हर व्यक्ति के भीतर एक बच्चा होता है, जो हमेशा नए-नए खुराफात हेतु उसे उकसाता रहता है । व्यक्ति जब मन की बातों को महसूस करता है और उसे ऐसा प्रतीत होता है कि अमुक काम करने से सृजन का सुख प्राप्त होगा तब वह उस दिशा में उन्मुख हो जाता है , ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ -
वर्ष के प्रारंभिक दिनों में मेरे मन में यह ख्याल आया कि क्यों न अंतरजाल पर ब्लोगोत्सव मनाया जाए । मित्रों से सलाह-मशविरा किया और १५ अप्रैल से १५ जून तक चले इस ब्लोगोत्सव -२०१० ने अनेक कीर्तिमान बनाए । ब्लोगोत्सव पर महज दो महीनों में २०० से ज्यादा प्रतिभागी शामिल हुए , २००० से ज्यादा टिप्पणियाँ प्राप्त हुई, १०० से ज्यादा प्रशंसक बने और प्रतिदिन इस उत्सव में ८०० से ज्यादा पाठक पहुंचते रहे । ब्लोगोत्सव में ५० सृजनकर्मियों को सम्मानित भी किया गया जो अपने आप में एक कीर्तिमान है । ब्लोगोत्सव के समापन के पश्चात दो नए पन्ने हम आपके लिए लेकर आये ।
वटवृक्ष , जिसमें नज़्म, गीत, कविता, ग़ज़ल आदि का मनमोहक सफ़र शुरू किया गया अंतरजाल की लोकप्रिय कवियित्री रश्मि प्रभा के द्वारा ।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वटवृक्ष पर ५४ दिनों में ५४ कवियों / कवियित्रियों/लेखकों की रचनाओं पर ८४७ पाठकों की प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई और ५९ प्रशंसक बने यानी औसत एक रचना, १५ से ज्यादा टिप्पणियाँ और ०१ प्रशंसक प्रतिदिन । साथ ही प्रतिदिन इस पन्ने पर औसत २०० पाठक पहुंचते हैं जो इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है । इसकी नवीनतम पोस्ट पढ़ें -मरने से पहले
आने वाले दिनों में वटवृक्ष पर प्रकाशित रचनाकारों को पारिश्रमिक देने की भी योजना बनायी जा रही है ,साथ ही वटवृक्ष की रचनाओं को सहेजकर त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन करने की भी योजना बन रही है । इसलिए यदि आप रचनाकार हैं और अभीतक वटवृक्ष का हिस्सा नहीं बने हैं तो अपनी रचनाएँ वटवृक्ष को अवश्य भेजें , निम्न ई मेल आई डी पर- ravindra.prabhat@gmail.com
ब्लॉग परिक्रमा , जिसपर अभी क्रमवार हिंदी ब्लोगिंग के शैशव काल से अबतक की गतिविधियों पर मेरे द्वारा प्रकाश डाला जा रहा है ।
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आगे इसपर ब्लोगिंग से संवंधित कई अजीबो-गरीब बातें आपसे शेयर की जायेंगी । इसकी नवीनतम पोस्ट पढ़ें -हिंदी ब्लोगिंग का शैशव काल
शब्द सभागार , जिसपर साहित्य/संस्कृत और ब्लॉग जगत की महत्वपूर्ण गतिविधियों अथवा कार्यक्रम की रपट प्रकाशित की जाती है ।
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इसकी नवीनतम पोस्ट पढ़ें-मुक्तिबोध की कर्मस्थली में रचना शिविर का आयोजन,प्रविष्टियाँ आमंत्रित
कल से परिकल्पना का एक और पन्ना शुरू हुआ है साहित्यांजलि , जो साहित्यिक कृतियों पर केन्द्रित परिकल्पना की अनोखी प्रस्तुति है ।
फिलहाल इस पर मेरे उपन्यास ...ताकि बचा रहे गणतंत्र की कड़ियाँ प्रकाशित की जा रही हैं ....आप भी पढ़ें यहाँ
इस सन्दर्भ में अपने सुझाव और -
अपनी प्रतिक्रियाओं से हमें अवश्य अवगत कराएं ।
itni vistrit yaatra aur uski safalta .... nihsandeh prashansniye hai
जवाब देंहटाएंयह रूपरेखा और जानकारी देकर बहुत अच्छा किया आपने,जहाँ नहीं जा पाए हैं अब तक अब जा सकेंगे .सभी सफलताओं के लिए ढेरों बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंसचमुच दिल तो बच्चा है जी, वैसे ब्लॉगजगत के सर्वाधिक चर्चित व्यक्तियों में से एक हैं आप इसमें कोई संदेह नहीं ......पता नहीं इतना सबकुछ कैसे करते होंगे आप ? एक सफल ब्लोगर , सफल साहित्यकार, सफल विश्लेषक और लखनऊ ब्लोगर एसोसियेशन के सफल अध्यक्ष , आपको शुभकामनाएं मेरी और से !
जवाब देंहटाएंसभी सफलताओं के लिए ढेरों बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंजानकारी देकर बहुत अच्छा किया आपने,जहाँ नहीं जा पाए हैं अब तक अब जा सकेंगे
जवाब देंहटाएंढेरों बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंलगे रहो मुन्ना भाई। बहुत अच्छा कर रहे हैं। बधाई।
जवाब देंहटाएंआपके प्रश्रम को सलाम। नया ब्लाग साहित्याँजली अभी देखते हैं। धन्यवाद। इस सफर के लिये बधाई शुभकामनायें
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