शहादत कोई भाषा नहीं
कि तेरे मेरे की बात हो
पर बात हो गई है ....
हादसे शमशान से हो गए हैं
उधर से गुजरना ज़रूरी तो नहीं .... जब अपनी बारी होगी तो देखेंगे - क्यूँ ?
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शहीद की मज़ार से
हेमराज,सुधाकर की मज़ार से ,आ रही पुकार रे
नव जवान ! नव जवान !! नव जवान !!! जाग रे!!!!
देख ले, एल ओ सी पर खड़े हैं धोखेबाज शत्रु अनेक
सिखा दे पढ़ा उनको , धोखेबाज को उचित सबक
बिन बुलाये अतिथि ये तेरे घर आये हैं,
स्वागत करना धर्म तेरा ,पुरानों की रीति है,
स्वागत सज्जा कर ले तू ,रायफल ,मशीनगन ,तोप से
पुकार रही सदैव तुझे ,मेन्धर -लद्दाख की घाटी रे
नव जवान ! नव जवान !! नव जवान !!! जाग रे!!!!
जागो और जागकर बचाओ अपनी माँ की लाज को
उठो अर्जुन एकबार फिर गांडीव को संभल लो
अहँकारी दू:शासन फिर ललकारा ,भीम गदा उठा लो
ऐ नकुल ! समझो तुम अब शकुनि की चाल को
कर ना पाए बध अब कोई, वीर अभिमन्यु को
ये पुकार है माताओं की औरपुकार है बहनों की रे
नव जवान ! नव जवान !! नव जवान !!! जाग रे!!!!
देश -देश में सिखाओ , देश भक्ति का पाठ तुम
सिखाओ बल एकता का ,ऐ साहसी निडर तुम!
दिखा दे अपनी शौर्य दुनियां की रणस्थल में
समझा दे ,दूर कर दे भ्रान्ति ,शत्रुओं के दिलों से
हम नहीं कायर ,वीर चूड़ामणि है, शिष्य द्रोणाचार्य के
प्रेम करते हैं, स्नेह करते हैं सबसे ,ये हमारे धर्म की पुकार रे
नव जवान ! नव जवान !! नव जवान !!! जाग रे!!!!
शहीदों की औलाद हो तुम ,उनकी वीरता का प्रतीक हो तुम
हँसते हँसते खेले जिन्होंने आग से , फल मिला है आज़ाद हो तुम
अब अगर रक्षा न कर पाए उसकी ,न कर पाए देश कल्याण तुम
तो धिक्-धिक् तुम्हे ,क्यों झूठे नौ जवान कहलाते हो तुम ?
ये पुकार है देश की, और पुकार है उस माँ की रे
जिनकी किरीट हिमालय है,चरण धो रही है महासागर की लहरें
नव जवान ! नव जवान !! नव जवान !!! जाग रे!!!!
कालीपद "प्रसाद "
न शहादत भी ये शर्मिन्दा हो !!!
सारे हल इन दिनों
तिलमिलाहट की भाषा में बात करते हैं
आखिर हमारा वज़ूद क्या है
हम कब तक कैंद रहेंगे
इस सियासत़ की गंदी बस्ती में
हमें भी आजा़दी चाहिये
सच दम घुटता है
जब मातृभूमि की सुरक्षा में
किसी वीर का सीना छलनी होता है
जी चाहता है मैं गोली बन जाऊँ
और दुश्मन के भेजे में
...
हमें संधि के दस्तावेज थमाकर
विश्वास के हस्ताक्षरों से
मुँह बंद कर देना तो
महज़ एक खेल है इनका बचकाना
देखो कैसे - कैसे परिणाम मिले हैं
दूजा हल कुनमुनाया
.....
क्यूँ आखिर क्यूँ ये भय खाते हैं
क़ायरता से जब वो
अंग भंग कर जाते हैं
ये लाग-लपेट के शब्दों से अपना चेहरा ढँकते हैं
क्या इनके पास दो टूक शब्द नहीं हैं
आर या पार के
फिर कोई हल मन ही मन चिल्लाया
....
भूल जाएंगे एक दिन इस शहादत को
दर्ज हो जाएंगे बनके फक़त शब्द
इतिहास के पन्नों में
सूख जाएंगे परिजनों के अश्क
शहादत पे नमन करते - करते
कोई तो इसका मोल जानो,
कोई तो ऐसी पहल करो जिससे
न शहादत भी ये शर्मिन्दा हो !!!
सारे हल इन दिनों
तिलमिलाहट की भाषा में बात करते हैं !!
सदा
वेदना
आईये जलाएं
जरूर जलाएं
10-20-50-100-1000
मोमबत्तियां उस 'वेदना' के नाम
फेंक दिया गया था जिसे
दिल्ली की सड़क पर
चलती बस में बलात्कार करके ...
