अनुशासन अर्थात् DISCIPLINE में अत्यन्त महत्वपूर्ण दस अक्षर समाहित है, जो हिन्दी के पांचों अक्षर के समानधर्मा है और भाव भी हिन्दी के अक्षरों के समान व्यापक और विस्तृत।
उदाहरणार्थ :
D- Devotion -निष्ठा /I- Imagination -कल्पनाशीलता
(निष्ठा और कल्पनाशीलता जिस व्यक्ति में होती है, उसका व्यक्तित्व अतुलनीय होता है।)
अर्थात् - अ : अतुलनीय व्यक्तित्व
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S- Satisfaction - संतुष्टि/C- Co-operation- सहयोग
(जिसकी कार्यप्रणाली संतोषप्रद और अंत:करण में सहयोग की भावना होती है उसके क्रियाकलाप नुकसानरहित होते हैं।)
अर्थात् - नु : नुकसानरहित
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I- Inspiration - प्रेरणा /P- Perfection - पूर्णता
(जो दूसरों के सद्प्रयासों से प्रेरणा लेता है तथा स्वयं के सद्प्रयासों से प्रेरक बन जाता है, साथ ही जिसमें पूर्णता का भाव होता है वह शासन का अनुसरण करता है।)
अर्थात् - शा : शासन का अनुसरण
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L- Locution -वाक्शैली/I- Interaction - सम्प्रेषण
(जिसकी वाक्शैली सौम्य और सम्प्रेषण सुन्दर हो वह सभ्य आचरण का होता है।)
अर्थात् - स - सभ्य आचरण
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N- Non-Intervention -दखल न देना/E- Emotion -भावुकता
(जो दूसरों के कार्यो में बेवजह दखल नही देता और स्वभावत: भावुक होता है उसका स्वभाव विनम्र होता है।)
अर्थात् - न : नम्र स्वभाव
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ब्लोगिंग की मर्यादा बनी रहे इसलिए -
ब्लोगिंग की मर्यादा बनी रहे इसलिए -
१०० प्रतिशत अनुशासान आवश्यक है। यह सुखद संयोग ही है कि DISCIPLINE के दसों अक्षर के क्रम का योग १०० होता है, जैसे -
D - अंग्रेजी अल्फावेट का चौथा क्रम यानी - ०४
I - अंग्रेजी अल्फावेट का नौंवा क्रम यानी - ०९
S - अंग्रेजी अल्फावेट का उन्नीसवां क्रम यानी - १९
C - अंग्रेजी अल्फावेट का तीसरा क्रम यानी - ०३
I - अंग्रेजी अल्फावेट का नौंवा क्रम यानी - ०९
P - अंग्रेजी अल्फावेट का सोलहवां क्रम यानी - १६
L - अंग्रेजी अल्फावेट का बारहवां क्रम यानी - १२
I -अंग्रेजी अल्फावेट का नौवां क्रम यानी - ०९
N - अंग्रेजी अल्फावेट का चौदहवां क्रम यानी - १४
E - अंग्रेजी अल्फावेट का पांचवां क्रम यानी - ०५
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कुल योग - १००
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DISCIPLINE के समस्त क्रमों का योग १०० आ रहा है, जिससे सौ प्रतिशत का बोध होता है, अर्थात् अन्य क्षेत्रों की तरह ब्लोगिंग के लिये भी १०० फीसदी अनुशासन का अनुसरण आवश्यक है।
यहाँ यह स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि उपरोक्त बातें कहीं से संदर्भित नहीं है , मेरे द्वारा स्वयं तैयार की गयी है , इसलिए संभव है किसी अन्य विचारक के विचार इससे अलग हों ...! हम आगे भी ब्लोगिंग के महत्वपूर्ण पहलूओं को लेकर उपस्थित होंगे । आज बस इतना हीं ....!
सही कहा आपने।
जवाब देंहटाएंसभी की उन्नति में अपनी उन्नति और निज पर शासन ही अनुशासन है। फ़िर कहीं कोई समस्या नहीं रहेगी।
आभार
विल्कुल सही कहा आपने , अनुशासन यानी १०० प्रतिशत , एक प्रतिशत भी कम आपको अनुशासन के दायरे से बाहर कर देगा ...आपकी बुद्धिमता को मेरा नमन !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमेरे समझ से ज्योत्सना जैसी छद्म ब्लोगर ने ही हिंदी ब्लोगिंग के पर्यावरण को दूषित कर रही है , कोशिश की जाए कि ऐसे कुत्सित मानसिकता के ब्लोगर के पीछे की पृष्ठभूमि ही नष्ट हो जाए तभी हिंदी ब्लोगिंग आयामित होगी . रविन्द्र जी के चिंतन को प्रणाम !
