जहां समाप्ति की नियति है
वहां हर कर्म क्षणिक और
अपने लिए गढ़ा गया हर अभिप्राय भ्रम होता है
इसलिए-
शुरू की जानी चाहिए मृत्यु से
जीवन की बात
समझना चाहिए
ज़िंदगी को एक छोटा सा सफ़र
बगैर भ्रम को पाले हुए जीना हो तो.....


यदि मन में यह विश्वास उग सके कि
हर किसी को उतर जाना है
देर-सवेर
तो फिर यही रह जाता है न कि
जीतनी देर बैठें -
दूसरों के दु:ख -दर्द बांटने का सिलसिला जारी रखें ...
उन्हें स्नेह देते रहें और करते रहें प्यार ....!


यही है जीवन का आधार
कहती थी धनपतिया
जब एकांत क्षणों में होती थी पास मेरे

आज नहीं है मेरे सामने वह , मगर-
साथ है उसके द्वारा दिए गए शब्दों का वह उपहार जो -
आखिरी मुलाक़ात के साथ दे गयी थी मुझे
भावनाओं की पोटली में बांधकर , कि-
" बाबू !
प्रेम तकलीफ है .....पर आदमी बनने के लिए
जरुरी है तकलीफ से गुजरना ....!"

() रवीन्द्र प्रभात

13 comments:

  1. प्रेम का शाश्वत साक्षात्कार कराती भावपूर्ण अभिव्यक्ति !

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  2. सचमुच भावपूर्ण अभिव्यक्ति है यह, मगर आज पहली बार आपका यह रूप देखा ....बहुत सुन्दर और उद्देश्यपूर्ण अर्थ तलाशती हुयी कविता ....आभार !

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  3. बिना तकलीफ़ कब कोई मोल जान सकता है ।
    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
    कल (13/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
    और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  4. vah bhai RAVINDR prem ke liye Kabir kahate hain, sheesh se jaao prem le jaao. prem ke liye bhee mitana padta hai. yah mitana hee to mrityu hai. mrityu shareer kee naheen, shareer janit aakankshaaon kee. jab apane priy ke alava kuchh bhee pane kee chah n rah jaaye, tabhee prem paida hota hai. aap ve mrityu se baat shuru kar prem par khatm kee. yahee sach hai, mrityu hee jeevan ka sandesh detee hai, vahee prem karana bhee sikhaati hai.

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति। यह चकित करती प्रेम कविता है। यह प्रेम ठेठ जमीनी अंदाज में हैं भावावेग से भरी कविता। बहुत सारी दिक्‍कतों के बीच यह प्रेम ही है जो रोशनी बनकर उम्‍मीद की राह बनाता है!
    काव्यशास्त्र (भाग-1) – काव्य का प्रयोजन, “मनोज” पर, आचार्य परशुराम राय की प्रस्तुति पढिए!

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  6. प्रेम तकलीफ है .....पर आदमी बनने के लिए
    जरुरी है तकलीफ से गुजरना ....!"
    बहुत सुन्दर बेहतरीन एहसास ..अंधकार को मिटाने के लिए इससे बेहतर कोई विकल्प नहीं ...!

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  7. प्रेम तकलीफ है .....पर आदमी बनने के लिए
    जरुरी है तकलीफ से गुजरना ....!

    how true. !

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  8. मानव की अंतहीन पीड़ा की सुंदर अभिव्यक्ति .

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