दो- तिहाई विश्व की ललकार है हिंदी मेरी -
माँ की लोरी व पिता का प्यार है हिंदी मेरी ।
बाँधने को बाँध लेते लोग दरिया अन्य से -
पर भंवर का वेग वो विस्तार है हिंदी मेरी ।
सुर -तुलसी और मीरा के सगुन में रची हुई -
कविरा और बिहारी की फुंकार है हिंदी मेरी ।
फ्रेंच , इन्ग्लीश और जर्मन है भले परवान पर -
आमजन की नाव है, पतवार है हिंदी मेरी ।
चांद भी है , चांदनी भी , गोधुली- प्रभात भी -
हरतरफ बहती हुई जलधार है हिंदी मेरी ।
() रवीन्द्र प्रभात
बाँधने को बाँध लेते लोग दरिया अन्य से -
जवाब देंहटाएंपर भंवर का वेग वो विस्तार है हिंदी मेरी ।
आपकी गजल अच्छी लगी। वाह! क्या विवरण है.बेहद उम्दा गजल के लिए दिल से शुक्रिया.
आपका-
मयन्क
बहुत अच्छा लिखते है , बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, भाई. हिन्दी दिवस की बधाई.
जवाब देंहटाएंरविंद्र जी
जवाब देंहटाएंआपकी कविता ह्र्दय स्पर्शी है।
दीपक भारतदीप
हिन्दी की अच्छी बात की आपने
जवाब देंहटाएंमुझे वीनू महेन्द्र की ये पक्ति याद आ रहे है
इन्ग्लिश से छिडी जग तो हिन्दी मे बोलिए
हिन्दी की है तरन्ग तो हिन्दी मे बोलिए
हिन्दी दिवस पे नेता ने हिन्दी मे ये कहा
हिन्दी है मदर टन्ग तो हिन्दी मे बोलिए
है न सहे बात?