एक माँ - हवाओं का रुख मोड़ना जानती है,
खड़ी हो जाती है आंधी-तूफ़ान के आगे कवच सी
सारथि बन सम्पूर्ण संसार में अपने बच्चों के आगे
मन्त्रों के अश्व लिए शुभ का यज्ञ करती है ….
आसमान में
जब सतरंगी सपने झिलमिलाते हैं
तो माँ उनमें से चटक रंग ले आती है
अपने आँचल में बांधकर
फिर अपने बच्चों की आँखों में
बूंद बूंद भर देती है
.... चटकीले सपनों को मकसद बना
नन्हें कदम डग भरने लगते हैं !
दिन भर फिरकनी की तरह खटती माँ
थकती नहीं
चटकीले रंग , मोहक सपने लाना
कभी भूलती नहीं ...
कभी मालिश करते वक़्त
कभी जूते पहनाते
कभी कौर खिलाते
कभी सर सहलाते हुए
देती जाती है मोहक रंगों की उड़ान !
हकीकत की धरती को
कभी बाँझ नहीं होने देती
सपनों के बीज लगाती जाती है
आंसुओं से सींचती जाती है ...
माँ ...
हर पल साथ लिए चलती है
जब भी मन अकुलाता है
आँचल की गाँठ से जोड़ लेती है
माँ ...
बड़ी प्यारी होती है !!!
रश्मि प्रभा
वाह...वाह...वाह...
जवाब देंहटाएंनिःशब्द हूँ
सिर्फ महसूस कर सकती हूँ...
कर रही हूँ...!!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर रचनाऐं ।
जवाब देंहटाएंNishabd krti prastuti.....
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