हिन्दी ब्लोगिंग तभी सार्थक विस्तार पा सकती है, जब हमारे बीच पारस्परिक सहयोग, सद्भाव , सदइच्छा , सदविचार, सद्बुद्धि का वातावरण कायम रह सके ।

हलांकि हिंदी पट्टी की जलवायु ऐसी है जिसमें तीन-चार लोग एक साथ मिलकर पांच मिनट तक कार्य नहीं कर सकते, प्रत्येक व्यक्ति अधिकार पाने के लिए संघर्ष करता है फलस्वरूप पूरा समूह संकट में पड़ जाता है ।

जब तक इर्ष्या,द्वेष , अहंवादिता कायम है , तबतक कोई भी रचनात्मक कार्य नहीं हो सकता । इसलिए इर्ष्या, द्वेष को किनारे करते हुए अद्भुत विशाल हृदयता से युक्त शाश्वत शक्ति और प्रगति संपूर्ण हिंदी ब्लोगिंग में व्याप्त होना चाहिए ऐसा मेरा मानना है , क्योंकि जबतक हम केवल एक और एक ही विचार के लिए समर्पण भाव से तैयार नहीं होंगे तबतक हमें प्रकाश का अनुभव नहीं होगा ।


आज कई ऐसे चिट्ठाकार हैं जो स्वयं को स्वयं भू मठाधीश बना बैठे हैं और टुकड़ों में गुट बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ और सर्वोत्तम दिखलाने की कोशिश में लगे हैं । जबकि सच्चाई यह है कि ऐसे लोग हिंदी के विकास में सबसे ज्यादा अवरोध पैदा करते हैं । ऐसे कई महत्वपूर्ण क्षण देखने को मिले हैं वर्ष-२०१० में । वर्ष -२०१० में किसने क्या बोला, किसने क्या सुना, किसने क्या खोया, किसने क्या पाया .....यानी कैसी रही हिंदी ब्लॉग जगत की गतिविधियाँ ?

हम खोलने जा रहे हैं परत-दर-परत इन्ही गतिविधियों के पन्नों को और करने जा रहे हैं विचार-विमर्श, चर्चा-परिचर्चा परिकल्पना पर शीघ्र .......

वर्ष-२०१० : हिंदी ब्लोगिंग ने क्या खोया -क्या पाया ?


यदि आप सक्रिय ब्लोगर हैं और वर्ष-२०१० की गतिविधियों पर आपकी पैनी नज़र रही है तो आप भी इस महत्वपूर्ण चर्चा का हिस्सा हो सकते हैं । आप अपने विचारों अथवा जानकारियों से हमें रूबरू कराएं । हम चर्चा के दौरान आपके विचारों अथवा जानकारियों को पूरा सम्मान देंगे और उसे आपके संवाद के अन्तरगत हुबहु प्रकाशित करेंगे , चाहे आपके विचार कड़वे ही क्यों न हो ......!


आप चाहें तो टिप्पणी बॉक्स में भी अपने विचारों अथवा जानकारियों को प्रस्तुत कर सकते हैं , या फिर मेरे मेल पर ....!


आप मेरा मेल आई डी जानते ही होंगे , खैर फिर से बता देता हूँ - mailto:ravindra.prabhat@gmail.com

30 comments:

  1. @ हम खोलने जा रहे हैं परत-दर-परत इन्ही गतिविधियों के पन्नों को और करने जा रहे हैं विचार-विमर्श, चर्चा-परिचर्चा परिकल्पना पर शीघ्र .......

    # इंतज़ार रहेगा जी

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  2. आपकी कोशिश अच्छी है , आप हमें अपने साथ पाएँगे ।

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  3. अम्नो-शांति की बातें फलेंगी तब ही
    चिठ्ठाजगत से 'झूठा' जब निकाला जाएगा


    "http://ahsaskiparten.blogspot.com पर देखिए

    डा. रंधीर साहब का बयान । उनके बयान की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि अमन का जो पैग़ाम उन्होंने दिया है , 'वेद-कुरआन' की बुनियाद पर दिया है , जिसके सच होने में सिर्फ वही शक करेगा जो खुद सच्चा न हो ।

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  4. दिल्ली मे मीटिंग मे बालेन्दु जी ने कहा था कि पिछले एक साल में ब्लोगिंग नीचे आगई हैं आप कभी सोच कर देखियेगा कि पिछले एक साल से पहले कितनी ब्लॉगर मीट हुई हैं । कहीं ऐसा तो नहीं हैं इस मिलने मिलाने , पीने पिलाने मे ब्लोगिंग खत्म हो रही हैं ।

