हंसोगे, रोओगे, गुनगुनाओगे
जिंदगी के मायने समझ जाओगे ।

मिल जायेगी मोती तुम्हे भी तब-
जब समुद्र में गहरे उतर जाओगे ।

माँ कहती है कि अक्ल आ जायेगी-
जब किसी मोड़ पे ठोकर खाओगे ।

अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।

तुम्हे मालूम है कि मासूम है वो--
फिर हक में जुवान तो हिलाओगे ।

उसीदिन मैं उठाऊंगा हाथ जिसदिन -
तुम मेरे होठों पे दुआ बन के आओगे ।

जान जाओगे तुम "प्रभात "का हाल-
जिस दिन उसका चेहरा पढ़ पाओगे ।
() रवीन्द्र प्रभात

17 comments:

  1. माँ कहती है कि अक्ल आ जायेगी-
    जब किसी मोड़ पे ठोकर खाओगे ।
    अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
    जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।
    .... बहुत सुन्दर रचना

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  2. अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
    जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।

    काश लोग ये समझ पाते ..बहुत अच्छी रचना.

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  3. बहुत खूबसूरत गज़ल ..

    अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
    जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।

    सही कहा है

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  4. जान जाओगे तुम "प्रभात "का हाल-
    जिस दिन उसका चेहरा पढ़ पाओगे ।

    bahut sundar !

    .

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  5. बेहद उम्दा गज़ल्…………हर शेर मे ज़िन्दगी उतरती दिख रही है………………शानदार्।

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  6. माँ कहती है कि अक्ल आ जायेगी-
    जब किसी मोड़ पे ठोकर खाओगे ।
    अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
    जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।

    बहुत ही सुन्‍दर एवं भावमय प्रस्‍तुति ।

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  7. माँ कहती है कि अक्ल आ जायेगी-
    जब किसी मोड़ पे ठोकर खाओगे ।
    माँ झूठ तो कहेगी नहीं .. सुन्दर रचना

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  8. आपकी इस ग़ज़ल में जीवन का शाश्वत दर्शन समाहित है, आज का सच होती है आपकी गज़लें ....मैं मुरीद हूँ आपकी ग़ज़लों का, आभार एक और सुन्दर अभिव्यक्ति से परिचित कराने हेतु आपका !

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  9. उसीदिन मैं उठाऊंगा हाथ जिसदिन -
    तुम मेरे होठों पे दुआ बन के आओगे ।

    जान जाओगे तुम "प्रभात "का हाल-
    जिस दिन उसका चेहरा पढ़ पाओगे ।

    ..बहुत अच्छी रचना

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  10. हंसोगे, रोओगे, गुनगुनाओगे,
    जिदगी के मायने समझ जाओगे।

    खूबसूरत ग़ज़ल के मतले में ही पूरा जीवन दर्शन है

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  11. बहुत सुन्दर...हरेक पंक्ति दिल को छू जाती है...आभार...

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  12. किस्व्किस शेर की बात करूँ। हर शेर एक दूसरे पर भारी पड रहा है। गज़ल कहना कोई आपसे सीखे।

    हंसोगे, रोओगे, गुनगुनाओगे,
    जिदगी के मायने समझ जाओगे।

    माँ कहती है कि अक्ल आ जायेगी-
    जब किसी मोड़ पे ठोकर खाओगे ।

    अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
    जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।
    लाजवाब शेर बन पडे हैं। बधाई आपको।

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  13. "हाल-ऐ-दिल गर चेहरा
    बताता
    इंसान कभी धोखा
    ना खाता
    चेहरा ही है जो पहले
    लुभाता
    फिर ठोकर खिलाता
    इंसान को निरंतर
    भ्रम में रखता "
    bahut sundar

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