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डॉ किरण मिश्रा
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ब्लॉगोत्सव-2015
» परिकल्पना - बीते पलों के साथ बालकनी में
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ब्लॉग लिखना एक संग्रह से कम नहीं था … पर फेसबुक के साथ ब्लॉग का लेखन पाठक विहीन हो गया - तो फेसबुक को ब्लॉग का पर्याय मानना पड़ा। हर दिन रचनाओं की खुशबू सुबह से रात तक बिखरी होती है, उसकी एक भीनी खुशबू किरण मिश्रा हैं -
अपने बीत चुके वैभव को अभाव में तौलती
बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
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