जवाब देंहटाएंअनुशाशन हर हाल में जरुरी है...सही कहा आपने.
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी के विचारों से सहमत , ईश्वर अनुशासनहीन ब्लोगर्स को सद्बुद्धि दे , ताकि हिंदी ब्लोगिंग को एक नया मुकाम मिल सके !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा विश्लेषण! मैं तो यह भी मानता हूं कि हमें एक आचार संहिता बना लेनी चाहिए।
जवाब देंहटाएंआंच पर संबंध विस्तर हो गए हैं, “मनोज” पर, अरुण राय की कविता “गीली चीनी” की समीक्षा,...!
अनुशाशन हर हाल में जरुरी है..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपका विश्लेषण .. आगे भी ब्लोगिंग के महत्वपूर्ण पहलूओं पर आपके आलेख का इंतजार रहेगा !!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसटीक और सार्थक बात ..बहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट
जवाब देंहटाएंbahut sateek lagi paribhasha...
जवाब देंहटाएंsaathak prastuti
सुन्दर !
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर !
बहुत ही उत्तम ..सहेजनीय पोस्ट !
यह अनुशासं हीनता ही है जिसने ब्लोगिंग का माहौल इतना खराब रखा है! इसलिए ही बात बात पर अडासी भडासी गणासी दिख जा रहे हैं -जिनका कोयी नामलेवा न रह जाएगा -रहा न कुल कोऊ रोवनहारा -
जवाब देंहटाएंज्योत्स्ना का नाम जाना पहचाना बेनामी का है !
nice
जवाब देंहटाएंआप वाहियात टिप्पणियाँ मॉडरेट क्यूँ नहीं करते...???
जवाब देंहटाएंअनुशासन की यह भी एक मांग है, कि वाहियात बातों पर तव्वजो न दी जाये और उन्हें सिरे से खारिज किया जाये.
इन्हें रख आप इनका मनोबल ऊँचा कर रहे हैं. आपसे निवेदन हैं कि इन्हें मिटाकर हतोत्साहित करें ताकि ये आगे ऐसी बातें करने से बाज आयें.
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जवाब देंहटाएं.
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मनोरंजक पोस्ट,
विवेक सिंह जी से सहमत !
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टाईप कि पोस्ट हैं ।
और आज कल ब्लॉग प्रचलन हैं नाम का नारीकरण करना और हाँ प्रवीण से सहमत
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जवाब देंहटाएंअनुशाशन हर हाल में जरुरी है..
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समीर जी,
जवाब देंहटाएंमैं नहीं समझता कि इन टिप्पणियों में ऐसी कोई बात है , जिसे हटाया जा सके ...सबकी अपनी -अपनी सोच है खुलकर बोलने दीजिये !
वैसे अरविन्द जी ने सही कहा है कि- "बात बात पर अडासी भडासी गणासी दिख जा रहे हैं -जिनका कोयी नामलेवा न रह जाएगा -रहा न कुल कोऊ रोवनहारा -
ज्योत्स्ना का नाम जाना पहचाना बेनामी का है !"
कोई हरदम आपकी तारीफ़ नहीं कर सकता , कभी आपको कटाक्ष का दंश भी झेलना पड़ता है...ये उसी का एक हिस्सा है !
जवाब देंहटाएंनहीं रवीन्द्र जी, समीर जी ने बहुत सही कहा है "अनुशासन की यह भी एक मांग है, कि वाहियात बातों पर तव्वजो न दी जाये और उन्हें सिरे से खारिज किया जाये.इन्हें रख आप इनका मनोबल ऊँचा कर रहे हैं. आपसे निवेदन हैं कि इन्हें मिटाकर हतोत्साहित करें ताकि ये आगे ऐसी बातें करने से बाज आयें."
जवाब देंहटाएंऐसे लोगों के लिए संत कवि रहीम ने ठीक ही कहा है- " खीरा सिर ते काटिए, मलियत नमक लगाए ! रहिमन कड़वे मुखन को, चहियत यही सजाये !!" जिसकी टिप्पणियों का कोई बजूद नहीं उनकी टिपण्णी को रखकर महिमामंडित करने का क्या औचित्य है ?
आप सभी का आदेश सिर आँखों .....ज्योत्सना के नाम से की गयी बेनामी टिपण्णी हटा दी गयी है, क्योंकि वह टिपण्णी परिकल्पना के प्रशंसकों को नहीं भायी !
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
पहले स्व आकलन कर लूँ, तब कुछ कहा जाए :-)
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट |
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