(ग़ज़ल ) जीना है एक-एक पल टटोलकर जियो जब तक जियो प्रभात जिगर खोलकर जियो । हिम्मत बुलंद है तो मिलेगी तुम्हें मंजिल- कदमों को मगर नापकर व तोलक...
शर्म की पोशाक को वह छोड़ करके आ गया
(ग़ज़ल ) शर्म की पोशाक को वह छोड़ करके आ गया वेबसी की एक चादर ओढ़ करके आ गया । रक्त पीकर वह मनुज का कह रहा है शान से- रहगुजर में दो दिलों ...
दिल तो बच्चा है जी .....
हर व्यक्ति के भीतर एक बच्चा होता है, जो हमेशा नए-नए खुराफात हेतु उसे उकसाता रहता है । व्यक्ति जब मन की बातों को महसूस करता है और उसे ऐसा प्र...
करते हो क्यूँ न पहल तौबा-तौबा ।
दो गज़लें (एक) है अचंभित हवा ये पहल देखकर ताश के जो बने हैं महल देखकर । कंपकंपी सी हुई और शहर रो पडा- इस जमाने का रद्दोबदल देखकर । मैंने...
बहुप्रतीक्षित ब्लॉग परिक्रमा में शामिल होईये आप भी .....
जैसा कि आप सभी को विदित है कि पूर्व में ऐसी घोषणा की गयी थी कि परिकल्पना से जुड़े समस्त चिट्ठाकारों के लिए हम शीघ्र ही एक ऐसा पन्ना लेकर आ र...
अब बचा क्या बिल्लोरानी जान हीं तो शेष है ....
बिक गया अभिमान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ ! देश का सम्मान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !! थैलियों में खो गयी कॉमनवेल्थ की गड्डियां- लुट गया ...
आपकी नाराजगी जो रह गयी है ।
ग़ज़ल : एक कतरा जिंदगी जो रह गयी है घोल दे सब गन्दगी जो रह गयी है । भीख देगा कौन , मुझको ये बताओ- तुझमें ये आवारगी जो रह गयी है । आंख से आंस...
सस्ती कितनी जान हमारी बस्ती में ।
ग़ज़ल: कुछ सूखे जलपान हमारी बस्ती में सुपली भर है धान हमारी बस्ती में । हवा देखकर आज यहाँ शर्मिन्दा है- टूटे छप्पर-छान हमारी बस्ती में । पुत...
कुत्सित अवधारणाओ के ऊपर....
असत्य, अमानवीयता और कुत्सित अवधारणाओ के ऊपर सत्य, मानवीयता और प्रेरक विचारों के प्रभुत्व का प्रतीक पर्व "विजया दशमी " आप और आपके ...
वर्धा संगोष्ठी में उपस्थित थे गांधी, निराला, शमशेर और अज्ञेय भी ....
चौंक गए न आप ? चौंकिए मत यह सच है कि वर्धा में आयोजित संगोष्ठी में उपस्थित थे राष्ट्रपिता गांधी, निराला, शमशेर, अज्ञेय भी ..... आईये पहले मि...
वर्धा में केवल विचार मंथन ही नहीं मस्ती की पाठशाला भी
वाएं से जाकिर अली रजनीश,रवीन्द्र प्रभात,एडवोकेट पवन दुग्गल, जय कुमार झा,गायत्री शर्मा,अनूप शुक्ल और प्रियरंजन पालीवाल समापन सत्र के पश्चात...
अविस्मरणीय रहा वर्धा में आयोजित संगोष्ठी का दूसरा दिन
महात्मा गांधी अन्तराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला और संगोष्ठी के दूसरे दिन का दूसरा सत्र काफी महत...
कैमरे में कैद वर्धा में आयोजित संगोष्ठी की सच्चाई
विगत दिनांक ०९-१० अक्टूबर २०१० को वर्धा में महात्मा गांधी अन्तराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित "हिंदी ब्लोगिंग की ...