ग़ज़ल :
किसी दरिया,किसी मझदार से नफरत नहीं करता
सही तैराक हो तो धार से नफरत नहीं करता ।
यक़ीनन शायरी का इल्म जिसके पास होता वह -
किसी नुक्कड़,किसी किरदार से नफरत नहीं करता।
परिन्दों की तरह जिसने गुजारी जिन्दगी अपनी -
गुलाबों के सफ़र में खार से नफरत नहीं करता ।
चलो अच्छा हुआ तूने बहारों को नहीं समझा -
नहीं तो इस क़दर पतझार से नफरत नहीं करता।
हिम्मत बुलंद अज्म का पैकर जो होता है वही -
किसी के धर्म व त्यौहार से नफ़रत नहीं करता ।
फटे कपड़ों से तेरी आबरू ग़र झांकती होती-
मियाँ "प्रभात" तू बीमार से नफरत नहीं करता ।
* रवीन्द्र प्रभात
अच्छी पंक्तिया लिखी है ........
जवाब देंहटाएंयहाँ भी आये और अपनी बात कहे :-
क्यों बाँट रहे है ये छोटे शब्द समाज को ...?
चलो अच्छा हुआ तूने बहारों को नहीं समझा -
जवाब देंहटाएंनहीं तो इस क़दर पतझार से नफरत नहीं करता।
अच्छी पंक्तिया लिखी है ........
यहाँ भी आये और अपनी बात कहे :-
क्यों बाँट रहे है ये छोटे शब्द समाज को ...?
उम्दा ग़ज़ल.........
जवाब देंहटाएंपरिन्दों की तरह जिसने गुजारी जिन्दगी अपनी -
जवाब देंहटाएंगुलाबों के सफ़र में खार से नफरत नहीं करता ।
बहुत अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति. आभार.
हिम्मत बुलंद अज्म का पैकर जो होता है वही -
जवाब देंहटाएंकिसी के धर्म व त्यौहार से नफ़रत नहीं करता ।
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
अर्थपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति. आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी गज़ल ..
जवाब देंहटाएंअच्छी गज़ल ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल , हर एक शेर उम्दा और प्रासंगिक भी !
जवाब देंहटाएंयक़ीनन शायरी की इल्म जिसके पास होती वह -
जवाब देंहटाएंकिसी नुक्कड़,किसी किरदार से नफरत नहीं करता।
sahi hai
आपकी ग़ज़ल के शब्दों ने सार्थक अभिव्यक्ति दी है ... सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लेखन के बधाई
तेरे जैसा प्यार कहाँ????
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
अच्छी रचना ,सार्थक संदेश ।
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