जब ज्यादा गर्मी पड़ती है
तो कितनी मुश्किल बढती है
बार बार बिजली जाती है
पानी की दिक्कत आती है
और जब आती बारिश ज्यादा
वो भी हमको नहीं सुहाता
सीलन,गीले कपडे, कीचड
और जाने कितनी ही गड़बड़
और जब पड़ती ज्यादा सर्दी
तो मौसम लगता बेदर्दी
तन मन की ठिठुरन बढ़ जाती
गरम धूप है हमें सुहाती
जब भी मौसम कोई बदलता
थोड़े दिन तो अच्छा लगता
लेकिन फिर लगता चुभने
क्यों होता सोचा क्या तुमने?
क्योंकि लालसा जिसकी मन में
जब वो आता है जीवन में
थोड़े दिन तो मन को भाता
लेकिन फिर है जी उकताता
ये तो मानव का स्वभाव है
कुछ दिन रहता बड़ा चाव है
किन्तु चाहता फिर परिवर्तन
स्वाद चाहिये नूतन,नूतन
प्रकृति काम करे है अपना
ठिठुरन कभी बरसना,तपना
वैसे ही निज काम करें हम
और मौसम से नहीं डरें हम
मौसम तो है आते ,जाते
मज़ा सभी का लो मुस्काते
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
रविवारीय महाबुलेटिन में 101 पोस्ट लिंक्स को सहेज़ कर यात्रा पर निकल चुकी है , एक ये पोस्ट आपकी भी है , मकसद सिर्फ़ इतना है कि पाठकों तक आपकी पोस्टों का सूत्र पहुंचाया जाए ,आप देख सकते हैं कि हमारा प्रयास कैसा रहा , और हां अन्य मित्रों की पोस्टों का लिंक्स भी प्रतीक्षा में है आपकी , टिप्पणी को क्लिक करके आप बुलेटिन पर पहुंच सकते हैं । शुक्रिया और शुभकामनाएं
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