    ५००० - १०००० रूपए एक रात मे खर्च करने कि सामर्थ्य सब कि नहीं हो सकती । तो ऐसी पार्टी मे वही जायेगे जो रिटर्न मे इतना खर्च करने कि सामर्थ्य रखते होगे । और जो रिटर्न कि सामर्थ्य के बिना इन पार्टियों का मज़ा रखते हैं उनको क्या कहा जायेगा ये आप को कुछ दिन मे दिख जायेगा । रिटर्न का मतलब था कि अगर मै कहीं जाती हूँ तो कभी ना कभी जिस जगह मे जाती हूँ उसके हिसाब से मुझ भी खर्च करना होगा । यानी अगर मै किसी ऐसी मीट मै शिरकत करती हूँ जहां ५००० रूपए किसी एक व्यक्ति ने खर्च किये हैं तो या तो मै अपना हिस्सा दूंगी या अपने आप उतनी बड़ी मीट करवाने कि हसियत रखूंगी ।the one who is organizing the meet is not expecting a return but the one who is attending the meet should be in a capacity to organize a meet in return of the same level

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  5. बालेन्दु जी एक सुलझे हुए समीक्षक हैं , यदि उनका इशारा इस ओर है तो संभव है गलत न हो !

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  6. बालेन्दु जी एक सुलझे हुए समीक्षक हैं , यदि उनका इशारा इस ओर है तो संभव है गलत न हो !

    nahin unhonae yae nahin keha haen
    unhonae maatr itna kehaa thaa
    दिल्ली मे मीटिंग मे बालेन्दु जी ने कहा था कि पिछले एक साल में ब्लोगिंग नीचे आगई हैं
    aagae meri soch aur vichaar dhara haen kyuki aap ne puchha so likh diyaa

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  7. हमें इंतज़ार रहेगा उन परतों की जो ये राज़ खोलेंगे
    dabirnews.blogspot.com

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  8. परत-दर-परत इन गतिविधियों को जानना रसप्रद तो रहेगा ही शायद हम अपनी कमियों व कमजोरियों प्रतिलेखन कर परिमार्जन भी कर पाएँ।

    आशा है हिंदी ब्लोग-जगत का यह आत्ममंथन उसके सुधार और विकास का प्रेरकबल बनेगा।

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  9. आशा है हिंदी ब्लोग-जगत का यह आत्ममंथन उसके सुधार और विकास का प्रेरकबल बनेगा।

    सहमत !

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  10. आदरणीय रविंद्र जी ,
    सादर नमस्कार , हिंदी ब्लॉगिंग वर्ष २०१० ...विषय पर अपने विचार मैं आपको शीघ्र ही प्रेषित करूंगा । उम्मीद है कि इस वर्ष का लेखा जोखा रख सकूं धन्यवाद ।

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  11. कहीं ऐसा तो नहीं हैं इस मिलने मिलाने , पीने पिलाने मे ब्लोगिंग खत्म हो रही हैं ।?????

    नहीं रचना जी ल,
    बालेन्दु जी ने जिन सर्वेक्षणों और निष्कर्षों को सामने रखा था वे वैश्विक ब्लॉगिंग के परिप्रेक्ष्य में थे , और हिंदी भाषा विशेष के लिए नहीं थे । और आपके द्वारा संभावित इन कारणों से कतई दूर थे ।

    एक बात और ब्लॉगर बैठकों को यदि ब्लॉगिंग से जुडी प्रतिक्रियाओं से जोडा भी जाए तो अब तक कितना प्रतिशत उसे दिया जा सकता है .बहुत कारणों से ..मसलन यदि हम ब्लॉग बैठक में शामिल हो पाने और न हो पाने वाले ब्लॉगर्स की संख्या की तुलना भी करें तो भी ..वास्तविक स्थिति सामने आ जाती है ..यानि बहुत बडा समूह है जो अब तक किसी ब्लॉग बैठक में शामिल नहीं हो सका है ..और न ही हर ब्लॉग बैठक ने ..बल्कि मेरे अनुसार तो किसी भी ब्लॉग बैठक ने हिंदी ब्लॉगिंग का कद नीचा नहीं किया है ..क्रमश:

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  12. और हां जब अंदेशों से ये जताने बताने की कोशिश की जाने लगती है कि ..अमुक लोग अमुक बैठक में इसलिए गए होंगे ..या वहां फ़लाना ढिमकाना हुआ होगा ..तो फ़िर उसमें अवश्यंभाविता का दृष्टिकोण दिखने की गुंजाईश ज्यादा लगती है ..। हालांकि ये सिर्फ़ मेरा सोचना है ..जरूरी नहीं कि इससे कोई इत्तेफ़ाक रखे

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  13. रविन्‍द भईया आपका यह प्रयास सराहनीय है, इस संबंध में ब्‍लॉगरों के विचार के अतिरिक्‍त ऐसे पाठकों के भी विचार आ जाए तो अच्‍छा होता जो ब्‍लॉगिंग-टिप्‍पणी ना करते हुए या यदा-कदा करते हुए सिर्फ पाठक हैं। यह विचार इसलिये कि पिछले दिनों मुझे एक साहित्‍यकार-ब्‍लॉगर नें बतलाया कि देश के एक ख्‍यात साहित्‍यकार नें कई हिन्‍दी ब्‍लॉगों पर अपनी निजी राय रखी थी तब उन्‍हें आश्‍चर्य हुआ था कि वे ब्‍लॉगों पर नजर रखे हुए हैं।

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  14. बहुत बढिया प्रयास्……………इंतज़ार रहेगा।

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  15. मैं तो आपके विचार पढ़ने आया था। यहां तो आपने हमें ही दबोचने की कोशिश की है। पर यह कोशिश भी अच्‍छी है, लग रही बहुत ही सच्‍ची है।

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  16. बन्धुवर रवीन्द्र प्रभात जी !

    वर्ष 2010 अभी समाप्त नहीं हुआ है, पूरे 31 दिन अभी बाकी हैं, परन्तु आपने जब पूछ ही लिया है तो मैं वही बताना चाहूँगा जो कि मैंने अनुभव किया . यद्यपि मेरा आंकलन किसी और की कसौटी पर खरा उतरे ये ज़रूरी नहीं है क्योंकि मुझे तो जुम्मा जुम्मा अभी कुछ ही महीने हुए हैं ब्लोगिंग करते और वैसे भी मैं कोई पढ़ा-लिखा विद्वान तो हूँ नहीं, बस किसी तरह कर लेता हूँ ये सोच कर कि किसी बहाने हिन्दी का विस्तार हो......

    तो जनाब खोने को तो यहाँ कुछ था नहीं,
    इसलिए पाया ही पाया है .
    नित नया ब्लोगर पाया है,
    संख्या में वृद्धि पायी है
    और रचनात्मक समृद्धि पाई है

    लेखकजन ने एक नया आधार पाया है
    मित्रता पाई है, निस्वार्थ प्यार पाया है
    दुनिया भर में फैला एक बड़ा परिवार पाया है
    इक दूजे के सहयोग से सबने विस्तार पाया है
    नूतन टैम्पलेट्स के ज़रिये नया रंग रूप और शृंगार पाया है
    रचनाओं की प्रसव-प्रक्रिया में परिमाण और परिष्कार पाया है
    नये पाठक पाए हैं,
    नवलोचक पाए हैं
    लेखन के लिए सम्मान और पुरस्कार पाया है
    नयी स्पर्धाएं, नयी पहेलियों का अम्बार पाया है

    लगे हाथ गुटबाज़ी भी पा ली है, वैमनस्य भी पा लिया है
    टिप्पणियाँ बहुतायत में पाने का रहस्य भी पा लिया है
    बहुत से अनुभव हमने वर्ष 2010 में पा लिए
    इससे ज़्यादा भला 11 माह में और क्या चाहिए

    -हार्दिक मंगलकामनाओं सहित,
    -अलबेला खत्री

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  17. जब तक इर्ष्या,द्वेष , अहंवादिता कायम है , तबतक कोई भी रचनात्मक कार्य नहीं हो सकता । इसलिए इर्ष्या, द्वेष को किनारे करते हुए अद्भुत विशाल हृदयता से युक्त शाश्वत शक्ति और प्रगति संपूर्ण हिंदी ब्लोगिंग में व्याप्त होना चाहिए ऐसा मेरा मानना है , क्योंकि जबतक हम केवल एक और एक ही विचार के लिए समर्पण भाव से तैयार नहीं होंगे तबतक हमें प्रकाश का अनुभव नहीं होगा ।

    बहुत ही अच्छी बात कही है आपने रविन्द्र जी ....इसी की आज जरूरत है इस कराहते हुए देश और समाज को.....

