जन्म के साथ मनुष्य के संवंधों का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है । विभिन्न संवंधों का निर्वाह करता हुआ मनुष्य आजीवन सुख-दु:ख का भोग करता चलता है । कभी आत्मज बनकर, कभी मातृत्व सुख का अनुभव कराकर तो कभी स्नेहिल संवंध जताकर ।
इस सबसे अलग आभासी दुनिया की मित्रता होती है । लोगों का मानना है, कि - आभासी दुनिया की मित्रता ताश के ताजमहल की तरह होती है , जिसे एक हल्की सी हवा भी गिरा सकती है और स्वार्थ के हाथ उसकी चिंदी-चिंदी उड़ा सकते हैं ।
मेरा मानना है कि अगर कुछ हिदायतों पर ध्यान दिया जाए तो यह संवंध अन्य सभी संवंधों की तुलना में ज्यादा स्थायी और मजबूत हो सकता है -
(हिदायत -१ )
यह सत्य है कि कल्पित आदर्श मित्र सदा कसौटी पर खरे नहीं उतरते, मगर उसका उद्देश्य आपके उद्देश्य से मेल खा जाए तो मेरा मानना है कि यह संवंध स्थायी हो जाएगा । इसलिए कोशिश करें कि उन्हीं चिट्ठों पर आपका ज्यादा समय गुजरे जो आपके मन को भाता हो ।
(हिदायत-२)
यह सही है कि विपरीत लिंग व्यक्ति को आकर्षित करता है , किन्तु जरूरी नहीं कि आप उन चिट्ठों पर ज्यादा समय गुजारें । ऐसा करने से आप स्वयं के वजूद को भी नकारने लगेंगे और आपकी योग्यता , प्रतिभा धीरे-धीरे कुंद पड़ने लगेगी । इसलिए विपरीत लिंग को महत्व न देकर उसके गुणों को आत्मसात करें ।
(हिदायत -३ )
टिप्पणियाँ प्रायोजित न करें , यानी जो आपके पोस्ट पर टिप्पणी करें आप केवल उन्हीं ब्लोग्स पर जाकर टिप्पणी न करें, अपितु उन चिट्ठों पर भी जाएँ जहां अच्छी सामग्रियां प्रस्तुत की गयी हो । जब आप अच्छी सामग्रियों की ईमानदारी पूर्वक प्रशंसा करेंगे तो आपको अच्छे और सकारात्मक चिट्ठाकारों का सानिध्य सुख प्राप्त होगा , जिससे आपको आतंरिक शान्ति-सुख-संतुष्टि का एहसास होगा । ऐसे मित्र अवसरवादी नहीं होते जो अच्छे लेखन की प्रशंसा और आलोचना की जगह नेक सलाह देते हैं ।
(हिदायत -४ )
पोस्ट पर आई ऐसी टिप्पणियों जिसमें वाह-वाह, क्या बात है, अति सुन्दर आदि लिखने वाले का सम्मान जरूर करें , मगर टिप्पणी देने वाले उन चिट्ठाकारों जो दृढ़ता के साथ दिशा देने की बात करें उनकी बातों को गंभीरता से महसूस करते हुए उनका आभार अवश्य व्यक्त करें क्योंकि ऐसे मित्र आपको भय-भ्रम-भ्रान्ति से बाहर नकालने में मददगार साबित हो सकते हैं ।
(हिदायत-५)
जाति/धर्म/ क्षेत्र/लिंग भेद से बचें , क्योंकि आप इन मोह से बाहर नहीं निकालेंगे तो न आप ब्लोगिंग के माध्यम से समाज का भला कर पायेंगे और न अपनी मित्रता का व्यापक विस्तार ही । इसलिए अपने दृष्टिकोण को संकुचित होने से बचाएं और ब्लोगिंग के माध्यम से मित्रता का दायरा बढायें ।
(हिदायत-६ )
जिनसे आपकी मित्रता है उसकी केवल टिप्पणियों के माध्यम से प्रशंसा न करें , वल्कि यदि आपको उनसे सच्ची मित्रता है, तो उनके प्रति कर्तव्य निभाने का प्रयास करें । जहां भी अवसर मिलें उन्हें और उनके गुणों को प्रस्तुत करें । ऐसा करने से आप उनके मन में जगह बना लेंगे और यह जगजाहिर है कि जो अपने मित्र का मन जीत ले वही सच्चा मित्र है ।
(हिदायत-७)
