कहा गया है- " वाक्यं रसात्मकं काव्यं " यानी रसों से सरावोर वाक्य ही काव्य है ।
एक ऐसा प्रवासी भारतीय कवि जिनकी कविता तो आकर्षित करती ही है , आवाज़ भी कम आकर्षित नहीं करती ।
उस आवाज़ में यदि कविता रूपी महुए का स्वाद आपने एक बार चख लिया तो समझिये हमेशा के लिए आप उनकी आवाज़ में आबद्ध हो जायेंगे ।
जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं श्री अनुराग शर्मा
जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने ब्लोगोत्सव पर प्रसारित उनकी कविता "गड़बड़झाला" को आधार बनाते हुए उन्हें वर्ष के श्रेष्ठ कवि (कविता पाठ ) का अलंकरण देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।

19 comments:

  1. अनुराग जी को हार्दिक बधाई.

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  2. अनुराग जी को बहुत बहुत बधाई

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  3. अनुराग भाई को ढेर सारी शुभकामनाएं

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  4. अनुराग जी को बहुत-बहुत बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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  5. अनुराग जी को बहुत बहुत बधाई

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  6. अनुराग जी को बहुत बहुत बधाई

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  7. अनुराग जी को बहुत-बहुत बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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  8. अनुराग भैया को बहुत बहुत बधाई.. उपयुक्त चयन.. आपका आभार..

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  9. बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ..

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  10. आप सभी का हार्दिक धन्यवाद। रवींद्र जी, सुमन जी और ब्लॉगोत्सव टीम का आभार।

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