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मातृदिवस को मत रहने दो,तुम केवल एक मात्र दिवस
रोज करो सेवा माता की ,रोज मनाओ मातृदिवस
माँ झरना आशिवादों का , माँ ममता का सागर है
माँ सुरसरी स्नेह की है, कोई न माँ से बढ़ कर है
माता का ही तो प्रसाद है,ये तुम्हारा तन ,मन ,धन
जन्मदायिनी ,पालक, पोषक,सब माता है करो नमन
माँ का ऋण न चुका पाओगे,कितनी ही सेवा करलो
खुश किस्मत हो ,माँ है, आशीर्वादों से झोली भरलो
रोज करो सेवा माता की ,रोज मनाओ मातृदिवस
मातृदिवस को मत रहने दो,तुम केवल एक मात्र दिवस
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
मातृदिवस को मत रहने दो,तुम केवल एक मात्र दिवस
रोज करो सेवा माता की ,रोज मनाओ मातृदिवस
माँ झरना आशिवादों का , माँ ममता का सागर है
माँ सुरसरी स्नेह की है, कोई न माँ से बढ़ कर है
माता का ही तो प्रसाद है,ये तुम्हारा तन ,मन ,धन
जन्मदायिनी ,पालक, पोषक,सब माता है करो नमन
माँ का ऋण न चुका पाओगे,कितनी ही सेवा करलो
खुश किस्मत हो ,माँ है, आशीर्वादों से झोली भरलो
रोज करो सेवा माता की ,रोज मनाओ मातृदिवस
मातृदिवस को मत रहने दो,तुम केवल एक मात्र दिवस
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
माता के प्रेम कों समर्पित सुन्दर रचना ...
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