व्यंग्य 

जब धरा पर पाप का भार बढ़ता है
बेईमानी और भ्रष्टाचार   बढ़ता है
राजा,सत्ता के मद में मस्त होता है
आम आदमी परेशान और त्रस्त होता है
ऋषियों के तप भंग किये जाते है
दुखी हो सब त्राहि त्राहि चिल्लाते है
भागवत और पुराण एसा कहते है
ऐसे में भगवान अवतार  लेते है
चुभ रहे  सबको मंहगाई के शूल है
सारी परिस्तिथियाँ,आपके अवतार के अनुकूल है
जनता दुखी है,मुसीबत ही मुसीबत है
भगवान जी,अब तो बस आपके अवतार की जरूरत है
कई बार आपके आने की आस जगी
लेकिन हर बार ,निराशा ही हाथ लगी
कंस की बहन देवकी ,कारावास गयी,
 मगर कृष्ण रूप धर तुम ना आये
कई रानियाँ रोज सत्ता की खीर खा रही है,
पर राम रूप धर  तुम ना आये
कितने ही  पुलों के खम्बे है टूट गये
फिर भी आप नरसिंह की तरह ना प्रकट भये
प्रभु जी आपसे निवेदन है कि
 जब आप अवतार ले कर आना,
मच्छ अवतार की तरह ,दिन दिन दूनी बढती,
मंहगाई की तरह  मत आना
ढीठ नेताओं की तरह ,कछुवे की पीठ कर,
कच्छ अवतार की तरह मत आना
राम की तरह आओ तो आपको,
 एक बात बतलाना जरूरी है
 रावणों ने अपनी सोने की लंका,
स्विस बेंको में शिफ्ट करली है
व्यवस्थाएं हो रही है बेलगाम
इसलिए चाहे कृष्ण बनो,वामन या परशुराम ,
बहुत बेसब्री से इन्तजार कर रही जनता है
भगवान जी,ऐसे में आप का एक अवतार तो बनता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

   

2 comments:

  1. एक बात बतलाना जरूरी है
    रावणों ने अपनी सोने की लंका,
    स्विस बेंको में शिफ्ट करली है
    व्यवस्थाएं हो रही है बेलगाम
    इसलिए चाहे कृष्ण बनो,वामन या परशुराम ,
    बहुत बेसब्री से इन्तजार कर रही जनता है
    भगवान जी,ऐसे में आप का एक अवतार तो बनता है

    मदन मोहन बाहेती'घोटू'
    बढ़िया वातावरण रचा है इस कविता ने हैकमानों को आइना दिखाया है .
    कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.in/
    मंगलवार, 8 मई 2012
    गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस

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