हारने का डर
नहीं होना चाहिए
क्योंकि तैयारी
हमेशा जीत की होती है
प्रयास जीत के लिए होती है …
फिर भी,
तो मनोबल मत टूटने दो -
हार हो या अपमान
कर्ण बनो,
लक्ष्य साधो,
कृष्ण का प्रस्ताव ठुकराकर
उन्हें गौरवान्वित करो,
रथ का पहिया जब फँस जाए
तो कृष्ण को मुस्कुराकर देखो …
माना, जो जीता वही सिकंदर
....
पर तुम ही कहो
क्या सचमुच जो जीता वही सिकंदर ?
रश्मि प्रभा
असमंजस
संगीता स्वरुप
द्रोण ,
जो आधुनिक युग के
गुरुओं के
पथ - प्रदर्शक थे
उन्होंने सिखाया कि
पहले लक्ष्य साधो
फिर शर चलाओ
अर्थात
पहले मंजिल को देखो
कर्म करो,
कृष्ण ने कहा कि -
कर्म करो ,
फल की इच्छा मत रखो
मैं , अकिंचन
क्या करुँ ?
एक ईश्वर और एक गुरु
कबीर ने कहा -----
गुरु की महिमा अपरम्पार
जिसने बताया ईश्वर का द्वार
गुरु की मानूं तो फल - भोगी
हरि को जानूं तो कर्म - योगी
क्या बनना है क्या करना है
निर्णय नही लिया जाता है
पर लक्ष्य बिना साधे तो
कर्म नही किया जाता है .
हाथ की लकीर और मेरा भ्रम
आभा खरे
सारी दुनिया भ्रम का जाल हैं
मत उलझो इसमे हे पार्थ!
हे धनंजय!!!!
ये मेरा मायाजाल हैं
दर्शन बहलाने का हैं
तुमको उलझाने का हैं
तुमको भरमाने का हैं
मत उलझो लकीरो के
चक्कर मे..............
ये तो कर्महीनो के लिए
बनाया भ्रमजाल हैं
यदि भाग्य की लकीरे
हाथ मे होती तो
बिना हाथ वाले कहाँ जाते..
लकीरे किस्मत नही
मेहनत से बदलती हैं....
पुरुषार्थ से बड़ा कोई देव नही
पुरुषार्थ से ही किस्मत चमकती हैं
किस्मत को चमकाना हैं तो
धनुष गान्दीव उठाओ....
अपने दृष्टी को साधो और बाण चलाओ
देखो दुनिया कदमो मे होगी...
तेरी हर जगह वाहवाही होगी....
तू अपने लक्ष्य पे निगाह रख
बाकी मैं तो हूँ ही सत्य के साथ...
सत्य आज भी जिंदा हैं दोस्तो....
कृष्ण अब भी सत्य के साथ हैं....
हमे आज भी पूरा विश्वास हैं.........
सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट रचनाएँ!
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाओं से रूबरू करवाया आपने ...
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