किसी की संवेदनशीलता उसकी गरिमा,उसकी जीत,उसकी उपलब्धियां होती हैं - इन्हीं गुणों की स्वामिनी ऋता शेखर 'मधु' हैं .... जो कहती हैं -
कौंधा एक सवाल
कौन हूँ मैं ?
क्या परिचय है मेरा ?
सिर्फ एक नाम
या और भी बहुत-कुछ
वह, जो अतीत में थी
या जो अभी हूँ
या जो भविष्य में होऊँगी" …वर्त्तमान भविष्य का आईना है, जिसमें जब हम जैसे दिखते हैं - वही अतीत से निकला भविष्य है,.
ऋता शेखर 'मधु' का अपना ब्लॉग है
२) हिन्दी हाइगा – http://hindihaiga.blogspot.in/ जिसमें उनके कलात्मक गुणों की अविस्मरणीय यात्रा है - उत्सव में प्रस्तुत है उनकी विशेषताओं की उत्कृष्ट झलकियाँ
आज बस इतना ही, मिलती हूँ कल फिर 10 बजे परिकल्पना पर ......
पारखी नजर ,ब्लॉग जगत के कोहिनूर चुन लाते ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया विभा दी !
हटाएंएक से बढ़कर एक हाइगा ...साथ में सम्बधित सुंदर चित्र
जवाब देंहटाएंवाह .....
"कच्ची थी मिटटी ..." और "मिल के रहे दीप तेल ..." खासकर बहुत पसंद आये
पहली बार इनसे मुलाक़ात हुई ...शुक्रिया रश्मि जी
आभार शिखा जी !
हटाएंbahut khoobsoorat prastuti
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वन्दना जी !!
हटाएं``ऋता शेखर एक चिरपरिचित नाम है और हाइगा प्रस्तुति उनका ख़ास काम है '' बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति। . बहुत-बहुत बधाई ऋता .....
जवाब देंहटाएंDr Rama Dwivedi
थैंक्स रमा दी !!
हटाएंआप के ब्लाग के अक्षर इतने बारीक हैं कि पढ़ना बहुत कठिन हैं । अक्षर बड़े नहीं होते ।
जवाब देंहटाएंदी... आभार :-) (h)
जवाब देंहटाएंवाकई ऋता जी की लेखनी बहुत सुंदर कृति गढ़ती हैं ! शुभकामनाऐं !
जवाब देंहटाएंकिसी की संवेदनशीलता उसकी गरिमा,उसकी जीत,उसकी उपलब्धियां होती हैं - अक्षरश: सच कहा आपने ... इनकी लेखनी में ओज है इन्हीं गुणों का
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी यह विशेष प्रस्तुति
आभार