
जन्म,मृत्यु,शादी,..... उत्सव कोई भी हो,कहीं भी हो - कोई न कोई कमी रह ही जाती है कमी ना हो तो सीखने के अवसर नहीं मिलते नहीं मिलती स...
🔽विश्व ब्लॉगकोश से जुड़ें और दर्ज कराएं अंतर्जाल पर अपनी सार्थक उपस्थिति
|
जन्म,मृत्यु,शादी,..... उत्सव कोई भी हो,कहीं भी हो - कोई न कोई कमी रह ही जाती है कमी ना हो तो सीखने के अवसर नहीं मिलते नहीं मिलती स...
परिकल्पना में भेजिए अपनी रचनाएँ - लघुकथा,कहानी,व्यंग्य,संस्मरण,यात्रा वृतांत,सामाजिक हलचल ..... पूरी धरती,पूरा आकाश लेकर भेजिए raspra...
बिना प्रयोजन कुछ संभव नहीं धरती भी जो बंजर होती है उसके पीछे सांकेतिक प्रयोजन होते हैं बंजर से उर्वरक होने के रास्ते जि...
( कृपया अब दूसरी कोई भी पोस्ट 25 दिसम्बर तक ना डाली जाये ) भीनी भीनी हवाओं की आहटें कहानियों कविताओं संस्मरणों हाइकु क्षणि...
( कृपया अब दूसरी कोई भी पोस्ट 25 दिसम्बर तक ना डाली जाये ) मुश्किलें ना हों तो रास्ते नहीं ... तो मुश्किलों से कभी ना घबराएँ ना डगम...
शादी जैसे पतझड़ के बाद ,बसंत ऋतू में ,फूलों का महकना जैसे प्रात की बेला में,पंछियों का कलरव, चहकना जैसे सर्दी की गुनगुनी धूप मे...
मंथरा जो लोग अपना भला बुरा नहीं समझते आँख मूँद कर, दूसरों की सलाह पर है चलते उन पर मुसीबत आती ही आती है बुद्धि भ्रष्ट करने ...
चन्दन सा बदन पत्नी जी हो नाराज,तो उन्हें मनाना जैसे हो लोहे के चने चबाना सीधी सच्ची बात भी उलटी लगती है एसा लगता है,सब हमारी ही...
बेचारी मधुमख्खी निखारना हो अपना रूप या दिल को करना हो मजबूत मोटापा घटाना हो खांसी से निजात पाना हो चेहरा हो बहुत सुन्दर ,इस...
शहद सी पत्नी और 'हनीमून' मधुर है,मीठी है,प्यारी है शहद जैसी पत्नी हमारी है भले ही इस उम्र में ,वो थोड़ी बु...
मिलन मिलन मिलन में अक्सर काफी अंतर होता जल जल ही रहता है ,टुकड़े पत्थर होता दूर क्षितिज में मिलते दिखते ,अवनी ,अम्बर ...
M.K. ARTS PVT.LTD. AHMADABAD-GUJARAT. PRESENTS "GEET-GAZAL KE SAYE MEN." (Recorded Year-1990.) http://w...
लक्ष्मी जी का आकर्षण ही एसा है कि , सब उसके प्रभाव से बंध जाते है चिघाड़ने वाले ,बलवान हाथी भी , उनको देख ,उमके सेवक बन जाते है औ...
धन तेरस ,धन्वन्तरी पूजा,उत्तम स्वास्थ्य ,भली हो सेहत और रूप चौदस अगले दिन,रूप निखारो ,अपना फरसक दीपावली को,धन की देवी,लक्ष्मी जी का ,करत...
जो दिखता है-वो बिकता है जो दिखता है -वो बिकता है बिका हुआ रेपिंग पेपर में , छुप प्रेजेंट कहाता है पर जब...
पहली बार जब परिकल्पना के समय की लिबास में रवीन्द्र प्रभात जी ने समय की सूई घुमाई तो कई काल इकट्ठे खड़े आशीर्वचन बोलों से शंखन...
