एक ऐसी लेखिका जिसकी साधना के स्वर पाठकों के मन के सुदूर घाटियों में अन्तर्निहित स्वर को ध्वनित- प्रतिध्वनित करने में पूरी तरह सक्षम है ...!
एक ऐसी लेखिका जिसकी साधना जब सरस्वती की अग्निविना पर सुर साधती है तो साहित्य की अग्नि धाराएं प्रवाहित होने लगती है ...! इन अग्निधाराओं में कहीं अग्नि की आंच धाह मारती है तो कहीं कलुषित परिवेश की कालिमा जलाकर उसके बदले एक खुशहाली से भरे विहान की ललक दिखा जाती है....!
जानते हैं कौन है वो?
वो हैं सूरत (गुजरात) निवासी प्रीती महेता
जिन्हें ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने वर्ष की श्रेष्ठ परिचर्चा लेखिका का खिताब देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है !
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प्रीति जी को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंप्रीति जी, इस उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंप्रीति जी को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएं--------
सबसे खूबसूरत आँखें।
व्यायाम द्वारा बढ़ाएँ शारीरिक क्षमता।
बहुत-बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंबधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई
जवाब देंहटाएंबधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई
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प्रीति जी को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रीति जी और उनकी कला - दोनों को बधाई।
जवाब देंहटाएंअरे वाह ...बहुत बहुत बधाई प्रीति
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई हो आपको।
जवाब देंहटाएंबधाई हो बधाई हो बधाई हो
जवाब देंहटाएंप्रीति जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंआप् सभी का तहे दिल से शुक्रिया ..!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई हो सभी को
जवाब देंहटाएंऔर रवीन्द्र जी आपको साधुवाद इस सब मेहनत के लिए !!
nice
जवाब देंहटाएंप्रीती जी को दिल से बधाई, शुभकानाएं और आपको साधुवाद..
जवाब देंहटाएंप्रीती जी को बहुत बहुत बधाई
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