बिक गया स्वाभिमान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !
देश और सम्मान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
देश और सम्मान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
ऐसी लड़ी है आंख पश्चिम से कि देखो खो गयी-
मनमोहनी मुस्कान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
एक-दूजे पे उछाले खूब कीचड, बेच दी नेताओं ने -
गुजरात का अभियान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
गुजरात का अभियान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
मिलाई लीद घोडें की धनिया में वो चर्बी तेल में -
बिक गया इंसान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
बिक गया इंसान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
भरोसे राम के ही चल रही संसद हमारे देश की -
नेता बना भगवान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
नेता बना भगवान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
बेचकर सरे-आम अबला की यहाँ अस्मत कोई -
कर रहा उत्थान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
कर रहा उत्थान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
मिल गए "करूणा" से "बुद्ध" रामसेतु के बहाने -
कर गए अपमान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
कर गए अपमान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
कर दिए खारीज़ हमारे राम के अस्तित्व को ही-
खो गयी पहचान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
खो गयी पहचान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
अब बचा क्या बिल्लोरानी जान हीं तो शेष है -
कहो तो दे दूं जान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ!!
कहो तो दे दूं जान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ!!
() रवीन्द्र प्रभात
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इतने सुन्दर ढ़ंग से इतना सशक्त व्यंग! मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंbahut hi achha laga. saral shabdon mein aapne apni baat kah di hai.
जवाब देंहटाएंजबरदस्त व्यंग्य लिखा है आपने व्यवस्था पर. सच्ची तस्वीर पेश कर दी. बहुत अच्छे.मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंव्यंग्य अच्छा है. जब तक दिल को चुभे न तब तक व्यंग्य कैसा.... बड़ी सार्थक परिकल्पना है.
जवाब देंहटाएंमजेदार, शानदार, हमारे यार
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