कल दफ्तर से लौटा, निगाहें दौड़ाई ,हमारा तोताराम केवल एक ही रट लगा रहा था-"राम-नाम की लूट है लूट सकै सो लूट.........!" कुछ भी समझ न...
जब शहर से वापस आना ....!
इसे कविता समझें या संदेश , या फ़िर अभिव्यक्ति के माध्यम से सुझाव उन गुमराह नवजवानों को जो अज्ञानतावश शहर के गलैमर की चकाचौंध में खोकर अपने आस...
ऐसी हीं बिंदास होली हो इसबार ...!
होली में हो ली हो वाणी मिठास की , आंखों में झूल जाए मस्ती एहसास की, खिल जाए खुशियाँ, घर में उजास हो, न कोई दु:खी और न कोई उदास हो , म...
पके आम सा मन हुआ , रची पान सी प्रीत !!
कहा गया है, कि मन और बुद्धि के समर्पण की दिशा में एकता का रंग भरते हुए जीवन रूपी प्रवृतियों के कलश में संस्कार की मर्यादा को उतारना और आ...
सखी री फागुन आया है !
सरस नवनीत लाया है , सखी री फागुन आया है !! बरगद ठूंठ भयो बासंती , चंहु ओर हरियाली , चंपा, टेसू , अमलतास के भी चहरे पे लाली , पीली सरसों...
चीखते-बोलते बेहिचक , आदमी बेजुवां देखिए !
हरतरफ हादसा देखिए ! देश की दुर्दशा देखिए !! क्षेत्रवादी करे टिप्पणियाँ - देश का रहनुमा देखिए !! लक्ष्य को देख करके कठिन- कांपता नौजवां ...
यह पता चलता नही अब कौन किसका बाप है !
आजकल के माहौल पर अपनी संवेदनाओं को प्रदर्शित करने के कई माध्यम हैं, आप चाहें तो लंबा चिट्ठा भी तैयार कर सकते हैं और महज सात शब्दों के हाईकू...
आप कहते हो मियाँ सब छोड़ दो भगवान पर ?
विगत एक सप्ताह के अपने अनुभवों को बांटने में यदि गद्य का सहारा लिया जाए तो काफ़ी समय की जरूरत होगी , तो मैंने सोचा कि क्यों न आज उस बात की च...