जिंदगी के मायने समझ जाओगे ।
हंसोगे, रोओगे, गुनगुनाओगे
जिंदगी के मायने समझ जाओगे ।
मिल जायेगी मोती तुम्हे भी तब-
जब समुद्र में गहरे उतर जाओगे ।
माँ कहती है कि अक्ल आ जायेगी-
जब किसी मोड़ पे ठोकर खाओगे ।
अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।
तुम्हे मालूम है कि मासूम है वो--
फिर हक में जुवान तो हिलाओगे ।
उसीदिन मैं उठाऊंगा हाथ जिसदिन -
तुम मेरे होठों पे दुआ बन के आओगे ।
जान जाओगे तुम "प्रभात "का हाल-
जिस दिन उसका चेहरा पढ़ पाओगे ।
() रवीन्द्र प्रभात
माँ कहती है कि अक्ल आ जायेगी-
जवाब देंहटाएंजब किसी मोड़ पे ठोकर खाओगे ।
अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।
.... बहुत सुन्दर रचना
अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
जवाब देंहटाएंजब दूसरों को आईना दिखाओगे ।
काश लोग ये समझ पाते ..बहुत अच्छी रचना.
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
जवाब देंहटाएंअपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।
सही कहा है
जान जाओगे तुम "प्रभात "का हाल-
जवाब देंहटाएंजिस दिन उसका चेहरा पढ़ पाओगे ।
bahut sundar !
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बेहद उम्दा गज़ल्…………हर शेर मे ज़िन्दगी उतरती दिख रही है………………शानदार्।
जवाब देंहटाएंमाँ कहती है कि अक्ल आ जायेगी-
जवाब देंहटाएंजब किसी मोड़ पे ठोकर खाओगे ।
अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।
बहुत ही सुन्दर एवं भावमय प्रस्तुति ।
माँ कहती है कि अक्ल आ जायेगी-
जवाब देंहटाएंजब किसी मोड़ पे ठोकर खाओगे ।
माँ झूठ तो कहेगी नहीं .. सुन्दर रचना
आपकी इस ग़ज़ल में जीवन का शाश्वत दर्शन समाहित है, आज का सच होती है आपकी गज़लें ....मैं मुरीद हूँ आपकी ग़ज़लों का, आभार एक और सुन्दर अभिव्यक्ति से परिचित कराने हेतु आपका !
जवाब देंहटाएंउसीदिन मैं उठाऊंगा हाथ जिसदिन -
जवाब देंहटाएंतुम मेरे होठों पे दुआ बन के आओगे ।
जान जाओगे तुम "प्रभात "का हाल-
जिस दिन उसका चेहरा पढ़ पाओगे ।
..बहुत अच्छी रचना
सही कहा है...शानदार्।
जवाब देंहटाएंहंसोगे, रोओगे, गुनगुनाओगे,
जवाब देंहटाएंजिदगी के मायने समझ जाओगे।
खूबसूरत ग़ज़ल के मतले में ही पूरा जीवन दर्शन है
बहुत सुन्दर...हरेक पंक्ति दिल को छू जाती है...आभार...
जवाब देंहटाएंकिस्व्किस शेर की बात करूँ। हर शेर एक दूसरे पर भारी पड रहा है। गज़ल कहना कोई आपसे सीखे।
जवाब देंहटाएंहंसोगे, रोओगे, गुनगुनाओगे,
जिदगी के मायने समझ जाओगे।
माँ कहती है कि अक्ल आ जायेगी-
जब किसी मोड़ पे ठोकर खाओगे ।
अपना चेहरा पहचानोगे कैसे-
जब दूसरों को आईना दिखाओगे ।
लाजवाब शेर बन पडे हैं। बधाई आपको।
वाह !! वाह !!
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत उम्दा गज़ल!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
जवाब देंहटाएंमध्यकालीन भारत धार्मिक सहनशीलता का काल, मनोज कुमार,द्वारा राजभाषा पर पधारें
"हाल-ऐ-दिल गर चेहरा
जवाब देंहटाएंबताता
इंसान कभी धोखा
ना खाता
चेहरा ही है जो पहले
लुभाता
फिर ठोकर खिलाता
इंसान को निरंतर
भ्रम में रखता "
bahut sundar