अपाहिजों के खेल में अंधे तमाशबीन
अगली सदी के हैं ये ख़्वाब बेहतरीन
अपाहिजों के खेल में अंधे तमाशबीन
तारीफ़ यूँ करेंगे गूंगे भी बेहिसाब-
संसद करेगा पागलों की बात पर यकीन
भैंस से होगी बड़ी न अक्ल की दौलत-
भटकेंगे हुनर वाले अपनी ही सरजमीन
बनायेंगे यक़ीनन ऊँची ईमारतें पर-
होंगे न पास उनके आकाश या जमीन
इस मुल्क के मजदूर भी बच्चों के बास्ते-
पानी का घूँट पीकर बन जायेंगे मशीन
होंगे वही विधायक मंत्री के दावेदार-
जनता को भैंस मानकर बजायेंगे जो बीन
() रवीन्द्र प्रभात
लाजबाव व्यंग्य रचना , यही है कड़वा सच जिसका आंशिक रूप अभी से दिखाई देने लगा है !
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंvah bhaI Ravingr achchhee vyangajal banee hai.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया व्यंग्य, बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंgreat
जवाब देंहटाएंव्यंजल हो तो ऐसा, हम तो मस्त हो गए भैया !
जवाब देंहटाएंबनायेंगे यक़ीनन ऊँची ईमारतें पर-
जवाब देंहटाएंहोंगे न पास उनके आकाश या जमीन
इस मुल्क के मजदूर भी बच्चों के बास्ते-
पानी का घूँट पीकर बन जायेंगे मशीन
बढिया रचना व्यंग नही ये एक कडवी सच्चाई है। धन्यवाद