जिसने अंतिम सांस ली
सिंगापूर के एक अस्पताल में .....
पर है मेरी विनती
कम से कम एक मोमबत्ती
जरूर जलाएं उस गर्भवती
महिला पत्रकार के नाम
जिसका नाम जुड़ा था
एक राजनेता के नाम के साथ
और जिसे बेरहमी से
क़त्ल कर दिया गया ....
जलाईये एक मोमबत्ती
उस कवियित्री के नाम भी
जो क़त्ल कर दी गयी
अपने राजनेता मित्र
और उसकी पत्नी के गुर्गों द्वारा ...
जलाईये कम से कम
एक मोमबत्ती
विमान कंपनी में कार्यरत
उस महिला के लिए भी
अपने मालिक द्वारा किये जा रहे
शारीरिक शोषण से बचने के लिए
जिसे करनी पड़ी आत्महत्या .....
आईये जलाएं एक मोमबत्ती
उस नर्स के नाम भी
जिसका उपभोग करके
उसे मार दिया गया
उसके राजनेता मित्र के
इशारे पर ....
कम से कम
मुंबई के एक सुधार गृह की
उन लड़कियों के नाम भी
जो महीनो और सालों तक
लगातार होती रही हैं
दरिंदों का शिकार .......
एक सिर्फ एक मोमबत्ती
उस महिला के नाम
जिसे सरेआम नंगा किया गया
गौहाटी की सडकों पर ....
एक मोमबत्ती
उस महिला पुलिस कर्मी
के नाम भी
जिसे बे इज्ज़त किया गया
उड़ीसा की सडकों पर ....
एक मोमबत्ती जलाईये
उस बेटी के नाम भी
जिसके अपने पिता ने
वर्षों तक उसके साथ
किया दुष्कर्म ....
जलाईये एक मोमबत्ती
उस महिला के नाम भी
जिसे नंगा घुमाया गया था
राजस्थान के एक गाँव में ...
जलाईये एक मोमबत्ती
बलात्कार से पीड़ित
उस महिला के लिए भी
थाने में शिकायत दर्ज करने जाने पर
जिसके साथ हुआ थाने में
पुनः बलात्कार ....
जलाईये एक मोमबत्ती
उस महिला के लिए भी
जो हुयी चलती ट्रेन में
टिकट निरीक्षक की
वासना का शिकार .....
कम से कम
एक मोमबत्ती
उन बेटियों और बहनों के नाम
जो वर्षों तक होती रही शिकार
कश्मीर से लेकर पंजाब तक के
उग्रवादियों का ....
और जलाएं
उन माँ बहनों के नाम भी
एक मोमबत्ती
रक्षक ही हुए जिनके भक्षक
जिन सुरक्षा बलों पर थी
उनकी रक्षा की जिम्मेवारी
उन्ही ने किया जिनका
शारीरिक शोषण ....
जलाईये एक और मोमबत्ती
उन सभी दलित, शोषित, आदिवासी
महिलाओं के लिए
स्वतंत्रता से अब तक जारी है
लगातार जिनका शोषण
राजनेताओं, अधिकारीयों,
धन पशुओं और बाहुबलियों द्वारा ....
या तो फिर रहने ही दो
मत जलाओ ये मोमबत्तियां
इनके उजाले में कहीं
सामने न आ जाएँ
वे सभी अमानवीय चेहरे
जो लगातार छलते रहे हैं
हमारी माँऑं ,बहनों और बेटियों को ....
ओमप्रकाश पाण्डेय
या तो फिर रहने ही दो
जवाब देंहटाएंमत जलाओ ये मोमबत्तियां
इनके उजाले में कहीं
सामने न आ जाएँ
वे सभी अमानवीय चेहरे
जो लगातार छलते रहे हैं
हमारी माँऑं ,बहनों और बेटियों को ....
सार्थक अभिव्यक्ति और आभार आपका इसकी प्रस्तुती के लिए !!
स्त्री के साथ रो रहा यह एक ऐसा अपराध है जिसे रोकना अत्यंत आवश्यक है. यदि ये सब यूँ ही चलता रहा तो तबाही का मंजर दूर नहीं. आदरणीय काली प्रसाद जी, आदरणीया सदा दीदी एवं आदरणीय ओमप्रकाश पाण्डेय जी प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ सुन्दर भाव पूर्ण है .मेरी रचना को आपने शामिल किया ,आभार रश्मि प्रभा जी.!
जवाब देंहटाएंसभी रचनाओं की सार्थक प्रस्तुति,,
जवाब देंहटाएंrecent post : बस्तर-बाला,,,
भावपूर्ण सुंदर रचना
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