
हिन्दी ब्लोगिंग तभी सार्थक विस्तार पा सकती है, जब हमारे बीच पारस्परिक सहयोग, सद्भाव , सदइच्छा , सदविचार, सद्बुद्धि का वातावरण कायम रह सके । ...
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हिन्दी ब्लोगिंग तभी सार्थक विस्तार पा सकती है, जब हमारे बीच पारस्परिक सहयोग, सद्भाव , सदइच्छा , सदविचार, सद्बुद्धि का वातावरण कायम रह सके । ...
खामोशियों के आलिंगन में आबद्ध वह गुब्बारा सुबह से तैरता हुआ अचानक फूट पड़ता है, तब - जब हमारे आँगन में उतरता है रात का अन्धेरा चुपके से । मे...
(ग़ज़ल ) बड़ा ज़िद्दी बड़ा निडर बड़ा खुद्दार है वह इसलिए शायद अलग-थलग इसपार है वह । रात को दिन और दिन को रात कैसे कहे- यार जब राजनेता नहीं फनका...
व्यंग्य कौन कहता है , कि अब नहीं रही लखनवी नफ़ासत । अवध से भले ही चली गयी है नवाबों की नवाबी , मगर यहाँ के ज़र्रे - ज़र्रे में वही हाजिर- जव...
कभी-कभी स्मृतियों में झांकना कितना सुखद और रोमांच से परिपूर्ण होता है , इसका अंदाजा मुझे तब हुआ जब आज अचानक डा0 रोहिताश्व अस्थाना द्वारा संप...
श्री समीर लाल 'समीर' हिंदी चिट्ठाजगत के सर्वाधिक समर्पित,लोकप्रिय और सक्रिय हस्ताक्षर हैं । साहित्य की हर विधाओं में लिखने वाले श्र...
ग़ज़ल लफ़्ज तोले बिना बात मत कहना दिन को खामखाह रात मत कहना । दर्द है, नसीहत है, तजुर्बा भी- ग़ज़ल को फ़कत जज़्बात मत कहना । जिंदगी एक सफ़र है...
अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी भारत यात्रा की शुरुआत मुंबई हमलों में मारे जाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दे कर की और मुंबई को भारत ...
(ग़ज़ल ) कद ये छोटा लगे कुछ दिखाई न दे रब किसी को भी ऐसी ऊँचाई न दे । मुफलिसों को न दे बेटियाँ एक भी - मौत दे दे मगर जग हंसाई न दे । रात कर ...
(ग़ज़ल ) पराये शहर में इक हमजुबां हमराज पाया समंदर लांघने की तब कहीं परवाज़ पाया । सड़क के पत्थरों को देख करके यार मैंने- समय के साथ जीने का ...
कल दीपावली का त्यौहार था, मैंने अपनी बड़ी बिटिया उर्विजा से पूछा कि पटाखे नहीं फोड़ने हैं क्या ? उसने तपाक से कहा पापा ! पटाखे फोड़कर रुपयों ...
जी हाँ एक ऐसा गीत जो ज़िन्दगी की थीम पर थिरकते हुए ऐसे अनछुए पहलुओं को सामने लाता है, कि बरबस थिरकने लगते हैं हमारे होठ और अंगराईयां लेने लग...