 विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व ज्यादा प्रासंगिक !
विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व ज्यादा प्रासंगिक !
कहा गया है कि कार्यों पर विचारों का प्रभुत्व प्रासंगिक नही होता , प्रासंगिक होता है कि विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व बनाया जाए । किसी भी क...
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 विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व ज्यादा प्रासंगिक !
विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व ज्यादा प्रासंगिक !
कहा गया है कि कार्यों पर विचारों का प्रभुत्व प्रासंगिक नही होता , प्रासंगिक होता है कि विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व बनाया जाए । किसी भी क...
 आपके पसंदीदा 25 चिट्ठे
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तुलसी का पत्ता क्या बड़ा क्या छोटा ? आज जिसप्रकार हिन्दी के चिट्ठाकार अपने लघु प्रयास से प्रभामंडल बनाने में सफल हो रहे हैं, वह भी साधन और स...
 परिकल्पना पर फ़िर इसबार हिन्दी चिट्ठाकार विश्लेषण -२००८ नए रूप में ...!
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सुझाव आमंत्रित- ravindra.prabhat@gmail.com
 नेता शिरोमणी श्री राम लाल जी का चुनावी घोषणा - पत्र
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आया हूँ तेरे द्वारे, तू दे-दे मुझको प्यारे, वोटों की झोली दे-दे, या खोखा-खोली दे-दे, मेरा ईमान ले-ले , अपना ईनाम दे-दे, अल्लाह के नाम दे या...
 चुनाव जब भी आता है दोस्त !
चुनाव जब भी आता है दोस्त !
चुनाव जब भी आता है दोस्त ! सजते हैं वन्दनवार हमारे भी द्वार पर और हम- माटी के लोथडे की मानिंद खड़े हो जाते हैं भावुकता की चाक पर करते हैं बस...
 लौटा है शीत जब से गाँव
लौटा है शीत जब से गाँव
प्रीति भई बावरी , देख घटा सांवरी , है धरती पे उसके न पाँव , लौटा है शीत जब से गाँव । सुरमई उजालों में चुम्बन ले घासों को , बेंध रही हौले से...