आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के लिए अधिकांश मंदिर सजधज कर तैयार हैं। अधिकांश मंदिरों में 'जय कन्हैया लाल' के जयकारे और 'गिरधर नागर नंदा, भजो रे हर गोविंदा' के भजन गूंज रहे हैं। श्रीकृष्ण के स्वागत के लिए पूरा देश धार्मिक उल्लास में डूबा हुआ है। इस अवसर पर परिकल्पना के शुभचिंतकों, पाठकों, मित्रों को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मेरी अनंत आत्मिक शुभकामनाएं !
इस पावन अवसर पर मैं अपने प्रिय कवियों में से एक नज़ीर बनारसी की कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ -
अब दौरे मुसीबत जाएगा बतला दिया आने वाले ने -
संकट में लिया है छुप के जनम संकट से छुडाने वाले ने ।
संसार के मन को मोह लिया इक गाय चराने वाले ने -
दौड़ा दी मुहब्बत नस-नस में बंसी के बजाने वाले ने ।
भादों के बरसते बादल में फैला हुआ सुन्दर उजियारा -
हर देखने वाला हैरां है क्या कर दिया आने वाले ने ।
आज़ादी मिली हर कैदी को हर पाँव की बेडी टूट गयी -
यह किसको उतारा दुनिया में दुनिया को बनाने वाले ने ।
फिर चीर हरण के बाद कोई , नंगी नहीं उतारी जमुना में -
हर एक का परदा रखा है, उस परदा उठाने वाले ने ।
तूफ़ान बुझाने को जो उठे दिल बैठ गए तूफानों के -
वो दीप जलाया आंधी में उस दीप जलाने वाले ने ।
घनश्याम तुम्हारे बल पर हम ये अब भी गरज कर कहते हैं -
आज़ाद किया इंसानों को एक जेल में आने वाले ने ।
घर तेरा 'नज़ीर' आबाद रहे क्या कोई उजाड़ेगा उसको-
खुद आके बसाया हो जिसको गोकुल के बसाने वाले ने ।
() नज़ीर बनारसी
बहुत सुन्दर,
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये....आभार
बेहतरीन लेखन के बधाई
शुभकामनाएं
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएं"कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्!"
जवाब देंहटाएं--
योगीराज श्री कृष्ण जी के जन्म दिवस की बहुत-बहुत बधाई!
श्री कृष्ण जी के जन्म दिवस की बहुत-बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर एवं भावमय प्रस्तुति ।
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