एक ऐसा गीतकार जिसकी प्रतिभा को स्थानीय स्तर पर केवल दबाया ही न गया हो, अपितु उन्हें उस स्थान को प्राप्त करने से वंचित भी रखा गया जिसके वे सचमुच हक़दार थे ...!

एक ऐसा गीतकार जिसकी लेखनी से प्रेम के स्वर प्रस्फुटित होते हैं और कंठ में निवास करती हैं स्वयं सरस्वती ....जिसके गीत पाठकों/श्रोताओं को आंदोलित ही नहीं करते अपितु भीतर-ही भीतर नए महासमर के लिए तैयार भी करते हैं .....जिसकी प्रेमानुभुतियाँ इंसानियत के लड़खड़ाते कदमों को संभालने में, प्रेम पंजरी फांकने वालों को झुलसाने से बचाने में और हताश-निराश लोगों को आशा की किरण प्रदान करती है !

कहा भी गया है कि काव्य के निरिक्षण, परिक्षण और मूल्यांकन के सच्चे अधिकारी वही होते हैं जिनकी अभिव्यक्तियाँ प्रेम से सनी होती है ....यादों की बस्तियों में जिनके अपने महल-दुमहलें होती है और जो सपनों के सत्संग में स्नेह सुरभि लुटाता हो ....!

ऐसे ही एक काव्य व्यक्तित्व का नाम है राजेन्द्र स्वर्णकार
जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (लेखन और गायन) से अलंकृत करते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !

विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ किलिक करें

21 comments:

  1. राजेंद्र जी के कंठ में सचमुच सरस्वती बसती है .....मैं तो इनके ब्लॉग में डालीं इनकी सस्वर रचनायें सुनती हूँ तो मंत्र मुग्ध हो जाती हूँ ...ये कुदरत का अद्भुत करिश्मा हैं ....जीतनी इनकी वाणी में मिठास है उतने ही ये पाक और साफ़ दिल इंसान भी हैं ....मैं खुशगवार हूँ की मेरी कुछ नज्मों को इनकी आवाज़ मिली .....आज आपके द्वारा इन्हें सम्मानित किये जाने पर मुझे बेहद ख़ुशी हुई है .......बधाई राजेंद्र जी .......!!!!!!!!

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  2. राजेंद्र स्वर्णकार जी को बहुत-बहुत बधाई,

    रवींद्र जी और ब्लॉगोत्सव २०१० टीम का आभार,

    जय हिंद...

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  3. बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल

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  4. बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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  6. सर्वप्रथम , मैं बहुत विलंब से पहुंचने के लिए क्षमाप्रार्थी हूं ।

    शिखा जी , प्रवीण जी , हीर जी ,सुमन जी , माला जी , ज़ाकिर जी ,
    पूर्णिमा जी , गीतकार जी , प्रीति जी , संगीता जी ,
    अविनाश जी , समीर जी , नीर जी , ख़ुशदीप जी ,
    वाणी जी , प्रमोद जी ,सुनील जी , सुभाष जी ,और मनु जी ,
    एवम् चैटिंग तथा मोबाइल के माध्यम से जिन्होंने
    मुझे बधाइयां दे'कर प्रोत्साहित किया …
    आप सब ,
    आप सबका हार्दिक आभार मानता हूं ।


    कृपया , अपने स्नेह एवम् सहयोग में कमी न आने दें …
    और , मेरे कार्यों का सदैव मूल्यांकन करते रहें ,
    ताकि मुझे अनवरत श्रेष्ठ सृजन की प्रेरणा मिलती रहे ।

    पुनः धन्यवाद …
    आभार …
    शुक्रिया …
    शस्वरं पर भी आप सबका हार्दिक स्वागत है ।
    जो अभी तक मेरे यहां नहीं पहुंचे एक बार अवश्य आइएगा …

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  7. बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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