पानी की बूँद था,
अपने प्रेम से
तुमने उसे समुद्र
बनाया
अब तुम ही विछोह
चाहती हो
भाप जैसे उड़ा कर
आकाश में
मिलाना चाहती हो
मेरे अस्तित्व को ही
मिटाना चाहती हो
सृजक भी तुम
विध्वंसक भी तुम
यह कैसे हो सकता है ?
कितना भी प्रयत्न कर लो
सफल नहीं हो पाओगी
अब भावनाओं से
खेल नहीं सकती
अपने प्रेम को नफरत में
बदल नहीं पाओगी
इस तरह मिटा नहीं
पाओगी
मैं वर्षा के साथ पुनः
बूँद बन कर धरती पर
आ जाऊंगा
अपने प्रेम से तुम्हें
सरोबार कर दूंगा
तुम मजबूर हो कर
फिर मुझे समुद्र
बनाओगी
सदा के लिए मुझ में
समा जाओगी
तुम्हारा अस्तित्व
मुझ में समाहित होगा
चाहोगी तो भी मुझसे
अलग नहीं हो पाओगी
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डा.राजेंद्र तेला,निरंतर 
04-05-2012
494-09-05-12

6 comments:

  1. सही प्रेम को परिभाषित करती हुई रचना !
    www.bebkoof.blogspot.com

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  2. parikalpanaa@gmail.com
    परिकल्पना पर आपका स्वागत है , पधारने के लिए धन्यवाद !

    नई दिल्‍ली से सुषमा सिंह की एक विस्‍तृत रपट रविवार दिनांक 8 मई 2011 के दैनिक जनसंदेश टाइम्‍स, लखनऊ में पेज 19 पर प्रकाशित।
    शुक्रवार, 4 मई 2012
    प्रेम का समुद्र

    पानी की बूँद था,
    अपने प्रेम से
    तुमने उसे समुद्र
    बनाया
    अब तुम ही विछोह
    चाहती हो
    भाप जैसे उड़ा कर
    आकाश में
    मिलाना चाहती हो
    मेरे अस्तित्व को ही
    मिटाना चाहती हो
    सृजक भी तुम
    विध्वंसक भी तुम
    यह कैसे हो सकता है ?
    कितना भी प्रयत्न कर लो
    सफल नहीं हो पाओगी
    अब भावनाओं से
    खेल नहीं सकती
    अपने प्रेम को नफरत में
    बदल नहीं पाओगी
    इस तरह मिटा नहीं
    पाओगी
    मैं वर्षा के साथ पुनः
    बूँद बन कर धरती पर
    आ जाऊंगा
    अपने प्रेम से तुम्हें
    सरोबार कर दूंगा
    तुम मजबूर हो कर
    पानी की बूँद था,
    अपने प्रेम से
    तुमने उसे समुद्र
    बनाया
    अब तुम ही विछोह
    चाहती हो
    भाप जैसे उड़ा कर
    आकाश में
    मिलाना चाहती हो
    मेरे अस्तित्व को ही
    मिटाना चाहती हो
    सृजक भी तुम
    विध्वंसक भी तुम
    यह कैसे हो सकता है ?
    कितना भी प्रयत्न कर लो
    सफल नहीं हो पाओगी
    अब भावनाओं से
    खेल नहीं सकती
    अपने प्रेम को नफरत में
    बदल नहीं पाओगी
    इस तरह मिटा नहीं
    पाओगी
    मैं वर्षा के साथ पुनः
    बूँद बन कर धरती पर
    आ जाऊंगा
    अपने प्रेम से तुम्हें
    सरोबार कर दूंगा
    तुम मजबूर हो कर

    शानदार प्रस्तुति .कृपया साराबोर करलें सरोबार को ....कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 5 मई 2012
    चिकित्सा में विकल्प की आधारभूत आवश्यकता : भाग - १

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  3. शानदार प्रस्तुति .कृपया सराबोर करलें सरोबार को ....कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 5 मई 2012
    चिकित्सा में विकल्प की आधारभूत आवश्यकता : भाग - १
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  4. शानदार प्रस्तुति .कृपया सराबोर करलें सरोबार को ....कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 5 मई 2012
    चिकित्सा में विकल्प की आधारभूत आवश्यकता : भाग - १
    चिकित्सा में विकल्प की आधारभूत आवश्यकता : भाग - १

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  5. सूचनार्थ: ब्लॉग4वार्ता के पाठकों के लिए खुशखबरी है कि वार्ता का प्रकाशन नित्य प्रिंट मीडिया में भी किया जा रहा है, जिससे चिट्ठाकारों को अधिक पाठक उपलब्ध हो सकें। 

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