभकामनायें ...!
जवाब देंहटाएंब्लागोत्सव के पुन: शुभारम्भ के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई एवम शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंब्लॉग महोत्सव की सफलता हेतु शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुतिकरण...अनेक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभ कामनाएं.
जवाब देंहटाएंइस पुनीत कार्य के सफलतम सञ्चालन हेतु सम्मानीय रवींद्र प्रभात जी, रश्मि प्रभा दी, अविनाश वाचस्पति जी और सम्पूर्ण परिकल्पना, ब्लोगोत्सव मंडल को हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई !
जवाब देंहटाएंइस पुनीत कार्य के सफलतम सञ्चालन हेतु सम्मानीय रवींद्र प्रभात जी, रश्मि प्रभा दी, अविनाश वाचस्पति जी और सम्पूर्ण परिकल्पना, ब्लोगोत्सव मंडल को हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई !
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