मानवता के स्वप्न अब तक अधूरे है मानवता के स्वप्न अब तक अधूरे है

मानवता के स्वप्न अब तक अधूरे है स्वप्न मेरे, अब तक वो अधूरे है ;    जो मानव के रूप में मैंने देखे है ! मानवता के उन्ही स्वप...

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9:55 am

गौर करो,सुनो-समझो,फिर कहो गौर करो,सुनो-समझो,फिर कहो

जो मिलते ही बड़ी बड़ी बातें करते हैं कुछ कर गुजरने की  वे रेत की दीवारों की तरह गिर जाते हैं  उनके होने के निशाँ भी नहीं मिलते   …  ...

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5:59 pm

गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में)-गुरु से सीखा गुरु से जाना गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में)-गुरु से सीखा गुरु से जाना

गुरु से सीखा गुरु से जाना गुरु ने समझाया गुरु ने बताया ज्ञान रखने से नहीं बांटने से बढ़ता है सार्थक ज्ञान ही जीवन आधार है ज्ञान क...

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12:40 pm

परिकल्पना बनने जा रहा है विश्व ब्लॉगिंग का एक बड़ा प्लेटफॉर्म ? परिकल्पना बनने जा रहा है विश्व ब्लॉगिंग का एक बड़ा प्लेटफॉर्म ?

चौंकिए मत, यह सच है कि आपकी  'परिकल्पना'  एक भारतीय गैर लाभ धर्मार्थ संगठन का स्वरूप धारण करने जा रही है, जो अपने साथ वि...

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12:17 pm

बस आपके लिए बस आपके लिए

परिकल्पना उत्सव समाप्त हुआ है - परिकल्पना का प्रवाह नहीं  परिकल्पना एक निर्बाध  कुछ अल्हड़  कुछ सशक्त  कुछ बिंदास  कुछ गहन-गं...

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10:00 am

परिकल्पना ब्लॉग उत्सव इसबार मॉरीशस..... परिकल्पना ब्लॉग उत्सव इसबार मॉरीशस.....

परिकल्पना केवल एक सामुदायिक ब्लॉग नहीं, बल्कि हिन्दी के माध्यम से एक सुंदर और खुशहाल सह- अस्तित्व की परिकल्पना को मूर्तरूप देने की कोशिश है...

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12:31 pm

ब्लॉगोत्सव-२०१४, परिकल्पना समय की अब तक कुछ ख़ास झलकियाँ (समापन) ब्लॉगोत्सव-२०१४, परिकल्पना समय की अब तक कुछ ख़ास झलकियाँ (समापन)

समय  .... यह समय जो हमेशा हमारे साथ होता है इसी ने बनाया था परिकल्पना का मंच  साक्षी बन बहुत कुछ कहता गया   हिंदी - हिंदी ब्लॉग्स...

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4:00 pm

ब्लॉगोत्सव-२०१४, कहने को ,सुनाने को और था, लेकिन .... ३ (समापन) ब्लॉगोत्सव-२०१४, कहने को ,सुनाने को और था, लेकिन .... ३ (समापन)

पूरी हुई परिक्रमा  … अब बारी है कुछ अपनी कह सुनाने की  नहीं कहना मैंने नहीं सीखा  हाँ, कहने से पहले सोचती हूँ  कुछ वक़्त को वक़्...

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12:00 pm

ब्लॉगोत्सव-२०१४, कहने को ,सुनाने को और था, लेकिन .... २ (समापन) ब्लॉगोत्सव-२०१४, कहने को ,सुनाने को और था, लेकिन .... २ (समापन)

कितनी बातें जो तेरे शहर की थीं  हाँ मेरे गाँव से थोड़ा अलग  …  उनको जोड़कर  तोड़कर  कहना तो था अभी और   लेकिन फिर कभी ! अभी...

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11:00 am
 
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