बिक गया अभिमान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !
देश का सम्मान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
देश का सम्मान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
थैलियों में खो गयी कॉमनवेल्थ की गड्डियां-
लुट गया सम्मान सस्ते में, मोगैंबो खुश हुआ
लुट गया सम्मान सस्ते में, मोगैंबो खुश हुआ
ऐसी लड़ी है आंख पश्चिम से कि देखो खो गयी-
मनमोहनी मुस्कान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
एक-दूजे पे उछाले खूब कीचड, बेच दी नेताओं ने -
अपना हिन्दुस्तान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
अपना हिन्दुस्तान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
मिलाई लीद घोडें की धनिया में वो चर्बी तेल में -
बिक गया इंसान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
बिक गया इंसान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
भरोसे राम के ही चल रही संसद हमारे देश की -
नेता बना भगवान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
नेता बना भगवान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
बेचकर सरे-आम अबला की यहाँ अस्मत पुलिस -
कर रही उत्थान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
काठ की हांडी चढ़ाके कालमाडी और गुर्गे -
कर गए अपमान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
कर गए अपमान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
कर दिए खारिज हमारे देश के अस्तित्व को ही -
खो गयी पहचान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
खो गयी पहचान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
अब बचा क्या बिल्लोरानी जान हीं तो शेष है -
कह दो दे दूं जान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ!!
कह दो दे दूं जान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ!!
() रवीन्द्र प्रभात
वाह..............बहुत ख़ूब !!!!!!!
जवाब देंहटाएंक्या बात है !
अब बचा क्या बिल्लोरानी जान हीं तो शेष है -
जवाब देंहटाएंकह दो दूं जान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ!
वाकई बहुत खुबसूरत है आपकी अभिव्यक्ति, कलमाडी ने तो सचमुच देश का स्वाभिमान बेच दिया है !
जवाब देंहटाएंएक-दूजे पे उछाले खूब कीचड, बेच दी नेताओं ने -
जवाब देंहटाएंअपना हिन्दुस्तान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
भरोसे राम के ही चल रही संसद हमारे देश की -
नेता बना भगवान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
बहुत ख़ूब
क्या बात है !
जवाब देंहटाएंखुबसूरत है आपकी अभिव्यक्ति....बहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंथैलियों में खो गयी कॉमनवेल्थ की गड्डियां-
जवाब देंहटाएंलुट गया सम्मान सस्ते में, मोगैंबो खुश हुआ
ऐसी लड़ी है आंख पश्चिम से कि देखो खो गयी-
मनमोहनी मुस्कान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
एक-दूजे पे उछाले खूब कीचड, बेच दी नेताओं ने -
अपना हिन्दुस्तान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
मिलाई लीद घोडें की धनिया में वो चर्बी तेल में -
बिक गया इंसान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
काठ की हांडी चढ़ाके कालमाडी और गुर्गे -
कर गए अपमान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !! रवीन्द्र जी गज़ल इतनी कमाल की है कि मोगैंबो के साथ हम भी खुश हुये। सटीक अभिव्यक्तियाँ हैं इस गज़ल मे। बधाई। कई दिन से कम्प्यूटर खराब था इस लिये ब्लाग पर आ नही पाई।
खुबसूरत अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना....
जवाब देंहटाएंमोगैंबो खुश हुआ ही, हम भी खुश हुए! :-)
very nice
जवाब देंहटाएंBahut khoob.
जवाब देंहटाएं..............
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