जो आपके मित्र ब्लोगर हैं , जाने या अनजाने में भी उनके ब्लॉग पर जाकर ऐसी कोई टिप्पणी न करें जो उसे पीड़ा पहुंचाए , क्योंकि ऐसा करने से आप केवल अपने मित्र को ही तनावग्रस्त नहीं करेंगे वल्कि उसके बारे में बार -बार सोचकर आप स्वयं तनावग्रस्त हो जायेंगे ।
(हिदायत-८ )
सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र की लाभ-हानि को अपनी लाभ-हानि मानें । हर कोई चाहता है कि उसे प्रतिष्ठित, मृदुल व्यवहार, शिष्ट, सचरित्र, उदार, हृदयस्पर्शी, पुरुषार्थी और सत्यनिष्ठ मित्र मिले , इसलिए मित्रता में लाभ-हानि की बातों से बचने का प्रयास करें ।
(हिदायत ९)
यदि आपको महसूस हो कि आपका मित्र बहुत दिनों से आपके चिट्ठे पर नहीं आया है और उससे संवादहीनता की स्थिति उत्पन्न हो गयी है तो आप भी मुंह फुलाकर बैठ जाएँ ऐसा नहीं होना चाहिए । आप उनके आने का इंतज़ार न करें वल्कि उससे पहले आप पहल करें । आपके मित्र को अच्छा लगेगा ।
(हिदायत १० )
कुछ ब्लोगर मित्र ऐसे होते हैं जो टिप्पणियाँ कम करते हैं मगर अपनी मित्र ब्लोगर के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव ज्यादा रखते हैं । ऐसे ब्लोगर को जब भी अवसर मिलता है अपने मित्र ब्लोगर को कायदे से प्रस्तुत कर देता है । ऐसे मित्र ब्लोगर की पहचान अवश्य करें और उनसे दूरी न बनाएं ।
एक उदाहरण देखें- एक बार मुझसे तस्लीम वाले जाकिर भाई ने पूछा रवीन्द्र जी, चिट्ठों पर आपकी टिप्पणियाँ कम आती है , क्या मित्रों के ब्लॉग पर भी जाना आपको अच्छा नहीं लगता ?
मैंने कहा जाकिर भाई यदि मैं अपने मित्र ब्लोगर की गतिविधियों पर नज़र नहीं रखता तो उनके ब्लॉग का विहंगम विश्लेषण कैसे करता हूँ ?
दरअसल बात यह है कि मैं जिस चिट्ठे पर जाता हूँ उसे बांचने में ही समय निकल जाता और मैं बिना टिप्पणी किये वापस आ जाता हूँ, लेकिन वर्ष में एक बार ब्लॉग विश्लेषण के जरिये उनके ब्लॉग और पोस्ट की विशेषताओं को उजागर कर मित्र धर्म का पालन कर देता हूँ ........।
आभासी दुनिया में मित्रता निभाने के कई रास्ते हैं , ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप कौन सा रास्ता चुनते हैं ?
आभासी दुनिया में मित्रता निभाने के कई रास्ते हैं , ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप कौन सा रास्ता चुनते हैं ?
आज बस इतना हीं फिर कुछ महत्वपूर्ण बातों के साथ हम उपस्थित होंगे .....
Achchi salah hai ravindra bhai.
जवाब देंहटाएंaabhar
इतनी अच्छी-अच्छी और सकारात्मक बातें आपके जेहन में आती कहाँ से है भैया, यह भी टिप्स दें तो बड़ी मेहरबानी होगी ! ईश्वर करे आपके चिंतन को नज़र न लगे !
जवाब देंहटाएंयदि संभव हो तो ब्लोगिंग से संवंधित अपने समस्त विचारों को एक पुस्तक का रूप दें , नए चिट्ठाकारों को यह पुस्तक मार्गदर्शन देगी !
जवाब देंहटाएंbahut hee upayogi tips hai bloging ke liye, aabhaar!
जवाब देंहटाएंउम्दा हिदायतें.............
जवाब देंहटाएंउपयोगी भी और अनुकरणीय भी..........
बहुत उपयोगी मश्विरा दिया आपने। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंnice
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