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एक ऐसा गज़लकार जिनकी ग़ज़लों का सबसे बड़ा आकर्षण प्रभावोत्पादकता है . पढ़ने वाले को यह महसूस होता है कि यह उन्ही की दिली बातों का वर्णन है।
एक ऐसा गज़लकार जिनकी ग़ज़लों के शिल्प और कथ्य में गज़ब का तारतम्य होता है । शब्दों का विभाजन विभिन्न घटकों की मात्रा संख्या के अंतर्गत वे ऐसे करते हैं कि पढ़ने वाला कोई भी पाठक उनकी ग़ज़लों का मुरीद हो जाए ।
आज अपनी अकुंठ संघर्ष चेतना और एक के बाद दूसरी विकासोन्मुख प्रवृति के बीच जिनकी ग़ज़ल हिन्दी साहित्य में अपनी स्वतन्त्र उपस्थिति दर्ज कराने को वेचैन दिखती है।
जानते हैं कौन है वो ?
वे हैं श्री दिगंबर नासवा
जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ गज़लकार का अलंकरण देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान-२०१० से सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।

14 comments:

  1. मुझे बधाई देते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है, कलम की मिसाल तो है ही, दिगम्बर जी खुद एक बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं... साहित्य के प्रति इनकी रूचि सिर्फ इनके लेखन से ही नहीं, पठन से भी है और इनके बहुमूल्य योगदान से भी है ......... इनकी दीदी कहे जाने का गर्व मुझे है

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  2. बेहतरीन चुनाव ..नासवा जी को हार्दिक बधाई.

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  3. दिगंबर सर को बहुत बहुत बधाई.. उपयुक्त चयन.. पहली दफा उनकी तस्वीर देखने को मिली उसके लिए आपका आभार..

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  4. बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ..

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  5. दिगम्बर नास्वाजी सही मे इस सम्मान के हकदार हैं धन्यवाद और उन्हें बहुत बहुत बधाई।

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  6. दिगम्बर नासवा जी को बधाई!

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