GAZALNUMA GEET-QUAFAN-कफ़न ।
Markand Dave & MKTVFILMS
PRESENTS
HINDI GAZALNUMA GEET- -कफ़न।
पसीने से भिगे बदन ।
ये पसीने से भिगे हुए हैं बदन।
पेट भरने को छोड़ा है अपना वतन।
शहर में ये उठता धुआँ सा क्यूँ है?
किसी मजबूर दिल की है ये जलन।
पेट भरने को छोड़ा है अपना वतन।
ठेलोँ के नीचे बँधी ये चादर क्यूँ है?
पलते है ईनमे देखो ग़रीबों के रतन।
पेट भरने को छोड़ा है अपना वतन।
ये रोते-बिलखते मासूम क्यूँ है?
बेबसी ने बिकाया, माँ का ये तन।
पेट भरने को छोड़ा है अपना वतन।
फुटपाथ भी ये परेशान क्यूँ हैं?
औढकर कोई सोया हुआ है कफ़न।
पेट भरने को छोड़ा था उसने वतन।
मार्कण्ड दवे।दिनांकः२६/०२/२०११.
मैं और मेरी कहानियाँ- तथास्तु ।
प्रेरणात्मक कहानी संग्रह- किताब प्राप्तिस्थान
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THANKS.
MARKAND DAVE
जन्म दिन की ढेरों बधाइयां मार्कंड दवे जी, आप जिए हजारों साल !
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की बधाई ... गजल बहुत खूबसूरत लिखी है ॥सच को कहती हुई
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्रीरविन्द्रजी,आदरणीय सुश्रीसंगीताजी,
जवाब देंहटाएंआपकी मंगलकामना करते हुए,आपका अनेकोनेक धन्यवाद ।
मार्क्ण्ड दवे ।