हमें स्वच्छ प्रदूषणरहित शहर-कस्वा-गाँव चाहिए ....! हमें स्वच्छ प्रदूषणरहित शहर-कस्वा-गाँव चाहिए ....!

एक संदेश कविता के माध्यम से देश के भाग्य विधाताओं के लिए -- हमें- स्वच्छ , प्रदूषण रहित शहर-कस्वा-गाँव चाहिए । जहाँ शेर-बकरी साथ बैठे वह पड़ा...

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2:29 pm

जुगनुओं रोशनी में नहाना फ़िज़ूल जुगनुओं रोशनी में नहाना फ़िज़ूल

मेरी दो गज़लें आज की युवा पीढी के लिए - (एक ) अपनी दीवानगी को गंवाना फ़िज़ूल , जुगनुओं रोशनी में नहाना फिजूल । किस्त में खुदकुशी इश्क का है ...

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7:09 pm

लौटेगी संवेदनाएँ उनकी भी .... । लौटेगी संवेदनाएँ उनकी भी .... ।

आज भी - रोटी और कविता की कृत्रिम रिक्तता में खडे कुछ अतृप्त - अनुभवहीन मानव करते हैं बात जन - आंदोलन की कभी प्रगतिवाद , कभी जनवाद , कभी समाज...

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9:39 pm

एक कविता उन प्रवासियों के लिए , जो -- एक कविता उन प्रवासियों के लिए , जो --

एक कविता उन प्रवासियों के लिए , जो अपनी धरती , अपना गांव छोड़कर महज दो आने ज्यादा कमाने की जुगत में खाक छानते हैं सुदूर प्रदेश की , या फिर ग...

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2:50 pm

बन रही तल्खियाँ , बेटियाँ  ! बन रही तल्खियाँ , बेटियाँ !

आज दौतर्स डे है यानी विटिया दिवस । यह एक औपचारिकता मात्र है , जिसे निभा दीं जाती है हर वर्ष जैसे - तैसे । हमारा संविधान हमे धर्म , जति , ल...

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11:42 am

कैसे - कैसे लोग बसे हैं महानगर में यार ? कैसे - कैसे लोग बसे हैं महानगर में यार ?

ग़ज़ल शीशमहल हैं शीशे के औ ' पत्थर के हैं द्वार , कैसे - कैसे लोग बसे हैं महानगर में यार ? राधा द्वारे राह निहारे, फिर भी मोहन प्यारे- च...

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8:56 pm

आज अपने आप में क्या हो गया है आदमी ......! आज अपने आप में क्या हो गया है आदमी ......!

आज अपने आप में क्या हो गया है आदमी , जागने का वक़्त है तो सो गया है आदमी । भूख की दहलीज़ पर जगता रहा जो रात- दिन , चंद रोटी खोजने में खो गया ...

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2:57 pm

उसीप्रकार जैसे-ख़त्म हो गयी समाज से सादगीआदमी भी ख़त्म हो गयाऔर आदमीअत भी.....! उसीप्रकार जैसे-ख़त्म हो गयी समाज से सादगीआदमी भी ख़त्म हो गयाऔर आदमीअत भी.....!

बहुत पहले- लिखे जाते थे मौसमो के गीत जब रची जाती थी प्रणय कीकथाऔर - कविगण करते थे देश-काल की घटनाओं पर चर्चा तब कविताओं मेंढका होता था ...

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2:42 pm

अस्पताल, चिकित्सक और दर्द ..... अस्पताल, चिकित्सक और दर्द .....

जब - बीमार अस्पताल की बीमार खाट पर पडी - पडी मेरी बूढ़ी बीमार माँ खांस रही थी बेतहाशा तब महसूस रहा था मैं कि, कैसे - मौत से जूझती है एक आम औ...

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2:34 pm

एक ग़ज़ल हिंदी को समर्पित एक ग़ज़ल हिंदी को समर्पित

हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर विशेष - दो- तिहाई विश्व की ललकार है हिंदी मेरी - माँ की लोरी व पिता का प्यार है हिंदी मेरी । बाँधने को बा...

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8:37 pm

चुप हुये तो हो गए बदनाम क्यों ? चुप हुये तो हो गए बदनाम क्यों ?

मच रहा है मुल्क में कोहराम क्यों , राजपथ पर बुत बने हैं राम क्यों ? रोज आती है खबर अखवार में , लूट, हत्या , खौफ , कत्लेयाम क्यों ? रामसेतु ह...

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2:02 pm

कहता है जोकर..... । कहता है जोकर..... ।

'' कहता है जोकर सारा जमाना , आधी हकीकत आधा फ़साना ..... । '' एक अरसा बीत गया शोमैन राजकपूर साहब का इंतकाल हुये , किन्तु '...

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9:40 pm

हर शाख पे उल्लू बैठा है, अन्जामे - गुलिश्ता क्या होगा ? हर शाख पे उल्लू बैठा है, अन्जामे - गुलिश्ता क्या होगा ?

'' हो गयी हर घाट पर पूरी व्यवस्था , शौक़ से डूबें जिसे भी डूबना है '' दुष्यंत ने आपातकाल के दौरान ये पंक्तियाँ कही थी , तब श...

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1:11 pm

मौन है क्यों कुछ तो बता लखनऊ शहर ? मौन है क्यों कुछ तो बता लखनऊ शहर ?

चाहे लखनऊ हो , दिल्ली हो या फिर मुम्बई । सुनने में रोमांच पैदा करता है महानगर , लेकिन जो महानगर में निवास करते हैं उनसे पूछिए महानगर की त्र...

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12:20 pm

तुझमे है तासीर मोहब्बत की भीतर तक-शायर ग़ालिब- मीर तुम्हारी आँखों मे है. तुझमे है तासीर मोहब्बत की भीतर तक-शायर ग़ालिब- मीर तुम्हारी आँखों मे है.

पिछले दिनों ठहाका में एक व्यंग्य प्रकाशित हुआ सांवली । मैंने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा था कि - भाई बसंत, किसी ने ठीक ही कहा है, कि - ज़िस्म...

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9:18 pm
 
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