मैं" एक अग्नि
शारीरिक यज्ञ कुण्ड में
निरंतर प्रज्ज्वलित …
आत्मविश्वास,
प्रयासों की समिधा से पोषित।
इससे अपरोक्ष निकलते आग्नेय वाण
ईर्ष्या,दम्भ,लालच,हिंसा को बेधते हैं
निशाना तब तक अचूक होता है
जब तक यज्ञ में
सोच की विघ्नता न आये !
शुभ समय
शुभ तिथि
तीर्थ
तीर्थ जल
ऋषि, ईश
.... सबकुछ इस शरीर में निहित है
मंथन कितना भी कठिन हो
अमृत अपने ही हाथ होता है …
सागर मंथन में
दो "मैं" खड़े थे
एक तरफ दम्भ और विनाश
एक तरफ विश्वास और कल्याण
दम्भ क्षणिक 'मैं' है
विश्वास शाश्वत …
'मैं' ही जन्म लेता है
'मैं' ही दूसरा शरीर धारण करता है
मृत्यु एक विराम है
एक दृष्टिगत प्रयोजन
अगले यज्ञ का
……………………………………।
रश्मि प्रभा
डायरी के पन्नों से
हे अव्यक्त ! हे अनंत !
बिन छुए ही
कैसा रोमांच भर जाते हो
रेशे-रेशे में
श्वासों के साथ भीतर आ
प्रेम की अनुभूति कराने
हे परब्रह्म ! हे अनंत
कैसा रोमांच भर जाते हो
रेशे-रेशे में
श्वासों के साथ भीतर आ
प्रेम की अनुभूति कराने
हे परब्रह्म ! हे अनंत
देह, मन ,बुद्धि से परे मिले तुम
देह, मन ,बुद्धि को शोभित करते
स्वर्ण रश्मियाँ फूटें तन से
मन समता का वाहक बनता
बुद्धि स्थिर हो प्रज्ञामयी !
देह, मन ,बुद्धि को शोभित करते
स्वर्ण रश्मियाँ फूटें तन से
मन समता का वाहक बनता
बुद्धि स्थिर हो प्रज्ञामयी !
दर्पण में तुम्हारा ही रूप झलकता है
वह अनुपम दृष्टि भीतर तक बींध जाती
प्रेमिल मुस्कान चिर देती हृदय को !
वह अनुपम दृष्टि भीतर तक बींध जाती
प्रेमिल मुस्कान चिर देती हृदय को !
बिना याद किये
तुम हर क्षण आते हो स्मृति में
तुम्हारा घर बन ग्या है अंतर्मन
स्फटिक सा स्वच्छ चमचमाता
छलकता घट जहाँ रस का
बिखरता अमिय प्रेम का !
हे अव्यक्त ! हे अनंत !
() अनीता
http://amrita-anita.blogspot.com/
तुम हर क्षण आते हो स्मृति में
तुम्हारा घर बन ग्या है अंतर्मन
स्फटिक सा स्वच्छ चमचमाता
छलकता घट जहाँ रस का
बिखरता अमिय प्रेम का !
हे अव्यक्त ! हे अनंत !
() अनीता
http://amrita-anita.blogspot.com/
यहां किसी ब्लॉग को प्रकाशित करने से पहले क्या उस पर हिंदी भाषा के नजरिए से विचार नहीं किया जाता है? किसी और को न हो, अपरोक्ष और विघ्नता जैसे शब्दों से अपने को तो उबकाई आती है...माफी चाहूंगा! फिर भी, पहली बार यहां कदम पड़े तो निराशा नहीं हुई। उम्मीद बंधी है कि आगे कुछ वाकई बेहतरीन ब्लॉग्स पढ़ने को मिलेंगे।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक ।साधुवाद।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक ।साधुवाद।
जवाब देंहटाएंसुंदर लेखन !
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