दक्षिणा के साथ साथ अबकी बार ,जब आया था श्राध्द पक्ष तो एक आधुनिक पंडित जी , जो है कर्म काण्ड में काफी दक्ष हमने उन्हें निमंत्रण दि...
दिवाली मन जाती है जब भी आती है दिवाली ,हर बार एक जगह ,एकत्रित हो जाता है, हम सब भाइयों का पूरा परिवार मनाने को खुशियों का त्योंहार सा...
नहीं कहीं भी कोई कमी है मेरी पत्नी,गृहलक्ष्मी है जीवन को करती ज्योतिर्मय उससे ही है घर का वैभव जगमग जगमग घर करता है खुशियों से आँगन...
वटवृक्ष के बीज जब सोच में पनपे थे तो सपने उसकी जड़ों जैसे दूर तक मजबूत थे मिटटी की अपनी तासीर थी जिसे गाँव क...
पत्नी-पीड़ित -पति सारी दुनिया में ले चिराग , यदि निकल ढूँढने जाए आप मुश्किल से ही मिल पायेगा , ...
मात शारदे! मात शारदे ! मुझे प्यार दे वीणावादिनी ! नव बहार दे मन वीणा को , झंकृत कर दे हंस वाहिनी , एसा वर दे सत -पथ -अमृत , ...
दुनियादारी दोस्ती के नाम पर ,जाम पीनेवाले भी, दोस्ती के दामन में ,दाग लगा देते है धुवें से डरते है,लेकिन खुदगर्जी में, ...
जग में चार तरह के दानी प्रथम श्रेणी के दानी वो जो पापकर्म करते रहते है पर ऊपरवाले से डर कर ,दान धर्म करते रहते है ब...
वैभव के सपने देखे थे,मैंने जीवन के शैशव में इच्छाओं का बहुत शोर ,करता था मै किशोर वय में यौवन के वन में आ जाना,यह तो थी मृगतृष्णा कोरी ...
किसी ने ठीक ही कहा है, कि साहित्य विभिन्न विधाओं से जनकल्याण के साथ ही जग कल्याण करता है । नानारूप है माँ सरस्वती के साधना मंत्रों के । ...
कई रसीली ,मधुर रूपसी, मेरे उर में आती जाती उनकी सुरभि,मुझे लुभाती निश्चित ही स्वादिष्ट बहुत वो होगी, मेरा मन ललचाता लेकिन मै कुछ कर...
ज्योति का प्रथम तीर्थ दीप कालिमा आती नहीं समीप आइए उजियारे की लालिमा लाते हैं मिलकर दीपावली मनाते हैं ...... शुभ दीपावली ...
रेपिंग पेपर मै तो रेपिंग का पेपर हूँ चमक दमक वाला सुन्दर सा, मै तो एक आवरण भर हूँ मै तो रेपि...
अभी तो मै जवान हूँ? इस मकां के लगे हिलने ईंट ,पत्थर लगा गिरने ,दीवारों से भी पलस्तर पुताई पर पपड़ियाँ पड़ने लगी है धूल,मि...
दाल रोटी खा रहे हम,रोज ही इस आस से, सजी थाली में हमारी ,एक दिन तो खीर होगी मर के जन्मा ,कई जन्मों,आस कर फरहाद ये, ...
श्री विष्णु ,जग के पालनहार एकानन है,मगर भुजाएं चार याने सर और हाथ का अनुपात एक पर चार श्री ब्रह्माजी जिन्होंने ये सृष्ट...
संकट तो है सब पर आते लेकिन जो धीरज धरते है, मुश्किल में भी है मुस्काते संकट तो है सब पर आते हिल जाते है,...
कई वर्षों से यह बहस आम है कि ब्लॉग पर जो साहित्य लिखे जा रहे हैं वह कूड़ा है यानि दोयम दर्जे का है । हमारे कई साहित्यिक मित्र ऐसे हैं ज...
जीवन के हर एक मोड़ पर अपने सब सिद्धांत छोड़ कर चाहे हँसते, चाहे रोते करने पड़ते है समझौते बेटी का करना वि...