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  18. रवीन्द्र जी !
    ब्लॉग मिलन और बैठकी करवाने वाले और उनका उतना ही डटकर विरोध करने वाले भी बहुत कम प्रतिशत हैं ........उनका अतः इस प्रकरण से पूर्ण सम्पूर्ण की उम्मीद किसी और किस तरह ?

    फिर भी चूँकि आप पहले से ही हिन्दी ब्लागरी को इतिहासबद्ध करते आ रहे हैं ....तो उतनी ही उत्कंठा मुझे भी है ....जितनी आप सभी को |


    इन्तजार जारी है |

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  19. ओह मास्साब की टीप के बाद अब सोचना होगा कि ब्लॉगर बैठक करवाने वालों में नाम शामिल होने के कारण ..क्या हमारा विचार रखना ठीक होगा ? चलिए फ़िलहाल सोचते हैं ..

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  20. ओह!
    मेरी टीप से ऐसा क्या जो हुजूर (@झा जी )ने उल्लेख ने हमारा उल्लेख कर दिया ?

    मेरा आशय मात्र इतना था है और है कि बैठकी /सम्मलेन /मिलन/संगोष्ठी की अपनी मर्यादाएं हैं और सीमाएं
    ...... .......अतः इनका और इनमें मीन मेख निकालने वालों को हिन्दी ब्लॉग्गिंग के इतिहास में किस तरह इतना महत्वपूर्ण माना जाए ?

    इसीलिये तो मुझे आप सभी का इन्क्ल्युडिंग @झा जी की सोच का इन्तजार है |

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  21. ब्लोगिंग ने क्या खोया क्या पाया , कौन मठाधीश कौन क्या , कौन न. वन , हम तो इस पचड़े में कभी पड़ते ही नहीं अपना लिखने में मस्त रहते है किसी को जरुरत है तो पढ़े या ना पढ़े अपनी बला से , न अपने को किसी एग्रीगेटर की सहायता की जरुरत बस गूगल बाबा पर भरोसा है जो रोज २०० के लगभग पाठक भेज ही देता है |

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  22. सराहनीय प्रयास

    कोशिश करता हूँ, समय पर अपने विचार पहुँचाने की

    जब तक इर्ष्या,द्वेष , अहंवादिता कायम है , तबतक कोई भी रचनात्मक कार्य नहीं हो सकता

    मेरी उत्सुकता है कि गैर-रचनात्मक ब्लॉगिंग करने के लिए ख्यात किस ब्लॉगर ने 2010 में गैर-विवादास्पद प्रशंसनीय पोस्ट लिखी है

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  23. कहीं ऐसा तो नहीं हैं इस मिलने मिलाने, पीने पिलाने मे ब्लोगिंग खत्म हो रही हैं ।

    गजब का आकलन :-)

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  24. ईर्ष्या , द्वेष या अहम...एक दूसरे को नीचा दीखने की कोशिश , दूसरे के लेखन का मनचाहा पोस्टमार्टम दिख रहा है हिंदी ब्लॉगिंग में ....मगर फिर भी कुछ लोंग ऐसे भी हैं जो बिना किसी विवाद और किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाए नए रचनाकारों को प्रोत्साहित करते हैं , उचित मार्गदर्शन देते हैं ...ये बात और है कि उन्हें जबरदस्ती विवादों में घसीटा जाता है,आक्षेप लगाये जाते हैं , मजाक का केंद्र बनाया जाता रहा है ...अच्छा और बुरा दोनों ही अनुभव रहा है ....
    दूसरों के अनुभव से कई परते खुलेंगी ...
    सार्थक प्रयास ...साधुवाद !

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  25. चलिये, परतों दर परतों का इन्तजार करते हैं. :)

    शुभकामनाएँ.

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  26. मेरी निगाह भी यही देखने को आतुर है ...शुक्रिया

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  27. आप सभी का आभार ! मुझे उम्मीद नहीं थी कि आप सभी का सकारात्मक नजरिया मुझे प्राप्त होगा, किन्तु मुझे आश्चर्य तब हुआ जब मैंने देखा कि जीतनी टिप्पणियाँ मुझे टिपण्णी बॉक्स के माध्यम से प्राप्त नहीं हुयी उससे कई गुना मेरे मेल पर , मुझे ख़ुशी होगी इस क्रम को व्यापक चर्चा से जोड़ने में ......!

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आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

 
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