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दिवाना दिल ।(गीत)
दिवाना दिल फिर, मुकम्मल जगह ढूंढता है ।
तुझे भूलाने की, ठोस वजह ढूंढता है ।
(मुकम्मल= परिपूर्ण, जिसमें कोई कमी न हो)
(जगह= आसरा; ठोस= मज़बूत)
अंतरा-१.
अहदे-वफ़ा का तुक, कभी न जाना तुने फिर भी..!
मिज़ाज - ए - इश्क पाया किस तरह, ढूंढता है..!
दिवाना दिल फिर, मुकम्मल जगह ढूंढता है ।
(अहदे-वफ़ा= वफ़ादारी का वादा; तुक= मतलब)
(मिज़ाज-ए-इश्क= प्यार का अहसास; किसतरह= कैसे )
अंतरा-२.
निगाँहे करम के किस्से, सुने जहाँ ने शौक़ से ।
ज़माना रहरह कर अब , नुक्स बेवजह ढूंढता है ।
दिवाना दिल फिर, मुकम्मल जगह ढूंढता है ।
(निगाँहे करम=प्यार; नुक़्स= ग़लती)
अंतरा-३.
बे-रहमतों का सबब अभी तक, ना बताया तुने..!
यहाँ, ये दिल बावरा बेसबब, फ़तह ढूंढता है ।
दिवाना दिल फिर, मुकम्मल जगह ढूंढता है ।
(बेरहमत=निर्दयता; सबब= कारण)
अंतरा-४.
महरूम रह जायेगा दिल, अवन - गुल की सेज से..!
सुकूने दिल शायद, नोकीली सतह ढूंढता है ?
दिवाना दिल फिर, मुकम्मल जगह ढूंढता है ।
(महरूम= वंचित; अवन-गुल की सेज = प्यार के फूलों से सजी शय्या)
(सुकूने दिल= दिल का आराम; नोकीली= चुभती)
मार्कण्ड दवे । दिनांकः ३१-०८-२०१२.
MARKAND DAVE
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फाग खेलत गिरधारी "
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आयो खेलन फाग मुरारी
फड़कत अंग चली पिचकारी
मिल सखियाँ गावत जारी
होली आयो रे !-२
लाल गुलाल भरी के रंग
मोरी भिगोय दियो सॉरी
कर बरजोरी मारयो पिचकारी
होली आयो रे !-२
पकड़ कलाई मरोड़ी मोरी
आयो खेलन फाग मुरारी
चोली भिगायो मोरी गिरधारी
होली आयो रे !-२
दोनों गाल पर रंग लगायो
मोरी रंग बिरंगी हो गई साड़ी
मोहिं बेहाल कियो गिरधारी
होली आयो रे !-२
होली खेलन धायो गिरधारी
फड़कत अंग चली पिचकारी
होली आयो रे !
होली आयो ||
- सुखमंगल सिंह